delhi-ka-babuसत्ता किसकी है, यह अलग बात है, लेकिन कई बार सत्ता संघर्ष में स्थितियां जटिल हो जाती हैं, जैसे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-राज्यपाल नजीब जंग के बीच अस्थायी मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर हुआ मौजूदा संघर्ष तेजी से गंदा स्वरूप लेता जा रहा है. हालांकि, क़ानून के जानकार इस बात की तस्दीक करने में जुटे हैं कि संवैधानिक रूप से कौन ज़्यादा मजबूत स्थिति में है, लेकिन इस पूरे विवाद के बीच में नौकरशाह फंस गए हैं और असहाय नज़र आ रहे हैं. मुख्य सचिव केके शर्मा के दस दिनों के लिए छुट्टी पर जाने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन को उप-राज्यपाल ने कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया था. पहले तो मुख्यमंत्री ने नौकरशाहों को यह आदेश दिया कि कोई भी फाइल उनके पास होकर न जाए. गैमलिन ने गृह मंत्रालय से उनके ऊपर केजरीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों की शिकायत की है. इससे यह तो सा़फ हो गया है कि लड़ाई यहीं पर थमने नहीं जा रही है. मुख्यमंत्री ने नजीब जंग को कार्यवाहक मुख्य सचिव के लिए लोगों के नाम सुझाने की वजह से प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनिंदो मजूमदार का ट्रांसफर कर दिया और उनके कमरे के बाहर ताला लगा दिया. केजरीवाल और जंग दोनों दावा कर रहे हैं कि दोनों की लड़ाई से प्रशासन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. कई वरिष्ठ नौकरशाह इस विवाद से बाहर आने का रास्ता तलाशने लगे हैं. परिणाम स्वरूप आईएएस और दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह प्रशासनिक सेवा के 45 अधिकारियों ने अपने तबादले के लिए आवेदन कर दिया है तथा छह अधिकारी पहले ही छुट्टी पर चले गए हैं. कुछ दिल्ली के बाहर अपना तबादला कराना चाहते हैं. एक अ़फवाह यह उड़ रही है कि शर्मा ने भी अपनी छुट्टियां बढ़ाने का आग्रह किया है. ऐसा भी हो सकता है कि वह अपने पद पर वापस न लौटने की योजना बना रहे हों.

 

नियुक्तियों में तेजी

कई संस्थानों में शीर्ष स्तर पर रिक्तियां चिंता का विषय बन गई हैं. दरअसल, संसद में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए अपने हमले में इन रिक्तियों का ज़िक्र किया था. बीते सप्ताह एक स्तंभकार ने अपने आलेख में यह समझाया कि किस तरह पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज सेलेक्शन बोर्ड (पीईएसबी) को गुणवत्ता की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद से इस तरह की नियुक्तियों पर छिटपुट हलचल दिखाई दी है. जाहिर है, सरकार ट्राइ में राहुल खुल्लर के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के मसले पर तेजी दिखा रही है. अभी तक इसके लिए सचिव स्तर के सात अधिकारियों के इंटरव्यू लिए जा चुके हैं, जिनमें आईटी सचिव आरएस शर्मा, आईबी सचिव बिमल जुल्का, वाणिज्य सचिव राजीव खेर, रक्षा सचिव आरके माथुर, स्पात सचिव राकेश सिंह और पूर्व संचार सचिव एमएफ फारूकी शामिल हैं. इस संबंध में निर्णय जल्दी आ सकता है. इसी तरह नए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की नियुक्ति भी जल्दी हो सकती है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की वजह से हो रहा है.

 

कला प्रेमियों को झटका 

देश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर सरकार के रुख को लेकर राजधानी के सांस्कृतिक हलकों में घबराहट दिखाई पड़ रही है. पिछले महीने मोदी सरकार ने देश के दस प्रमुख राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठनों में रिक्तियां भरने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की और संस्कृति मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव केके मित्तल को ललित कला अकादमी में केंद्र सरकार के प्रशासक के रूप में नियुक्तकर दिया. इसकी वजह से यह संस्थान कम से कम तीन साल के लिए मंत्रालय के अंतर्गत आ गया है. कुदरती तौर पर कला-संस्कृति के जानकार एक नौकरशाह को इस कुर्सी पर बैठाने के सरकार के निर्णय से खुश नहीं हैं. दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक वेणु वासुदेवन को एक आईएएस अधिकारी होने के बावजूद सांस्कृतिक हलकों में नेशनल म्यूजियम का कायाकल्प करने की वजह से जाना जाता है. अचानक उनका तबादला खेल मंत्रालय में कर दिया गया. कई और बदलाव भी हुए हैं. यदि मित्तल की ललित कला अकादमी में नियुक्ति सरकार की ओर से कोई संकेत है, तो सरकार के इस निर्णय से राजधानी के कला-संस्कृति से जुड़े लोग खुश नहीं हैं.

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