जी बिजनेस एक फॉलोअप सीरीज चला रहा है. इसमें मोईन कुरैशी को लेकर दो एपिसोड किए गए और दोनों एपिसोड यह बताते हैं कि देश का पूरा अर्थतंत्र उन लोगों के आगे-पीछे घूम रहा है, जिनका अर्थतंत्र से कोई मतलब नहीं है, लेकिन जो अर्थतंत्र को नष्ट करने के ज़िम्मेदार हैं. इनमें हवाला व्यापारी हैं, अधिकारी हैं और कुछ राजनेता भी हैं. मुरादाबाद के हवाला व्यापारी मोईन कुरैशी के यहां छापे पड़ चुके हैं. उसके ऊपर केस चल रहा है, लेकिन उसका संबंध भारत के सीबीआई डायरेक्टर रहे रंजीत सिन्हा से रहा. सिन्हा के यहां से जो रजिस्टर बाहर आया, उसमें उसका नाम था. उसका संबंध वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से रहा और इन सारी चीजों को जी बिजनेस हिम्मत के साथ लगातार दिखा रहा है. मेरा सवाल था कि क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्कालीन आईबी डायरेक्टर ने इस तरह अर्थतंत्र को खोखला करने वाला जाल कौन चला रहा है, इसकी जानकारी दी या नहीं दी? जीवीएल नरसिम्हा राव का जवाब था, सरकार कार्रवाई कर रही है, सरकार को जानकारी है, सरकार के विभिन्न अंग यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं.

Santosh-Sir28 जनवरी की शाम देश के लोकप्रिय बिजनेस चैनल जी बिजनेस के ऊपर बिग डिबेट हो रहा था और इस डिबेट का विषय था, मोईन कुरैशी का खुलासा. जी बिजनेस एक फॉलोअप सीरीज चला रहा है. इसमें मोईन कुरैशी को लेकर दो एपिसोड किए गए और दोनों एपिसोड यह बताते हैं कि देश का पूरा अर्थतंत्र उन लोगों के आगे-पीछे घूम रहा है, जिनका अर्थतंत्र से कोई मतलब नहीं है, लेकिन जो अर्थतंत्र को नष्ट करने के ज़िम्मेदार हैं. इनमें हवाला व्यापारी हैं, अधिकारी हैं और कुछ राजनेता भी हैं. मुरादाबाद के हवाला व्यापारी मोईन कुरैशी के यहां छापे पड़ चुके हैं. उसके ऊपर केस चल रहा है, लेकिन उसका संबंध भारत के सीबीआई डायरेक्टर रहे रंजीत सिन्हा से रहा. सिन्हा के यहां से जो रजिस्टर बाहर आया, उसमें उसका नाम था. उसका संबंध वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से रहा और इन सारी चीजों को जी बिजनेस हिम्मत के साथ लगातार दिखा रहा है.
पिछले एपिसोड में, जो लगभग 20 दिन पहले हुआ, मैंने यह सवाल पूछा और यह सवाल भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव से था कि जितना मैं सरकार के काम करने के तरीके को जानता हूं, अगर कोई आदमी खुफिया विभाग के लोगों से, सीबीआई के लोगों से, वित्त मंत्रालय के लोगों से, राजनीतिक लोगों से सीधा रिश्ता रखता है, तो उसकी जानकारी आईबी के पास होती है और जब इस पैमाने पर देश को खोखला करने वाले क्रियाकलाप हो रहे हों, तो उनके बारे में किसी समय आईबी डायरेक्टर ने प्रधानमंत्री को जानकारी ज़रूर दी होगी, क्योंकि प्रत्येक रात 10 बजे के आस-पास हर क़ीमत पर आईबी के डायरेक्टर को प्रधानमंत्री के पास जाना होता है और ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियां देनी होती हैं.
