“ऐसी रिपोर्टिंग कभी न करनी पड़े”

संसार का सबसे भीषण मानवीय अपराध 1984 में आज की तारीख़ याने तीन दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की भयानक शक्ल में हमारे सामने आया था । उन दिनों के पल पल के हाल पर मैने एक डायरी लिखी थी । यह देश के लोकप्रिय और श्रेष्ठ साप्ताहिक रविवार के संस्थापक संपादक सुरेन्द्र प्रताप सिंह के अनुरोध पर लिखी गई थी । मैने डायरी एयर पैकेट से कोलकाता भेज दी । उन दिनों फैक्स या मेल सुविधा नहीं थी । विमान सेवा की गड़बड़ी से डायरी रविवार के दफ्तर में दो महीने बाद कलकत्ता पहुँची । तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी । इसलिए अप्रकाशित ही रही । मैं भी भूल गया ।
इसके क़रीब तीस बरस बाद इसका प्रकाशन हो पाया ।आदिकाल के दोस्त लीलाधर मंडलोई (Leeladhar Mandloi) उस समय भारतीय ज्ञानपीठ के मुखिया थे । एक शाम दिल्ली में डिनर पर हम साथ थे । बातों बातों में डायरी का ज़िक्र आया और उन्होंने ज्ञानोदय में इस लंबी डायरी को छाप दिया । प्रस्तुत है ज्ञानोदय में प्रकाशित वही डायरी ।भोपाल गैस त्रासदी के 38 साल पूरे होने पर । आपको इतिहास के इस क्रूर अध्याय के पहले दिन से लेकर स्थिति सामान्य होने तक पल पल की जानकारी मिलेगी । आभार मंडलोई जी ।

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