एपको न सिर्फ मोदी को भारत के प्रधानमंत्री पद के सबसे मज़बूत उम्मीदवार के तौर पर स्थापित कर रही है, बल्कि वह 2014 के चुनावों की खातिर मोदी के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और बाज़ार से धन भी इकट्ठा कर रही है. इसी के बूते मोदी ने पार्टी फंड में भी सात सौ करोड़ रुपये देने का वादा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से कर दिया है.
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इन दिनों हिन्दुस्तानी सियासत की एक बिसात अमेरिका में भी बिछती है. भारत का प्रधानमंत्री कौन बनेगा और किस तरह बनेगा, यह बात इन दिनों वहीं तय हो रही है. ज़ाहिर है कि जब राहुल गांधी, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सलाहकार स्टीफनी कटर से प्रधानमंत्री बनने के गुर सीख रहे हों, तो भला नरेन्द्र मोदी कैसे पीछे रह जाते. लिहाज़ा, नरेन्द्र मोदी ने खुद को भारत का प्रधानमंत्री बनाने का ठेका, इजराइल से ग़हरे ताल्लुक़ात रखने वाली अमेरिका की एक लॉबिंग और पीआर एजेंसी, एपको वर्ल्डवाइड को दे दिया है. एपको की स्ट्रैट्जी है-समाधान के तौर पर आक्रामकता को बेचना. मोदी की आक्रामक शैली इस बात की ग़वाह है.

दरअसल, एपको ही वह पब्लिक रिलेशन कंपनी है, जो भारत में सोशल नेटवर्किंग साइट  Aफेसबुक की मार्केटिंग और प्रचार-प्रसार का सारा काम-काज देखती है. अब ऐसी स्थिति में ज़ाहिर है कि फेसबुक पर नरेन्द्र मोदी का ही साम्राज्य क़ायम होगा.
पूर्व नाइजीरियन तानाशाह सानी अबाचा और ता-ज़िन्दगी कजा़ख्स्तान के राष्ट्रपति बने रहने वाले तानाशाह नूर सुल्तान ऐबिशुली नज़रबायेव की ब्रांडिंग करने वाली कंपनी एपको वर्ल्डवाइड की फाउंडर प्रेसीडेंट मार्गेरी  क्राउस ने मोदी को यह भरोसा दिलाया है कि उनकी लॉबिंग कंपनी एपको मोदी को हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर शर्तिया बैठाएगी. लॉबिंग और पीआर में माहिर एपको के साथ अमेरिकन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व सीनेटर, दूसरे देशों के पूर्व राष्ट्राध्यक्षों सहित भारत के पूर्व विदेश सचिव तथा अमेरिका और इंग्लैंड में भारत के राजदूत रह चुके ललित मान सिंह भी काम करते हैं.
मार्गेरी क्राउस ने नरेन्द्र मोदी के सिर पर प्रधानमंत्री का ताज सजाने का ज़िम्मा एपको के इंडिया ऑफिस के प्रबंध निदेशक सुकांति घोष को सौंपा है. सुकांति और उनकी टीम, मोदी को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने के लिए दिन-रात काम कर रही है. मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की सुकांति घोष की मुहिम में बारह अमेरिकी कम्युनिकेशंस एक्सपर्ट की टीम शामिल है, जो सुकांति घोष के मुंबई ऑफिस में बैठकर काम करती है. सुकांति घोष हर दिन नरेन्द्र मोदी को एक मीडिया डॉकेट तैयार करके देते हैं, जिसमें उनकी मीडिया स्ट्रैट्जी से लेकर हर वो बात शामिल होती है, जो मोदी को पीएम की कुर्सी पर काबिज़ कराने की दिशा में आगे बढ़ा सके. नरेन्द्र मोदी हर रात सुकांति घोष से फोन पर घंटों बाते करते हैं. सुकांति से वह नये-नये राजनीतिक जुमलों और मुहावरों पर चर्चा करते हैं और यह तय करते हैं कि उन्हें जनता के सामने कब और क्या बोलना है. फिर अपनी बात का असर जानने के लिए मोदी, सुकांति से फीडबैक भी लेते हैं. मोदी ने सुकांति और उनकी टीम को अपने तरीके से काम करने की पूरी छूट दी हुई है, क्योंकि सुकांति ने उनसे पहले ही कह रखा है कि अगर नरेन्द्र मोदी उन्हें स्वतंत्र होकर अपने तरीके से काम करने दें, तो एपको की टीम उन्हें भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकती है. मोदी को हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री बनाने से जुड़ा सारा कारोबार एपको के मुंबई ऑफिस से संचालित होता है, जबकि अमेरिका स्थित टीम ब्रांड मोदी के रियल टाइम को मैनेज करती है. यह पीआर और लॉबिंग कंपनी, विदेशी पत्र-पत्रिकाओं और लेखकों-पत्रकारों को मोदी के पास लाने का काम करती है और विदेशों में नरेन्द्र मोदी की इमेज बिल्डिंग करती है, जिससे विदेशी निवेशकों का गुजरात के प्रति रुझान बढ़े और वे गुजरात में निवेश करें.
