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भारत के अर्जुन वाजपेयी कंचनजंगा का सफल पर्वतारोहण कर 8,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली 6 पर्वत चोटियों को फतह करने वाले दुनिया के सबसे युवा व्यक्ति बन गए हैं। उनकी मां प्रिया वाजपेयी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। प्रिया कहती हैं कि अर्जुन ने अपने हौसले के दम पर यह कारनामा कर दिखाया।

प्रिया कहती हैं, ‘समुद्र तल से 7550 मीटर ऊंचाई पर बने बेस कैंप 4 पर जब अर्जुन के कदम पड़े, उसकी सांसें फूल रहीं थीं, पर हौसला कंचनजंगा की तरह बुलंद था। बफीर्ली हवाओं के बीच निगाह उस चोटी पर थी जहां उसे तिरंगा फहराना था। मौसम अब उसके सफर के अनुकूल था। थोड़े आराम के बाद उसने ऑक्सीजन सिलिंडर पीठ पर लादा और अपने मजबूत कदम बर्फीले पहाड़ पर धंसा दिए।’

अर्जुन की मां प्रिया वाजपेयी जब अपने सपूत के हौसले की कहानी सुना रही थीं, उनकी आवाज खुशी से कंपकंपा रही थी। कंचनजंगा फतह करने के 2 दिन बाद 22 मई को उनकी अर्जुन से बात हो पाई। वह सैटेलाइट फोन से बात कर रहा था। कैंप 3 पहुंचने से पहले मौसम खराब था तो मन में थोड़ा संदेह था कि क्या इस बार भी खाली हाथ लौटना होगा। कैंप 3 पहुंचते ही मौसम साफ हो गया। इसके बाद अर्जुन कैंप 4 पहुंचा। यहां से 19 मई को दोपहर 12 बजे उसने समिट पुश के लिए चढ़ना शुरू किया।

लगातार चढ़ाई के बाद अर्जुन ने 20 मई की सुबह 8:05 बजे कंचनजंगा को फतह कर लिया। इसके तुरंत बाद वह पहले बेस कैंप पर लौट आया। इस दौरान उसने 16 घंटे चढ़ाई की। शुरू में उसने बिना ऑक्सीजन सिलिंडर लिए चढ़ाई की थी लेकिन बाद में उसने सिलिंडर लेकर चढ़ाई पूरी की। अब वह चोटी से उतर कर एक छोटे गांव में है। पिछले 3 दिन से फिर उससे बात नहीं हो पाई है। वहां मौसम बहुत खराब है और उसे लेने गया चॉपर कई बार वापस लौट चुका है। अब तो बस उसके आने का इंतजार कर रही हूं।

अर्जुन की मां कहती हैं, ‘मैं उसे कभी भी बहुत ज्यादा इनकरेज नहीं करती हूं क्योंकि वह बहुत जोशीला है और इस चक्कर में जोखिम उठा लेता है। मैं बस यही कहती हूं कि मौसम साफ हो तभी चढ़ाई करना। 9 जून को उसका जन्मदिन है और वह 25 साल का हो जाएगा। कंचनजंगा चोटी को जीतना उसके लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है।’

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