ec-696x463नई दिल्ली, (चौथी दुनिया ब्यूरो): चुनाव में कालाधन का इस्तेमाल रोकने के लिए चुनाव आयोग सख्त रुख अपना रहा है. आयोग का मानना है कि अगर कालाधन को लेकर सरकार बड़ा कदम उठा रही है, तो इसकी शुरुआत राजनीतिक दलों को मिल रहे गुप्त चंदों से भी होनी चाहिए. इसके लिए उसने केंद्र सरकार को तीन अहम सुझाव भेजे हैं. आयोग चाहता है कि राजनीतिक दलों को गुपचुप तरीके से मिल रहे 20 हजार रुपए के चंदे की सीमा कम की जाए. आयोग ने सुझाव दिया है कि 2 हजार रुपए या उससे ज्यादा गुप्त तरीके से चंदा लेने पर रोक लगाया जाए.

आयोग ने दूसरा सुझाव दिया है कि जो राजनीतिक दल चुनाव नहीं लड़ते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए, ताकि ये इन्कम टैक्स में छूट का लाभ नहीं उठा सकें. आयोग का मानना है कि कई राजनीतिक दल ऐसे हैं, जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन वे मिल रहे चंदों के जरिए कालाधन को सफेद करने में लगे हैं या टैक्स छूट का लाभ उठा रहे हैं. इसके अलावा आयोग यह भी चाहता है कि पार्टी के कूपन से चंदा देने वालों का भी पूरा ब्योरा राजनीतिक दल रखें. इन सुधारों को लागू करने के लिए आयोग ने केंद्र सरकार से मौजूदा कानून में बदलाव करने की सिफारिश की है.

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नोटबंदी के दौरान लोगों में यह चर्चा आम थी कि सियासी दलों के खातों में जमा पुराने नोटों की जांच नहीं की जाएगी. इससे आम लोगों में यह संदेश गया कि वे तो परेशानी झेलें, लेकिन जो कालाधन राजनीतिक दलों के पास जमा हैं, उसका फायदा वे उठाते रहें. इस तरह की चर्चा आम होने पर वित्त सचिव हसमुख अधिया ने बयान जारी किया कि कोई भी राजनीतिक दल तय समय-सीमा के अंदर ही पुराने नोट ले सकते हैं. अगर उनके खातों में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उनसे भी पूछताछ की जाएगी.

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