सेना प्रमुख बिपिन रावत के बांग्लादेश घुसपैठियों पर दिए गए बयान के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सेना प्रमुख का काम राजनीतिक दलों पर बयान देना नहीं है. वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने इस मामले को तूल नहीं देने की बात कही है. पार्टी का मानना है कि सेना प्रमुख के बयान पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. इन तमाम बयानों के बीच सेना ने बिपिन रावत के बयान का समर्थन किया है. बिपिन रावत ने कहा था कि वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण ही असम में एआईयूडीएफ जैसा संगठन भाजपा से भी तेजी से बढ़ा है.
इधर, सेना ने कहा है कि उनके बयान में कुछ भी राजनीति नहीं है और न ही यह किसी धर्म से जुड़ा है. ओवैसी ने कहा कि सेना प्रमुख को किसी राजनीतिक पार्टी के विकास पर सवाल खड़ा करने की इजाजत लोकतंत्र और संविधान नहीं देता है. उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सेना प्रमुख ने मौजूदा समस्या के बारे में जानकारी दी है. इस पर अनावश्यक विवाद नहीं होना चाहिए.
सेना प्रमुख पूर्वोत्तर सीमा सुरक्षा पर राजधानी दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे. बिपिन रावत ने कहा था कि असम में एक पार्टी Aएआईयूडीएफ है. भाजपा 1984 में 2 सीटों से बढ़कर आज यहां तक पहुंची है. उससे ज्यादा तेजी से यह पार्टी बढ़ी है. उन्होंने मुस्लिमों की बढ़ती आबादी पर एक रिपोर्ट की भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि असम में बाहर से मुस्लिम आबादी बड़ी तादाद में आ रही है. ये लोग काफी पहले ही आ चुके हैं. ये लोग अब असम और नॉर्थ ईस्ट के इलाकों पर भी दावा करने लगे हैं.

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