आपने उन जगहों के बारे में तो सुना होगा, जहां महिलाओं को जाने से मनाही है उदहारण के तौर पर भारत में ही कुछ दिनों पहले तक शनि मंदिर, हाजी अली दरगाह मे महिलाओं की एंट्री बैन थी. इसी तरह वेटिकन सिटी में भी सिर्फ पुरुष ही रहते हैं, पर दुनिया मे एक ऐसा भी गांव है जहां मर्दों की एंट्री बैन है.

उत्तरी केन्या में स्थित उमोजा गांव एक ऐसा गांव है जहां पुरुषों के रहने पर मनाही है. इस गांव की स्थापना 1990 मे रिबेका लोलोसली ने 14 अन्य महिलाओं जो स्थानीय ब्रिटिश सैनिकों द्वारा बलात्कार की शिकार थीं, ने साथ मिलकर की थी. ये सभी महिलाएं सम्बुरु जनजाति की महिलाएं हैं. द गार्जियन अख़बार के अगस्त 2015 के आंकड़े के अनुसार, वहां 47 महिलाएं और लगभग 200 बच्चे थे और ये गांव यौन उत्पीडन, बाल विवाह जैसे महिला विरोधी सामाजिक बुराइयों से लड़ने का केंद्र बन चुका है. आज यहां एक स्कूल और क्लिनिक भी है.

1990 के पहले इस क्षेत्र में सम्बुरु जनजाति जो मुख्य रूप पितृ सत्तात्मक रहती थी. यहां औरतों को जमीन खरीदने या रखने का अधिकार नहीं था और उन्हें पुरुषों की जागीर समझा जाता था. बच्चियों की शादी बुड्ढों से कर दी जाती थी. 1990 के दशक की शुरुआत मे लगभग 600 महिलाओं का ब्रिटिश सैनिकों द्वारा बलात्कार करने का मामला सामने आया. इन महिलाओं को उनके पतियों ने अपवित्र होने के नाम पर छोड़ दिया. कुछ महिलाओं को उनके पतियों ने बलात्कार पीड़ित पत्नी से एड्स या ऐसी कोई अन्य बीमारी होने के डर के कारण छोड़ दिया. इन्ही महिलाओं में से 15 ने इस गांव को बसाया. शुरुआत मे उन्हें इसके लिए बहुत मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा पर अंत में इन महिलाओं ने सफलता प्राप्त कर ली.

उमोजा गांव केन्या के उत्तरी भाग मे राजधानी नैरोबी से लगभग 280 किलोमीटर दूर सम्बरू काउंटी में स्थित है. यहां खुले घास के मैदानों मे मिट्टी और गाय के गोबर की मिश्रण से झोपड़ी तैयार की जाती है और जिसके चारों ओर कांटे की फेंसिंग की जाती है.

इस गांव के आय का मुख्य स्त्रोत मनके के आभूषण बनाना है इसके अलावा इस गांव की औरतें गांव के बाहरी हिस्से मे टूरिस्ट कैंप भी चलाती हैं जिससे अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. इसके अलावा घरों में कम अल्कोहल की बियर भी बनाई जाती है जिससे अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. सभी महिलाएं कुल आमदनी का दस प्रतिशत हिस्सा टैक्स के रूप देती हैं जिससे स्कूल अस्पताल और अन्य बुनियादी जरूरतें पूरी की जाती हैं. इस गांव की अपनी एक वेबसाइट भी है.

 

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