jharkhandझारखण्ड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में 55 करो़ड की लागत से बनाए गए राष्ट्रीय स्तर का बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. समुचित रख-रखाव के अभाव में ग्राउंड की हरी-भरी घासें सूख गईं हैं. कई जगहों पर ग्राउंड की चहारदीवारी में दरारें आ गई हैं. खेल का मैदान स्तरीय फुटबॉल मैच के आयोजन लायक नहीं रह गया है. अब इस स्टेडियम को होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने लीज पर देने का निर्णय लिया है. विदित हो कि राजधानी रांची में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन हुआ. उस आयोजन के पहले फुटबॉल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने का उद्देश्य था. जिसके लिए इस स्टेडियम का निर्माण राज्य सरकार की ओर से कराया गया था.

राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के बाद इस स्टेडियम में एक या दो स्तरीय फुटबॉल मैचों का आयोजन किया गया. इसके बाद धीरे-धीरे स्टेडियम के रख-रखाव के प्रति लापरवाही उजागर होने लगी. महज पांच साल में ही स्टेडियम का नजारा बदल गया. जहां हरी घासें नजर आती थीं, वहां अब मिट्‌‌‌टी नजर आने लगी है. इसमें एक साथ 36 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है. वर्ष 2011 में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के दौरान ही इसमें फुटबॉल मैच व रग्बी का आयोजन किया गया था.

इसके बाद फुटबॉल मैच की जगह यहां कई क्रिकेट मैचों का आयोजन किया गया. यह विडंबना ही कही जाएगी कि फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने व राज्य के फुटबॉल प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से बनाए गए इस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा. राज्य सरकार के खेलकूद, युवा कार्य विभाग की ओर से विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए स्टेडियम को किराए पर दिया जाने लगा. इससे मैदान की हरियाली व खूबसूरती खत्म होने लगी. अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ग्राउंड में कहीं भी हरी घास देखने को नहीं मिलेगी.

स्टेडियम को किराए पर देकर खेल विभाग राजस्व की प्राप्ति तो कर रहा है, लेकिन स्टेडियम के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कहने को तो फुटबॉल ग्राउंड है, लेकिन यहां क्रिकेट, म्यूजिकल और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जा रहे हैं. स्टेडियम में फुटबॉल मैचों के आयोजन के प्रति खेल विभाग भी उदासीन है. पांच साल में स्टेडियम का रंग-रोगन भी नहीं किया गया. स्टेडियम के भीतर बाथरूम व शौचालय आदि की भी स्थिति बदतर होती जा रही है.

राज्य सरकार की ओर से बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में थ्री स्टार होटल बनाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए सरकार ने स्टेडियम स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस, स्वीमिंग पुल सहित अन्य कई हिस्से को होटल के रूप में तब्दील कर लीज पर देने का निर्णय लिया है. जानकारी के मुताबिक सरकार 30 वर्षों के लिए लीज पर होटल संचालन का जिम्मा निजी क्षेत्र के उद्यमी या व्यवसायी को देगी.

इसके बदले में संबंधित कंपनी या प्रतिष्ठान झारखंड खेल प्राधिकरण को प्रत्येक वर्ष 37 लाख रुपये का भुगतान करेगा. स्टेडियम के प्रस्तावित इस क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधायुक्त क्लब सहित थ्री स्टार होटल की सुविधा उपलब्ध होगी. जानकारी के अनुसार इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है. लेकिन राज्य के युवा कार्य विभाग या अन्य संबंधित विभाग का कोई भी पदाधिकारी इस संबंध में आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं है. झारखंड को देश के परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. फुटबॉल, हॉकी, एथलिट समेत अन्य खेलों के लिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में कभी झारखंड आगे रहा करता था.

लेकिन हाल के वर्षों में झारखंड के राज्य मुख्यालय स्थित राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियमों को देखने वाला कोई नहीं है तो अन्य खेल मैदानों की तो बात ही छोड़ दिजिए. जबकि वर्ष 2011 में रांची में हुए राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में झारखण्ड के खिलाड़ियों ने अधिक मेडल लेकर राज्य का मान-सम्मान बढ़ाया था. लेकिन आज बिरसा मुण्डा फुटबॉल स्टेडियम की हालत देखकर हर खेल प्रेमी को राज्य सरकार की संवेदनहीनता पर दुख है.

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