एपको कंपनी पब्लिक अफेयर और पब्लिक पॉलिसी के साथ-साथ बिजनेस स्ट्रैट्जी बनाने में भी माहिर समझी जाती है. एपको न सिर्फ मोदी को भारत के प्रधानमंत्री पद के सबसे मज़बूत उम्मीदवार के तौर पर स्थापित कर रही है, बल्कि वह 2014 के चुनावों की खातिर मोदी के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और बाज़ार से धन भी इकट्ठा कर रही है. इसी के बूते मोदी ने पार्टी फंड में भी सात सौ करोड़ रुपये देने का वादा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से कर दिया है.
दरअसल, एपको ही वह पब्लिक रिलेशन कंपनी है, जो भारत में सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की मार्केटिंग और प्रचार-प्रसार का सारा काम-काज देखती है. अब ऐसी स्थिति में ज़ाहिर है कि फेसबुक पर नरेन्द्र मोदी का ही साम्राज्य क़ायम होगा. मोदी के नाम से बने फैन, पेजेज़, मोदी के प्रति ज़बरदस्त लगाव दिखाती उनके प्रशंसकों की तादाद, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें पेश करती तस्वीरें, मोदी से संबंधित पोस्ट और उनका अंधा समर्थन करते हुए प्रशंसकों के सैकड़ों की संख्या में कमेंट्स, ये सब कुछ  सुकांति घोष और उनकी टीम की ज़बरदस्त नेटवर्किंग और ब्रांड बिल्डिंग का परिणाम है.
यह एपको और सुकांति घोष की स्ट्रैट्जी ही है कि सोशल मीडिया पर मोदी के प्रशंसकों द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री घोषित किया जा चुका है. नरेन्द्र मोदी के नाम को संक्षिप्त कर उसे नमो करना और उसे हिन्दू संस्कृति और धर्म से जोड़ना, हिन्दुत्व के नाम पर समर्थकों की भावनाओं में उबाल लाना, यह सब कुछ पीआर का ही कमाल है.
मोदी की छवि को चमकीला बनाने के लिए यह कंपनी, बीच-बीच में मौके और दस्तूर के मुताबिक़ शगूफे भी छोड़ती  है. मसलन, उत्तराखंड में आई प्राकृतिक विपदा के समय इस तरह की ख़बरें आना कि नरेन्द्र मोदी ने बाढ़ और भू-स्खलन में फंसे 1500 लोगों की जान बचाई है. इस खबर के सोशल साइट्स पर आने के बाद सियासी दुनिया में खलबली मच गई. उत्तराखंड के  हालात और विपरीत परिस्थितियों के दरम्यान ऐसा कर जाना और वह भी आपदा प्रभावित लोगों के बचाव कार्य में लगी सेना को बिना भनक लगे, मुमकिन नहीं था. जब कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मोदी के दावे की सत्यता की जांच की, तब इस कारनामे के पीछे एपको का नाम सामने आया. बाद में भले ही मोदी से जुड़ी यह बात हवाई साबित हुई, पर एकबारगी आम-अवाम के ज़ेहन में नरेन्द्र मोदी की तारणहार वाली छवि तो बन ही गई.
5 रुपये का टिकट खरीदकर मोदी का भाषण सुनने की पेशकश का आइडिया भी सुकांति घोष का ही था, जिसका  मक़सद था सियासी दलों के बीच नरेन्द्र मोदी की अपार लोकप्रियता और जनता में उनकी गहन स्वीकार्यता साबित करना.
ज़ाहिर है, नरेन्द्र मोदी अपनी ब्रांड बिल्डिंग से बेहद उत्साहित और आशावान हैं. इसी उत्साह और भरोसे के चलते मोदी ने भाजपा की संसदीय समिति की बैठक में यह सलाह दे डाली कि भाजपा भी इसी कंपनी को अपने प्रचार-प्रसार का जिम्मा दे दे. भाजपा ने यह मशविरा मान लिया है और पार्टी ने इस बाबत एपको से बात भी कर ली है. अब भाजपा दस सदस्यीय संचार और प्रसार कमेटी बनाएगी, जो सुकांति घोष के निर्देशन में 2014 के चुनावों में सोशल मीडिया को अपना खास हथियार बनाकर भाजपा के हक़ में इस्तेमाल करेगी.
