असम के दरांग इलाकों में पुलिस-ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प के बाद खौफनाक वीडियो सामने आया है। अधमरा व्यक्ति के साथ पुलिस और कैमरामैन की बर्बरता और क्रूरता भी दिख रहा है। पुलिस फायरिंग में मारे गए शख्स पर कैमरामैन कूद रहा है और पत्थर से मार रहा है। वहीं, पुलिस के जवान भी उसपर लाठी बरसा रहे हैं। ग्रामीणों पर अवैध कब्जा करने और पुलिस पर पत्थरबाजी करने का आरोप है। सोशल मीडिया पर पुलिस और कैमरामैन की बेरहमी वाला वीडियो सामने आ रहा है। हालांकि, वीडियो वायरल होने के बाद कैमरामैन को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, असम सरकार ने इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।

दरअसल, पिछले दिनों पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। वहीं, नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। वीडियो में दिख रहा है कि एक शख्स अधमरी हालत में जमीन पर पड़ा हुआ है। उस पर एक फोटोग्राफर बेरहमी से कूद रहा है और उसे मार रहा है।

शव पर पुलिस ने लाठी बरसाई, फोटोग्राफर ने पैरों से रौंदा
घटना का वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि मर चुके एक ग्रामीण पर पुलिसकर्मी लगातार डंडे बरसा रहे हैं। इतना ही नहीं, पुलिस के साथ मौजूद एक ऑफिशियल फोटोग्राफर भी कभी घुटने के बल तो कभी कूदकर-कूदकर दोनों पैरों से शव की छाती और चेहरे पर हमला कर रहा है।

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे घटना की जांच
इधर, देर शाम राज्य सरकार ने घटना की जांच गुवाहाटी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने की घोषणा की है। पूरे मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया है। उन्होंने हिंसा के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को दोषी बताया है। उन्होंने घटना को पूरी तरह प्रायोजित बताया है। राहुल ने लिखा, ‘असम राज्य प्रायोजित आग में जल रहा है। मैं असम में अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा हूं।’

आखिर क्यों हटाया जा रहा अतिक्रमण
राज्य में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यहां से अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया था। सरकार का कहना है कि इस जमीन का उपयोग कृषि परियोजना के लिए किया जाएगा। वहीं स्थानीय मीडिया का कहना है कि, गांव की 120 बीघा जमीन को खाली कराया गया था, जो कथित तौर पर प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ी थी। इस गांव में ज्यादातर पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमान रहते हैं।

अतिक्रमणकारियों पर सरकार का बुलडोजर
असम सरकार अवैध जमीन पर कब्जा हटाने को लेकर नई सरकार बनने के बाद यानी जून से ही अभियान छेड़े हुए है। 20 सितंबर को इसी के तहत दरांग जिले के सिपाझार में प्रशासन ने लगभग 4,500 बीघा जमीन से कब्जा हटाने का दावा किया है। यहां 800 परिवारों ने अवैध कब्जा जमा रखा था। खुद राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

गुरुवार को प्रशासन ने एक बार फिर से करीब 200 परिवार के खिलाफ इस अभियान को शुरू किया। अतिक्रमणकारियों ने इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और लाठी-डंडे से लैस होकर पुलिस पर हमला कर दिया। इसके बाद ही फायरिंग की घटना हुई।

कांग्रेस ने कहा- हाईकोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे CM
असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने अतिक्रमणकारियों पर पुलिस की फायरिंग को बर्बर कार्रवाई बताया है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि कोरोना महामारी के संकट में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान को रोकने का निर्देश दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की मनमानी के चलते 1970 के दशक से धौलपुर में बसे लोगों से जमीन खाली करवाई जा रही है। सरकार को हटाना ही था तो पहले उनके रहने की व्यवस्था करते।

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