यह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का कल की हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार की सभा का भाषण !
कौन है नरेंद्र मोदी ? जिन्होने 2002 में गुजरात में दंगे रोकने की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की भाषा में “राजधर्म का पालन नहीं किया! “और दंगे में हजारों की संख्या में लोगों की जाने गई ! और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है ! और इसी दंगे को आजादी के बाद पहली बार राज्य – पुरस्कृत दंगा-फसाद कहा जा रहा है ! और नरेंद्र मोदी कह रहे हैं! ” कि उम्मीदवार कौन है देखने की जरूरत नहीं है ! सिर्फ कमल पर ठप्पा लगाओ तो वह मोदी को वोट मिलेगा !”
आप अण्णा आंदोलन की आड में 2014 में केंद्र में सत्तामे आ गए ! आज इस बात को आठ साल से अधिक समय होने जा रहा है ! इन आठ सालों का प्रगति पुस्तक के अनुसार आपने विदेशी काले धन को वापस लाने के लिए तथाकथित नोटबंदी की थी !

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काला धन वापस आने की बात तो बहुत दूर ! लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को रसातल में ले जाने का गुनाह कर चुके हो ! हमारे सभी बैंकों को चुना लगाकर अब रिझर्व्ह बैंक के रिझर्व्ह फंड को हाथ लगाकर भारत के रिझर्व्ह बैंक के इतिहास में पहली बार किसी सरकार के तरफसे इस तरह की हरकतों को रोकने का काम तो दूर की बात है ! उल्टा कुछ चंद पुंजिपतियो के लिए हमारे सभी आर्थिक नियमों को ताक पर रखकर उन्हें पूंजी देने के लिए विवश किया जा रहा है !
और समय आने पर आपको गुजरात दंगों के गुनाहों से लेकर ! भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करने के गुनाह का ! उचित फोरम के सामने आपके जिवितकाल में हिसाब देना होगा ! क्योंकि दोनों गुनाहों में लोगों के जानमाल का जो नुकसान हुआ है ! उसके लिए सिर्फ आप ही जिम्मेदार हो !


उसी तरह आपने 2014 के चुनाव प्रचार में “मुझे एक मौका दो ! मै हर साल दो करोड़ रोजगार दुंगा ” हरेक भारतीय व्यक्ति के बैंक खातों में पंद्रह लाख रुपये जमा करने जैसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाने जैसी घोषणाएं की थी ! और अच्छे दिनों का वादा किया था ! लेकिन दो करोड़ रोजगार हर साल देना तो दूर की बात रही ! कुल आठ साल में भी दो करोड़ रोजगार नहीं दे सके !


उल्टा रोजगार की जगह बेरोजगारी की दर ! विश्व के सबसे निचले स्तर पर पहुंचाने का काम ! नोटबंदी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को प्रायवेट मास्टर्स को सौपने के कारण ! लाखों की संख्या में लोगों के रोजगार के अवसर खत्म किए गए !
और हमारे देश के अन्नदाता के किसानों के विरोधी कानूनों को लागू करने के लिए ! जो राज्यसभा में वोटिंग के समय धांधली की है ! वह भारतीय संसदीय इतिहास का काला अध्याय के रूप में दर्ज हो चुका है ! वहीं गलती आसाम के नागरिकों के बील के आड में ! समस्त देश में ध्रुवीकरण करने के लिए ! विशेष रूप से तथाकथित नागरिकता वाले बिल को एन आर सी के नाम पर थोपना ! तथा गलत आर्थिक नितियो के कारण ! विश्व के बाजारों में तेल सस्ते दामों में बिकने के बावजूद ! भारत में हररोज की तेल व प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने का काम कौन कर रहा है ? और उसके कारण, अन्य चीजों के दामों में बढ़ोतरी जो आम आदमियों के बस के बाहर हो गया है !