हालांकि एपको की संस्थापक अध्यक्ष मार्गेरी क्राउस इस बात से इंकार करती हैं कि उनकी कंपनी नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाने के लिए कोई कैम्पेन चला रही है. उनकी कंपनी सिर्फ वाइब्रेंट गुजरात मिशन पर काम कर रही है और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार और समुदाय में उसे  प्रमोट कर रही है, ताकि विदेशी निवेशकों को गुजरात में निवेश करने के लिए लुभा सके, पर समझने वाली बात यह है कि यह कार्यक्रम भी नरेन्द्र मोदी की ही इमेज बिल्डिंग कर रहा है, तो भला मार्गेरी क्राउस इस तथ्य से कैसे इंकार कर सकती हैं कि वे और उनकी कंपनी मोदी के लिए  मुहिम नहीं चला रही.
बहरहाल, एपको ने मोदी के लिए की जा रही अपनी लॉबिंग पर उठ रहे सवालों के लिहाज़ से दिल्ली की एक पीआर कंपनी आकृति से गठजोड़ कर लिया है, ताकि फ्रंट पर आकृति का ही नाम रहे और काम एपको करती रहे. आकृति ने अपने अधीन ऐसे दर्ज़नों पी आर कंपनियों को जोड़ा है, जो हर वक्त मोदी के प्रचार-प्रसार के लिए मुद्दों की तलाश करती हैं और रणनीतियां बनाती हैं, ताकि मोदी का नाम हर वक़्त सुर्ख़ियों में छाया रहे.
पी आर कंपनियों को यह निर्देश है कि नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचनाओं के आधार पर हर दिन कम से कम आधा दर्ज़न रीजनल और नेशनल समाचार पत्रों, स्थानीय भाषा के समाचार पत्रों, टेलीविज़न चैनलों पर मोदी का नाम और उनसे जुड़ी खबर होनी ही चाहिए. इसके अलावा भारत में मोदी के नाम पर चल रहे विवाद से जुड़ी ख़बरों का खंडन, खोजपरक और मोदी के महिमा मंडन वाली रिपोर्ट की शक्ल में विदेशी मीडिया में भी नज़र आना चाहिए. इस काम में तकरीबन डेढ़ सौ पीआर कर्मचारी लगे हैं, जो गुजरात और दिल्ली के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, पश्‍चिम बंगाल आदि राज्यों में भी, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां मोदी की छवि को चमकाने का काम कर रहे हैं.
नरेन्द्र मोदी ही पीएम पद के सही दावेदार क्यों हैं, इसे बताने के लिए अब मोदी फ्लाइंग इंडिया नाम से कैम्पेन शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत मोदी पर आधारित कॉमिक्स और वीडियो गेम्स भी लॉन्च किए जा रहे हैं. इन कॉमिक्स और वीडियो गेम्स में मोदी को सुपर हीरो के अवतार में दिखाया जाएगा. मोदी नाम का यह सुपर हीरो वीडियो गेम्स और कॉमिक्स में करप्शन से लड़ता और उस पर विजय पाता हुआ दिखेगा.
वैसे तो मोदी ने एपको से सन् 2007 के अगस्त महीने में ही इस बात का एग्रीमेंट किया था कि यह कंपनी मोदी के वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के बीच गुजरात को लेकर जागरूकता पैदा करेगी. एपको इस आयोजन के उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रही, तो मोदी का इस एजेंसी पर भरोसा बढ़ा. उस वक़्त गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. मोदी अपने ऊपर लगे 2002 के दंगों का कलंक धोना चाहते थे, इसलिए अपनी छवि को बदलने और खुद को विकासशील तथा विचारशील नेता के रूप में न सिर्फ भारत, बल्कि विश्‍व समुदाय के सामने भी पेश करने की ज़िम्मेदारी उन्होंने एपको पर डाल दी. इसके बदले मोदी ने एपको को उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों के मेहनताने के तौर पर हर महीने 25, 000 यूएस डॉलर देने का करार किया. नतीजतन, आज अगर गुजरात भारतीय राज्यों में विदेशी निवेश के मामले में टॉप पर है, तो वह इसी कंपनी की लॉबिंग का नतीज़ा है.