मेरा सवाल था कि क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्कालीन आईबी डायरेक्टर ने इस तरह अर्थतंत्र को खोखला करने वाला जाल कौन चला रहा है, इसकी जानकारी दी या नहीं दी? जीवीएल नरसिम्हा राव का जवाब था, सरकार कार्रवाई कर रही है, सरकार को जानकारी है, सरकार के विभिन्न अंग यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं. मैंने उनकी बात को सत्य मान लिया और तब मैंने उसी बहस में कहा कि यह इतना बड़ा मसला है, जो सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इस देश के जितने भी ऐसे ग्रुप हैं, जिनमें हथियारों की लॉबी है, जिनमें हवाला लॉबी है, जिनमें अंडरवर्ल्ड है और जिनमें वे राजनेता हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को बनाने में नहीं, बल्कि खोखला करने में जुटे हुए हैं. इस नेक्सस के ख़िलाफ़ फौरन निगरानी ही नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए और उस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए, क्योंकि इससे अच्छा विषय निगरानी करने का कोई और हो नहीं सकता. इस पर जीवीएल नरसिम्हा राव का जवाब था कि हर चीज में हम सुप्रीम कोर्ट को क्यों लाते हैं. हमें तो सरकार के ऊपर विश्‍वास करना चाहिए. हमने जीवीएल नरसिम्हा राव का उस समय विश्‍वास कर लिया.
28 जनवरी की शाम मोईन कुरैशी को लेकर जी बिजनेस ने तीसरा खुलासा किया. खुलासा करने वाले जी बिजनेस के संपादक अमीष देवगन थे, जिन्होंने पिछले दो खुलासे किए थे. इस तीसरे खुलासे में उन्होंने इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल रहे रोनाल्ड के नोबेल से मोईन कुरैशी का रिश्ता स्थापित किया और यह साबित किया कि जिस समय 9/11 को अमेरिका में ट्विन टॉवर के ऊपर आतंकी हमला हुआ था, उस समय भी यह सज्जन इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल थे. अमीष देवगन के खुलासे में नोबेल ने ई-मेल के ज़रिये दिए गए जवाब में माना कि वह मोईन कुरैशी से उपहार लेते थे और उसे उपहार देते भी थे. सवाल यह है कि मोईन कुरैशी नामक यह सज्जन हिंदुस्तान के ऐसे सर्वाधिक ताकतवर लोगों में हैं, जिनका सीबीआई के डायरेक्टर से भी रिश्ता है, जिनका मंत्रियों से भी रिश्ता है, जिनका वित्त मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों से भी रिश्ता है और जिनका इंटरपोल से भी रिश्ता है.

जीवीएल नरसिम्हा राव को अपनी ग़लती का एहसास हुआ होगा. अगर उन्हें एहसास नहीं हुआ है, तो उन्हें एहसास कर लेना चाहिए कि अगर वह टेलीविजन पर आकर इस तरह की ग़ैर ज़िम्मेदाराना बात करेंगे, तो उन्हें टेलीविजन पर नहीं आना चाहिए. वह भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के लिए एक अभिशाप बन जाएंगे. जितनी तैयारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को सुधारने की कर रहे हैं, उसमें अपनी अज्ञानता से पलीता लगाने का काम जीवीएल नरसिम्हा राव जैसे लोग करेंगे. तथ्य रखना ही हमारा फर्ज है, हमारा पेशा है. किसी को बचाना हमारा पेशा नहीं है. किसी को कवर करना हमारा कर्तव्य नहीं है. हमारा कर्तव्य है कि जहां पर भारतीय व्यवस्था में गड़बड़ियां हों, घुन लगा हो, दीमक लगी हुई हो, उसे उजागर करना है. इसलिए अब फिर से, प्रधानमंत्री से मेरा यह आग्रह है कि कृपा करके अपने व्यस्त समय में से आधा घंटा इस केस के ऊपर भी दीजिए और देखिए कि मोईन कुरैशी जैसे लोगों ने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के किन-किन लोगों को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले रखा है और उनके साथ मिलकर वह देश में आख़िर कर क्या रहे हैं?