कश्मीर से 370 हटाने के बाद, वहां पर आतंकवाद खत्म हो गया है ! वाली बात झूठ है ! क्योंकि मैं खुद कश्मीर में 370 हटाने के बाद जून 2022 और सितंबर 2022, सौ दिनों के भीतर ! दो बार ताजा – ताजा जाकर, अपने आंखों से देखकर यह लिख रहा हूँ ! मेरे जून में एक तारीख को पहुंचने के पहले दिन ! एक शिक्षिका को स्कूल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी ! और उसके दो हप्ते पहले ही, चादोरा नाम के बादीपोरा जिले के ब्लाक के अॉफिस में, एक राहुल भट नाम के कर्मचारी को ! गोली मारकर हत्या करने की घटना ! और राजस्थान से कोई बैंक मेनेजर, जो कश्मीर में अपनी ड्यूटी के, हप्ते के भीतर ही ! अपने कार्यालय में गोली मारकर हत्या करने वाली, चार घटनाओं के दौरान ही ! हमने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का आंदोलन ! हमारे लिए पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की मांग को लेकर ! श्रीनगर तथा जम्मू में चार हजार पंडितों को धरना प्रदर्शन करते हुए, देखकर ! कौन कह सकता कि 370 हटाने के बाद कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा हो गया ?


उल्टा मै 1974 से कश्मीर में आने वाले लोगों में से एक हूँ ! इतना तनावग्रस्त, और हर कोई एक दूसरे को शक की निगाह से देखने का मौका ! मैंने 48 सालों में पहली बार महसूस किया है ! और प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार पदपर बैठा हुआ व्यक्ति ! धड़ल्ले से चुनाव प्रचार में कश्मीर के आतंकवाद का खात्मा करने की बात कर रहे हैं ! उल्टा पचहत्तर साल के इतिहास में ! पहली बार कश्मीर को इतना भयभीत स्थिति में देखकर लौटने के बाद ! मै बिल्कुल भी कह नहीं सकता “कि कश्मीर के स्तिथी में कोई सुधार हुआ है !”
इन सब कारनामों के लिए आपको वोट देने के लिए कहना ! मतलब “सौ चुहे खाकर बिल्ली हज को चली वाली” कहावत को हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रचार में दुहराने की हिम्मत करने वाले ! व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश के लोगों ने अपनी जगह दिखाने का समय आ गया है !


क्योंकि “आपके अपने उम्मीदवार को मत देखो ! सिर्फ कमल पर ठप्पा लगाओ तो मोदी को वोट मिलेगा !” तो किस लिए मिलेगा ? देश के बेतहाशा महंगाई तथा बेरोजगारी तथा धार्मिक ध्रुवीकरण, नफरत की खेती करते हुए !
और सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे देश की विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को केंद्रित करने के लिए ? महात्मा गाँधी ने ” हर गांव इतना आत्मनिर्भरता हासिल करेगा कि उसे बाहरी किसी भी बात पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है !” यह मेरे सपनों का भारत में साफ – साफ लिखा है ! आज भारत की आजादी के पचहत्तर साल के अंदर ! नरेंद्र मोदी ने विकेंद्रीकरण की जगह ! संपूर्ण देश को सिर्फ दिल्ली की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया है ! और उपर से कह रहे हैं ” कि उम्मीदवार को देखने की जरूरत नहीं है ! सिर्फ कमल पर ठप्पा लगाओ मोदी को वोट मिलेगा !” यह भारत के संसदीय जनतंत्र का भी अपमान है !