आपको याद होगा टेलीकॉम सेक्टर का 2जी घोटाला, जिसमें भारत की एक पीआर कंपनी वैष्णवी और उसकी मालकिन नीरा राडिया का नाम अभियुक्त के तौर पर खूब उछला था और यह भी याद होगा कि किस तरह नीरा राडिया ने हिन्दुस्तान के कई बड़े राजनेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों, दिग्गज उद्योगपतियों, नामचीन पत्रकारों और बड़े नौकरशाहों का गठजोड़ बनाकर भारत के केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की कोशिश की थी. अपनी सहूलियत और अपने क्लाइंट्स के मुताबिक़, केन्द्रीय मंत्रियों के ज़रिये बड़े हेर-फेर कराकर फैसले कराए थे, जिसकी वज़ह से हज़ारों करोड़ रुपयों का घोटाला हुआ था. नीरा राडिया अपने नेक्सस के बूते अपनी पसंद के सांसदों को उनकी मर्जी का मंत्रालय दिलाने की जुगत करती थी और वह अपने पब्लिक रिलेशन के दम पर कामयाब भी हुई थी.
यह उदाहरण इसलिए है, ताकि आप समझ सकें कि किस तरह एक पीआर कंपनी जनता, सरकार, मीडिया, निर्णय और नीति-निर्माताओं को तोड़ने और जोड़ने का काम करती है और अपने फायदे के लिए राजनीतिक फैसले कराती है. लाजिमी है कि एपको के भी इसमें अपने बड़े फायदे हैं. एपको एक ऐसी कंपनी है, जो अमेरिकन है और जिसके इजरायल से बेहद गहरे रिश्ते हैं. एपको आर्नोल्ड एंड पोर्टर नाम की दुनिया की सबसे बड़ी लॉ फर्म में से एक की सहायक कंपनी है. आर्नोल्ड एंड पोर्टर एबे फोर्टास की कंपनी थी. एबे फोर्टास इजराइल से थे और अमेरिका के 36वें राष्ट्रपति लींडॉन बी जॉन्सन के कानूनी सलाहकार थे. अमेरिकी इतिहास में लींडॉन बी जॉन्सन, इजराइल-समर्थक राष्ट्रपति माने जाते हैं. बाद में राष्ट्रपति लींडॉन बी जॉन्सन ने एबे फोर्टास को यू एस सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त कर दिया. उसके बाद आर्नोल्ड एंड पोर्टर, इजराइल गवर्नमेंट की आधिकारिक एजेंट कंपनी बन गई. बावजूद इसके, एबे फोर्टास का नाम कंपनी में बतौर पार्टनर बना रहा. आज भी यह कानूनी फर्म अमेरिकी अदालतों में कई इजराइली अधिकारियों और युद्ध अभियुक्तों की पैरोकार है और उनमें से कई लोग एपको के क्लाइंट हैं.
दरअसल, ऐपको की नज़र भारत के तेज़ी से बढ़ते जीडीपी और एक ख़रब डॉलर के बाज़ार पर है. भारत न सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर, बल्कि एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भी वैश्‍विकराजनीति में अहम भूमिका निभा रहा है. भारत में जो सेक्टर अभी सबसे ज्यादा ग्रोथ की स्थिति में हैं, उनमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, मनोरंजन, हेल्थ केयर, खाद्य, उपभोक्ता उत्पाद और खुदरा, बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा, ऊर्जा और रीन्यूवेबल एनर्जी हैं. एपको का भारत में फोकस भी इन्हीं क्षेत्रों में है. अमेरिका और अन्य दूसरे देश भी भारत में इन क्षेत्रों में दखल चाहते हैं, तो जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन जाएंगे, तब स्वतः एपको का वर्चस्व होगा और जब एपको का वर्चस्व होगा, तब आर्थिक और विदेश नीतियों का निर्धारण भी उसकी सहूलियत और कार्यशैली के हिसाब से होगा. तब उसके संपर्क के दूसरे देशों के लिए हिन्दुस्तान में अपनी मर्ज़ी के क्षेत्रों में निवेश करने और विभिन्न क्षेत्रों में आधिपत्य जमाने का रास्ता आसान हो जाएगा.
स्पष्ट है कि न सिर्फ नरेन्द्र मोदी ने एपको के मा़र्फत प्रधानमंत्री बनने के सपने संजो रखे हैं, बल्कि एपको ने भी मोदी पर अपना दांव लगा रखा है. इसलिए वह नवीन पटनायक जैसे राजनेताओं का ऑफर ठुकरा रही है, ताकि वह अपना सारा ध्यान जीतने की संभावना रखने वाले शख्स पर लगा सके.
अब ज़ाहिर है कि जब ऐसी लॉबिंग और पीआर कंपनी की कोशिशों और मेहनत से कोई व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बनेगा, तब उस कंपनी के कितने हित सधेंगे और इजराइल और अमेरिकी राजनयिकों का भारत की सरकार पर कितना नियंत्रण होगा, इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है.

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