शनिवार, मुंबई। एक आत्मीय गोष्ठी में अपने दौर के दिग्गज गीतकार राजेन्द्र क्रिशन के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘वो भूली दास्तां’ पर परिचर्चा हुई। यह किताब चर्चित लेखिका और पत्रकार गीताश्री जी के संपादन में आई है। इस अवसर पर साहित्यकर्मी धीरेंद्र अस्थाना, दिग्गज पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज, गीतकार तुराज़, राइटर दुष्यंत, इरा टाक समेत साहित्य और सिनेमा के कई दीवाने मौजूद रहे। एक यादगार और गुनगुनाती शाम की शुरुआत जानी मानी सिंगर प्रिया मलिक की सुरमई और जादूभरी आवाज़ में हुई। प्रिया ने राजेन्द्र क्रिशन के कई सदाबहार नगमें गाकर पूरा माहौल संगीतमय कर दिया।

साहित्यकार धीरेंद्र अस्थाना कहते हैं कि राजेन्द्र क्रिशन सोलह सौ से ज्यादा फिल्मी गीत लिखने के बाद भी गुमनाम ही रहे हैं। ऐसे में गीताश्री के सम्पादन में आई यह पुस्तक उनके कामों और व्यक्तित्व को रेखांकित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। आम तौर पर पुस्तक अभिनेताओं और निर्देशकों को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं , पर गीतकारों पर कम काम हुआ है। इस लिहाज से भी यह एक जरूरी किताब है। अजय ब्रह्मात्मज ने कहा कि इस पुस्तक के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मालूम होनी चाहिए जिससे सिनेमा के गुमनाम और भुला दिए गए दास्तानों की पहुँच पाठकों तक बने।

गीताश्री भी इस मौके पर काफी उत्साहित नजर आई और अपने प्रिय गीतकार पर काम करने की खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आती है। वो कहती हैं- इस किताब पर काम करते हुए मेरे दिन सुरीले हो गए थे, हर वक्त गाने बजते थे। जब आप पढ़ेंगे, उसी तरह आपके दिन भी सुरीले हो जायेंगे। किताब बज उठेगी, एक बार साज की तरह इस किताब को उठाइए तो सही।”

पुस्तक का प्रकाशन प्रलेक प्रकाशन, मुंबई ने किया है और यह किताब अमेज़न, फ्लिपकार्ट हर जगह ऑनलाइन भी मौजूद है। पुस्तक की कीमत है महज 299 रुपये।

निश्चित ही यह किताब संगीत के दीवानों के लिए एक नायाब तोहफा है। पुस्तक में कई लेखकों के आलेख तो हैं ही राजेन्द्र क्रिशन की कुछ गज़लें और साक्षात्कार भी हैं। गीतकार तुराज़ सच ही कहते हैं कि ‘मेरे पिया गए रंगून, ‘पल पल दिल के पास’ ‘मेरे सामने वाली खिड़की में न जाने कितने ही गानों को अपने बोल देने वाले राजेन्द्र क्रिशन इस पुस्तक के माध्यम से जीवित हो उठे हैं।

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