पैनल में कई सारे लोग थे. मैंने इस सारी घटना का विश्‍लेषण किया. मैंने यह कहा कि यदि मनमोहन सिंह के समय मनमोहन सिंह के पास जानकारी थी, उनके अधिकारियों के पास जानकारी थी और फिर उसके ऊपर कोई जांच नहीं हुई, तो क्या यह न माना जाए कि उन सारे लोगों की संलिप्तता देश विरोधी कामों में है? तब आज, जबकि इतने बड़े तीन खुलासे हो चुके हों और उन तीन खुलासों के बाद भी सरकार न जागे और कोई कार्रवाई न करे, तो इसे क्या माना जाए? क्या इसे वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा की गई अनदेखी नहीं मानना चाहिए? मेरी बात पूरी हुई भी नहीं थी कि जीवीएल नरसिम्हा राव को लगा कि मैं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को इसमें शामिल कर रहा हूं. हालांकि, उन्हें उस समय बहुत अच्छा लगा था, जब मैंने मनमोहन सिंह की बात कही थी. लेकिन, उन्होंने बिना विश्‍लेषण का मर्म समझे मेरी बात को बकवास करार दे दिया. इसके पहले जीवी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इस मामले में क्या कार्रवाई हो रही है, लेकिन सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए.
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अतुल अंजान ने कहा कि सीबीआई इंटरपोल का हिस्सा है और सीबीआई को एक पत्र लिखना चाहिए. सभी लोगों ने, जिनमें जयंत घोषाल, कमाल फारुकी शामिल थे, इसका समर्थन किया था. मैं यह कहना चाहता था कि जीवीएल नरसिम्हा राव अगर टेलीविजन पर आए हैं और अगर इतने महत्वपूर्ण मसले पर आए हैं, तो उन्होंने अपने पहले वक्तव्य में कॉमा-फुलस्टॉप वही कहा था, जो उन्होंने इस बार कहा है. उन्होंने कोई नई बात नहीं बताई कि सरकार इसके ऊपर कैसे कार्रवाई करेगी, बल्कि उन्होंने यह कह दिया कि उन्हें नहीं मालूम कि सरकार क्या कार्रवाई कर रही है, सरकार को यह-यह कार्रवाई करनी चाहिए. इसका मतलब कि मोईन कुरैशी का मसला, जिसका रिश्ता इतने सारे लोगों से है और जो अपराध में पकड़ा जा चुका है, जिसके ऊपर मुकदमे चल रहे हैं, उसके साथ अगर भारत सरकार के लोगों का रिश्ता रहता है, तो क्या यह इस सरकार के लिए चिंता की बात नहीं है.
जीवीएल नरसिम्हा राव आपे से बाहर हो गए और उन्होंने कहा कि आप बकवास कर रहे हैं. आप इस बात को वापस लीजिए, नहीं तो मैं चैनल पर नहीं आऊंगा. मुझे समझ में नहीं आया कि मैंने इसमें कौन-सी बकवास की है. जीवीएल नरसिम्हा राव भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता हैं और उस टीम के सदस्य हैं, जिसके मुखिया देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं. इसका मतलब यह कि सारे सवाल पत्रकार उठाता रहे, दूसरे शब्दों में जी बिजनेस सवाल उठाता रहे और सरकार कोई कार्रवाई न करे. इसे क्या माना जाए? सरकारी कार्रवाई का एक तरीका यह हो सकता है कि वह जी बिजनेस से कहे कि जी बिजनेस उसे सारे तथ्य दे. और, अगर तथ्य ग़लत साबित हुए, तो वह जी बिजनेस के ऊपर कार्रवाई करे या उसके संपादक अमीष देवगन के ऊपर कार्रवाई करे. लेकिन अगर तथ्य सही हुए, तो इस देश को खोखला करने वाले एक बड़े षड्यंत्र की जांच होगी और देश सुधरेगा.

जीवीएल नरसिम्हा राव यही नहीं रुके. उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आप आम आदमी पार्टी के सदस्य हैं. इसलिए आप यह बात कह रहे हैं. अब मुझे लगा कि जीवी एल नरसिम्हा राव मुझे आम आदमी पार्टी का सदस्य बता रहे हैं. इसका मतलब है कि वह बेशर्म हैं और बेशर्मी के साथ झूठ बोल रहे हैं और यही मैंने टेलीविजन पर कहा. मैंने कहा कि मैं न बात वापस लूंगा और आप बेशर्मी कर रहे हैं. कहना तो मैं यह चाहता था कि अगर मैं आम आदमी पार्टी का सदस्य हूं, तो साबित करें. यदि साबित करते हैं, तो मैं पत्रकारिता छोड़ देता हूं, वर्ना वह राजनीति छोड़ दें. किसी पत्रकार को किसी पार्टी का सदस्य नहीं होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है.
