नया शहर हो या आप कहीं भटक गए हों, बस या ट्रेन का आप घंटों से इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन आपको उसके आगमन-प्रस्थान की सही जानकारी नहीं मिल पा रही, आप टूर पर निकले हों या आकस्मिक विपदाओं के समय सहायता के लिए कार्यरत संस्थाओं को सूचना संबंधी ज़रूरत हो या फिर आपको बेहतर मोबाइल सेवाएं देने का मसला हो, आपकी हर समस्याओं का सटीक समाधान है जीपीएस यानी ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम. आईआरएनएसएस-1डी के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत नेवीगेशनल सिस्टम के लिए अब तैयार है.

navigationदेश का चौथा नेवीगेशन सेटेलाइट पीएसएलवी-सी27 का उपग्रह आईआरएनएसएस-1डी पिछले दिनों श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया. मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने इसरो टीम को बधाई दी. यह मिशन बहुत खास इसलिए है कि अब तक स़िर्फ अमेरिका ही उपग्रह आधारित जीपीएस प्रणाली में अपने क़दम बढ़ा सका है. मिशन की कामयाबी से भारत की उपग्रह आधारित जीपीएस प्रणाली अमेरिका की जीपीएस प्रणाली के बराबर पहुंच जाएगी. यह प्रणाली दक्षिणी एशिया पर लक्षित है और इसे कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि देश के भीतर और इसकी सीमा से 1,500 किलोमीटर तक की दूरी के क्षेत्र में प्रयोगकर्ताओं को बिल्कुल सही जानकारी उपलब्ध हो सकेगी. इस मिशन के सभी सात उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के बाद ही अगले साल जून-जुलाई में इसरो की योजना इसे सक्रिय करने की है. आईआरएनएसएस के सक्रिय होने के साथ ही नौवहन व्यवस्था के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. हालांकि, इसरो के अधिकारियों का कहना है कि इस साल दो और नौवहन उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाना है.
क्या है जीपीएस
यह अमेरिका के स्पेस पर आधारित एक रेडियो नेवीगेशन सिस्टम है. जीपीएस एक स्पेस आधारित सैटेलाइट नेवीगेशन सिस्टम है, जिसका प्रबंधन अमेरिका करता है. इसके ज़रिये हर मौसम में धरती पर कहीं से भी किसी भी जगह की जानकारी और समय की सूचना मिल सकती है.

आईआरएनएसएस से दो सेवाएं मिल सकेंगी, जिसमें से स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस के जरिये इसका आम लोग उपयोग कर सकेंगे और दूसरी प्रतिबंधित सेवा होगी, जो सेना के उपयोग के लिए होगी. आईआरएनएसएस-1 डी का प्रक्षेपण इसलिए भी जरूरी था कि बिना इसके प्रक्षेपण के हम नेविगेशनल प्रक्रिया शुरू ही नहीं कर सकते थे, क्योंकि इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कक्षा में चार उपग्रह की न्यूनतम जरूरत थी, जो इस उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही पूरी हो गई.

इस सिस्टम के फायदे
यह सिस्टम आपको न केवल आपके वर्तमान स्थान के बारे में बताएगा, बल्कि आप जिस स्थान पर पहुंचना चाहते हैं, उसका सही रास्ता भी बताएगा. यह सिस्टम आम लोगों को टाइमिंग सर्विस (सही वक्त बताने की सेवाएं) भी प्रदान करता है.
जीपीएस अपने बहुत सारे उपयोगकर्ताओं को सही समय और सही स्थान बताने की सेवाएं प्रदान करता है. बसों एवं ट्रेनों के आने के सही समय की जानकारी, आपातकालीन सहायता, बैंक, मोबाइल और विद्युत ग्रिड आदि सभी सेवाएं जीपीएस पर ही निर्भर रहती हैं. जीपीएस के माध्यम से चलने वाली सबसे लोकप्रिय सेवा वेहिकल ट्रैकिंग बहुत सफल रही है. पर्वतारोहियों को दिशा संबंधी सूचनाएं भी इससे मिलती हैं. एक खास तकनीक से तैयार किए गए गुब्बारे जीपीएस की मदद से ओज़ोन की परत में होने वाले ऩुकसान की जानकारी समय-समय पर प्रदान करते रहते हैं. सच कहा जाए, तो इस तकनीक का भविष्य शायद हमारी सोच से भी ऊपर है.
क्यों है ज़रूरी
हमें अपने नेवीगेशन सिस्टम की ज़रूरत थी, क्योंकि विदेशी सरकार द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले नेवीगेशन सिस्टम का उपयोग प्रतिबंधित हो सकता है और विपरीत परिस्थितियों में यह बाधित भी हो सकता है. आईआरएनएसएस से दो सेवाएं मिल सकेंगी, जिनमें से स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस के ज़रिये इसका आम लोग उपयोग कर सकेंगे और दूसरी प्रतिबंधित सेवा होगी, जो सेना के उपयोग के लिए होगी. आईआरएनएसएस-1डी का प्रक्षेपण इसलिए भी ज़रूरी था, क्योंकि बिना इसके हम नेवीगेशनल प्रक्रिया शुरू ही नहीं कर सकते थे. इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कक्षा में चार उपग्रहों की न्यूनतम ज़रूरत थी, जो इस उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही पूरी हो गई. अब जो चार उपग्रह बच गए हैं, उनके प्रक्षेपण से नेवीगेशन सिस्टम कुशल और पूरी तरह से कारगर हो जाएगा.

  • भारत का चौथा नेवीगेशन सेटेलाइट पीएसएलवी-सी27 का आईआरएनएसएस-1डी
  • श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया.
  • आईआरएनएसएस-1 डी का भार 1,425 किलोग्राम है.
  • इस सीरीज के सभी उपग्रहों का जीवनकाल 10 साल है.
  • 1,500 किलोमीटर का क्षेत्र इसकी सीमा है.
  • अमेरिका के जीपीएस और रूस के ग्लोनास के बाद भारत तीसरा देश बनेगा, जिसके पास अपना नेवीगेशन सिस्टम होगा.
  • आईआरएनएसएस-1डी के शुरू होते ही हम इससे मिलने वाले डाटा का इस्तेमाल सेना की मदद के लिए कर सकते हैं.
  • इंडियन रीजनल सैटेलाइट नेवीगेशन सिस्टम (आईआरएनएसएस) के लिए सात उपग्रहों में से आईआरएनएसएस- 1डी को लेकर चार उपग्रह छोड़े जा चुके हैं.
  • इस सिस्टम के ज़रिये पूरी दुनिया में सैन्य, नागरिक और व्यवसायिक उपयोगकर्ताओं के लिए अहम जानकारियां उपलब्ध होती हैं. जीपीएस रिसीवर के ज़रिये इसे आसानी से एक्सेस किया जा सकता है.
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