beti-bachaoदिल्ली से चंद किलोमीटर की दूरी पर है डिंगरहेरी गांव. हरियाणा के मेवात क्षेत्र के तावड़ू प्रखंड का यह गांव भारत के आम गांवों जैसा ही है. 24-25 अगस्त की रात इस गांव के एक परिवार पर कहर बरपा. पड़ोस के गांव मोहम्मदपुर के  करीब 6 युवक इस गांव में रहने वाले इब्राहिम के घर में घुस गए. घर में इब्राहिम व उनकी पत्नी रशीदन थी. घर में घुसते ही उन लोगों ने दोनों से मारपीट की और घसीटते हुए पास के दूसरे कमरे में ले गए. यहां पर इब्राहिम की बहन आयशा, उसके पति जफरुद्दीन और उनकी दो बेटियां सोई हुई थीं. उन लोगों ने पहले उन सभी लोगों से मारपीट की, फिर दोनों लड़कियों (उम्र 13 और 21 साल) के साथ बलात्कार किया. 21 वर्षीय शादीशुदा लड़की के विरोध करने पर गुंडों ने उसके मासूम बच्चे की गर्दन पर चाकू रख कर मारने की धमकी दी. अपराधियों का यह कुकृत्य करीब तीन घंटे तक चलता रहा. इस मारपीट में जहां रशीदन और इब्राहिम की मौत हो गई, वहीं आयशा और जफरुद्दीन गंभीर रूप से घायल हो गए.

पुलिसिया कार्रवाई के नाम पर जिन चार लड़कों को गिरफ्तार किया गया, उनके नाम हैं संदीप, अमरजीत, करमजीत और राहुल. गांववालों का कहना है कि इन युवकों को पहले गौरक्षा के नाम पर चंदा लेते हुए भी देखा गया है. मेवात बार एसोसिएशन से जुड़े स्थानीय नेता रमजान चौधरी भी मानते हैं कि इस घटना में जिस तरह से अपराधियों ने हिंसा की है, उससे यह एक सोची-समझी साजिश लगती है. समाजसेवी शबनम हाशमी ने चौथी दुनिया से बात करते हुए बताया कि डिंगरहेरी की घटना मुजफ्फरनगर की याद दिलाती है. वो कहती हैं कि जिस तरीके से औरतों के साथ हिंसा की गई वो एक खास पैटर्न को बताता है. उनका कहना है कि इन अपराधियों का जब फेसबुक पेज खंगाला गया तो पता चला कि वे लोग एक खास विचारधारा से ज़ुडे लोग हैं और एक खास समुदाय के प्रति नफरत से भरे हुए हैं. शबनम हाशमी मानती हैं कि डिंगरहेरी की घटना को इस एंगल से भी देखा जा सकता है.

इस घृणित और क्रूर आपराधिक कृत्य के बाद भी हरियाणा की पुलिस और सरकार तब तक संवेदनहीन बनी रही, जब तक दिल्ली से कुछ समाजसेवी और नेता डिंगरहेरी नहीं पहुंचे. घटना के दस दिनों बाद यानी 5 सितंबर को हरियाणा के परिवहनमंत्री कृष्णलाल पवार पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. पुलिस ने इस मामले में शुरू में काफी ढिलाई दिखाते हुए इस घटना को महज एक लूटपाट की घटना माना और सेक्शन 459 (चोरी की नीयत) लगाया था. लेकिन मेवात बार एसोसिएशन और दिल्ली से मेवात पहुंचे समाजसेवी शबनम हाशमी और जद (यू) सांसद अली अनवर अंसारी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने घटना की गंभीरता को समझा. इन लोगों द्वारा मामला उठाए जाने के बाद पुलिस ने इस केस में सेक्शन 307, 302 आदि जोड़े. बहरहाल, इतना होने के बाद भी यह घटना न तो हरियाणा और न ही दिल्ली की कथित नेशनल मीडिया की सुर्खियां बनी.

इसलिए, 7 सितंबर को दिल्ली में जद (यू) सांसद अली अनवर अंसारी के निवास पर डिंगरहेरी की बलात्कार पीड़िता दोनों लड़कियों और मृतक के परिवार वालों को मीडिया के सामने लाया गया, ताकि यह मामला कम से कम लोगों तक तक तो पहुंचे. अली अनवर अंसारी बताते हैं कि इस घटना में मृत लोगों के शव अभी दफनाए भी नहीं गए थे कि बलात्कार पीड़िता को पुलिस वाले जबरदस्ती मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत बयान दिलवाने ले गए. पुलिस ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पुलिस चाहती थी कि घबराहट में पीड़िता उनके मुताबिक बयान दे दे. अंसारी कहते हैं कि एक खास विचारधारा के लोगों की तिरछी नजर मेवात पर कई वर्षों से है. शबनम हाशमी ने इस घटना के बारे में बताया कि अगर कोई चोरी या डकैती करने आता है तो घरवालों के जाग जाने पर किसी को डंडे या चाकू से मार कर भाग जाते हैं न कि किसी का बलात्कार कर देते हैं या किसी की हत्या कर देते हैं. लेकिन इस घटना में चोरी या डकैती की नीयत ही नहीं थी. यहां नीयत कुछ और थी, जिसका नतीजा आज हम लोग देख रहे हैं.

दूसरी तरफ, राज्य सरकार की असंवेदनशीलता का आलम यह है कि घटना के दस दिन बाद राज्य सरकार के परिवहन मंत्री कृष्णपवार पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. पीड़ितों के लिए राज्य सरकार की ओर से पांच लाख रुपए मुआवजा की घोषणा की गई थी. बाद में पैसा देने की जिम्मेदारी हरियाणा वक्फ बोर्ड को दे दी गई. वक्फ बोर्ड ने तीन लाख रुपए की मदद की पेशकश की थी, जिसे पीड़ितों ने ठुकरा दिया. राज्य सरकार की असंवेदनशीलता से नाराज मेवात के लोगों ने 1 सितंबर को तावड़ू में महापंचायत बुलाई थी. इस महापंचायत में आसपास के जिलों के नेता और बुजुर्ग भी पहुंचे थे. इसमें इस बात पर चर्चा की गई कि राज्य सरकार ने अभी तक इस घटना पर अपनी संवेदना तक जाहिर नहीं की है और ना ही उनके पुनर्वास की कोई घोषणा की है.

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