और आपके हिम्मत की दाद देनी होगी ! उसके बावजूद आप सोलन की सभा में, हिमाचल प्रदेश के लोगों को बोल रहे हो “कि उम्मीदवार को देखने की जरूरत नहीं है ! सिर्फ कमल का बटन दबाओ तो वह वोट मुझे मिलेगा !” यह भारत के जनतंत्र का अपमान करने की कृती है ! क्योंकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के उम्मीदवारों को देखने की जरूरत नहीं है ? फिर वहां चुनाव कराने की सर्कस क्यो कर रहे हो ? हमारे देश के जनतंत्र में हर मतदाता और उम्मीदवार के बीच में आप आने वाले कौन हो ?
आप अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार में अवश्य शामिल हो सकते हो ! लेकिन हमारे जनतंत्र का मजाक उड़ाने के लिए आपको कौन सी हैसियत प्राप्त हुई हैं ? कि आप सिधा – सिधा चुनाव प्रचार में बोल रहे हो ” कि आप को उम्मीदवार को याद करने की जरूरत नहीं है !” अरे भाई वह उम्मीदवार शायद आनेवाले हिमाचल प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री भी हो सकता है ! लेकिन आप अपने खुद के प्रेम में यह भूल गए हो कि ! आखिर हिमाचल प्रदेश की जनता अपने प्रतिनिधि को देखे बगैर ! सिर्फ आप कह रहे हो कि !” सामने वाला कौन व्यक्ति खडा है ? उसे देखने की जरूरत नहीं है ! सिर्फ कमल के उपर ठप्पा लगाओ वह वोट मोदी को मिलेगा !”
आचार्य विनोबा भावे भुदान यात्र के अपने प्रवचनों में अक्सर कहा करते थे ! ” कि दस हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के देश में ऐसे कई बादशाह, राजा – महाराजा आए और गए ! आज उनमें से कितने के नाम लोगों की स्मृति में बचें है ? लेकिन संत महात्मा उदाहरण के लिए ज्ञानेश्वर, तुकाराम, एकनाथ, शंकरदेव और महादेव देव, मिराबाई, जनाबाई, चोखामेंळा, नानकदेव, कबीर, गोरखनाथ – मच्छिंद्रनाथ, तिरूवलुर, बश्वेशरजी, रमण महर्षि, नारायण गुरु, योगी अरविंद, रामकृष्ण परमहंस, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, नरसि मेहता, स्वामी विवेकानंद जैसे संत – महात्माओं , हजारो सालों के बाद भी लोगों को याद है ! लेकिन उनके समय में कौन राजाओं का राज था ? यह कितने लोग जानते हैं ? ” आखिर आप को भी एक दिन जाना हैं ! इतना पक्का ! लेकिन खुद के बारे में इतनी गलतफहमियां पालना अध्यात्मिक रूप से भी गलत है ! क्योंकि आप के मां बाप ने आपका नाम नरेंद्र रखा है ! इतिहास में एक नरेंद्र जो स्वामी विवेकानंद के नाम से आज सव्वासौ सालों के बाद भी याद है ! क्योंकि उन्होंने अमेरिका जाने के पहले ! दक्षिण भारत में, हमारे देश में इस्लाम धर्म और ख्रिश्चन धर्म सिर्फ और सिर्फ उचनिच मानने वाली जातियता ! और उसमें की छुआछूत की दुष्ट प्रथा के कारण ! आगमन हुआ है ! इस बात पर जोर देते हुए जगह – जगह पर बोलते हुए जातिवाद के उपर प्रहार किया है !


और 14 अक्तुबर 1956 के दिन डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी के, नागपुर के दिक्षाभूमी पर अपने लाखों अनुयायियों के साथ, बौद्ध धर्म को स्वीकार करने की कृती को क्या कहेंगे ?


और एक आप हो, जिसने राजनीति का केंद्र बिंदु सिर्फ और सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण करने के अलावा, और कुछ नहीं किया है ! डॉ राम मनोहर लोहिया की भाषा में ” धर्म दिर्घकाल की राजनीति है ! और राजनीति अल्पकालिक धर्म ! ” लेकिन पिछले कुछ सालों में आपने उसे कुछ ज्यादा ही लंबा खिच दिया है ! और अब इंदिरा इज इंडिया के तर्ज पर आप मोदी इज इंडिया में तब्दील करने की कोशिश कर रहें हो ! इतिहास आपको India’s Divider-in – Chief के नाम पर ही जानेगा इतना पक्का !
डॉ सुरेश खैरनार 6 नवंबर 2022, नागपुर

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