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नई दिल्ली : ये बनारस के रस का ही कमाल है कि पिछले एक सप्ताह से केन्द्रीय मंत्रिमंडल बनारस में डटा है. खुद प्रधानमंत्री तीन दिनों से बनारस प्रवास पर है. एक-एक गली की खाक छान रहे है. दूसरी तरफ, यूपी के दो लडके भी (राहुल गांधी और अखिलेश यादव) भी बनारसकी गलियों में घूम रहे है. बाबा विश्वनाथ से ले कर नगर कोतवाल (काल भैरव) और गोशालाओं तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजा-अर्चना करते दिख रहे है. सवाल है कि बनारस में ऐस खास क्या है जो इस तरह की राजनीतिक करिश्मा दिखने को मिल रही है.

नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं. वो प्रधानमंत्री भी है. तो क्या एक प्रधानमंत्री पर बनारस का सांसद भारी पड गया है. प्रधानमंत्री नरेँद्र मोदी की मौजूदा राजनीतिक असहजता को देख कर तो कम से कम यही लगता है. उन्हें मालूम है कि सीटों के बंटवारे को ले कर बनारस में भारी असंतोष है. इससे कैसे पार पाया जाए. वो बनारस की सारी सीटें जीत कर पार्टी के साथ-साथ खुद की भी प्रतिष्ठा बचाना चाहते है. शायद यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्र्ती पिछले कुछ दिनों से बनारस में कैंप किए हुए है. उनके बनारस में कैंप किए जाने से इतना तो तय है किभारतीय जनता पार्टी यह मान चुकी है कि पार्टी के लिए मुश्किल है. प्रधानमंत्री वहां अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों से वोट मांग रहे है.

दूसरी तरफ, राहुल और अखिलेश भी जम कर बनारस में रोड शो कर रहे है, सभाएं कर रहे है. इन दोनों नेताओं ने भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. भीड इनके रोड शो में भी ठीक-ठाक रही. बनारस की आठ सीटों पर अब कौन जीतता है, कौन हारता है, यो तो बस 11 तारीख को पता चल जाएगा, लेकिन बनारस ने हालिया राजनीतिक माहौल का शायद सबसे दिलचस्प दृश्य लोगों को दिखा दिए है. जहां राज्य का मुख्यमंत्री से ले कर देश का प्रधानमंत्री तक वोट की खातिर गली-गली की खाक छानने को मजबूर हो गया है. ये बनारस का ही कमाल है कि जिस बनारस में सालों से सांसद और मेयर भी भाजपा के रहे, उसी बनारस में भाजपा विकास के नाम पर वोट मांग रही है. बहरहाल, अब हम तो यहीं कहेंगे कि मोदी जीते या अखिलेश, बनल रहे बनारस.

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