मैं यह बात इसलिए लिख रहा हूं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को उस पार्टी की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए कि पार्टी के लोग ही अपराधियों के अपराध को अनदेखा करने का अपराध करें. हमारे देश के लोगों का विश्‍वास संवैधानिक संस्थाओं से उठता जा रहा है. इसका ताजा उदाहरण सीबीआई है, जिसके डायरेक्टर के ऊपर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां आई हैं. और, अब जबकि इतने बड़े खुलासे हो रहे हों और भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता यह कहे कि यह सब तो कांग्रेस के जमाने में भी होता रहा, तब कांग्रेस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? तो इसका मतलब यह निकलता है कि कांग्रेस ने कार्रवाई नहीं की, इसलिए आप भी कार्रवाई नहीं करेंगे. इसका दूसरा मतलब यह होता है कि जिन लोगों ने कांग्रेस के जमाने में पूरे अर्थतंत्र को तबाह करने की साजिश की और वहां अपने-अपने लोग चुने, जिन्हें उन्होंने फ़ायदा पहुंचाया, क्या वही काम वे भारतीय जनता पार्टी के साथ तो नहीं कर रहे हैं? यह निष्कर्ष निकालना आसान है.
मैं विनम्रता के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन करना चाहता हूं कि आपका यह दायित्व है कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं के ऊपर लोगों का विश्‍वास फिर कायम करें. मैं यह नहीं मानता कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री हैं. वे देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री हैं. यह उनका दायित्व है कि वे मोईन कुरैशी जैसी घटना को एक व्यक्तिगत घटना न बताएं. जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि मोईन कुरैशी के ऊपर कार्रवाई चल रही है. यह ग़लत नज़रिया है. सही नज़रिया यह है कि मोईन कुरैशी के ऊपर कार्रवाई चल रही थी. लेकिन, मोईन कुरैशी के संबंध जैसे ही सीबीआई डायरेक्टर, वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, कुछ मंत्रियों, कुछ भूतपूर्व मंत्रियों के साथ उजागर हुए और अब इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल के साथ उसके संबंध उजागर हुए, उसे देखते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह को वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के साथ बात करके तत्काल गंभीर जांच बैठानी चाहिए और यह जांच तेजी से होनी चाहिए, क्योंकि यह दीमक है, जो भारतीय अर्थतंत्र में लग चुकी है.
मैं यह विश्‍वास करता हूं कि जीवीएल नरसिम्हा राव को अपनी ग़लती का एहसास हुआ होगा. अगर उन्हें एहसास नहीं हुआ है, तो उन्हें एहसास कर लेना चाहिए कि अगर वह टेलीविजन पर आकर इस तरह की ग़ैर ज़िम्मेदाराना बात करेंगे, तो उन्हें टेलीविजन पर नहीं आना चाहिए. वह भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के लिए एक अभिशाप बन जाएंगे. जितनी तैयारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को सुधारने की कर रहे हैं, उसमें अपनी अज्ञानता से पलीता लगाने का काम जीवीएल नरसिम्हा राव जैसे लोग करेंगे.
मैं एक तथ्य सामने रख रहा हूं. जीवीएल नरसिम्हा राव से कहना चाहता हूं कि तथ्य रखना ही हमारा फर्ज है, हमारा पेशा है. किसी को बचाना हमारा पेशा नहीं है. किसी को कवर करना हमारा कर्तव्य नहीं है. हमारा कर्तव्य है कि जहां पर भारतीय व्यवस्था में गड़बड़ियां हों, घुन लगा हो, दीमक लगी हुई हो, उसे उजागर करना है. इसलिए अब फिर से, प्रधानमंत्री से मेरा यह आग्रह है कि कृपा करके अपने व्यस्त समय में से आधा घंटा इस केस के ऊपर भी दीजिए और देखिए कि मोईन कुरैशी जैसे लोगों ने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के किन-किन लोगों को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले रखा है और उनके साथ मिलकर वह देश में आख़िर कर क्या रहे हैं? मोदी जी, सुनने और समझने की कोशिश कीजिए. आप अच्छे प्रधानमंत्री माने जाते हैं. आशा है, आप इस पर ध्यान देंगे.

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