agitation-against-torrentबहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगे आम नागरिकों को गिरवी रख देने के सरकारी कुचक्र के खिलाफ आगरा के गांव पिछले छह साल से संघर्ष कर रहे हैं. यह संघर्ष जल्दी ही व्यापक शक्ल अख्तियार कर लेगा. सियासतदां जिसे राख समझ रहे हैं, वह भीतर-भीतर सुलगता हुआ दावानल बनता जा रहा है. टोरंट पावर कंपनी की अराजकता और लूट के खिलाफ आगरा के दो दर्जन से अधिक गांवों में वर्षों से चल रहा आंदोलन अब गहराने लगा है. बसपा सरकार की करतूतों पर सपा सरकार द्वारा पर्दा डालने की कार्रवाई आने वाले विधानसभा चुनाव में ‘यथोचित-परिणाम’ देने वाली है. आगरा के दो दर्जन से अधिक गांवों में टोरंट पावर कंपनी की अराजकता और अत्याचार को अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचार की तरह देखा जा रहा है और ग्रामीणों का आंदोलन उसी नजरिए से प्रगाढ़ होता जा रहा है.
ग्रामीण संघर्ष विकास समिति के ब्रह्मानंद राजपूत ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में टोरंट के अधिग्रहण का विरोध वर्ष 2010 से ही चल रहा है. सभी राजनीतिक दल टोरंट के मुद्दे पर केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे हैं. ग्रामीण जनता अब अपनी लड़ाई लड़ने के लिए खुद मैदान में आ जुटी है. लोगों ने टोरंट के उत्पीड़न से सभी गांवों को मुक्त कराने का अभियान तेज कर दिया है. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने टोरंट से मुक्ति दिलाने के नाम पर आगरा की जनता से वोट लिया था. लेकिन पांच वर्ष बीतने जा रहे हैं, हालात जस के तस बने हुए हैं. समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता तो साफ-साफ कहते हैं कि टोरंट बसपा सरकार की देन जरूर है, लेकिन टोरंट को हटाने में सपा सरकार कोई पहल नहीं कर सकती. उल्लेखनीय है कि आगरा के दहतोरा, मगटई, कलवारी मुहम्मदपुर, अमरपुरा, विलासगंज, लकावली, तोरा, कलाल खेरिया, बुढ़ेरा, बमरौली कटारा, नैनाना ब्राह्मण, नैनाना जाट, अजीजपुर, नगला, चमरौली, रजरईकुआंखेड़ा, महुआ खेड़ा, चोर नगरिया, मियांपुर, धनोली, घोंघे, नगला चुचाना समेत 24 गांवों के निवासियों की सहमति लिए बगैर बसपा सरकार ने टोरंट पावर के जिम्मे बिजली सप्लाई से लेकर बिलिंग, वसूली,
रख-रखाव समेत सारे सम्बन्धित काम सौंप दिए थे. तब से टोरंट की यहां समानान्तर सरकार चल रही है. ग्रामीण विकास संघर्ष समिति लगातार सरकार से इन गांवों को टोरंट से मुक्ति दिलाने की मांग कर रही है. ग्रामीण कहते हैं कि टोरंट की आड़ में तत्कालीन सरकार ने अरबों रुपये के घोटाले किए, सपा सरकार के कार्यकाल में उसकी जांच होनी चाहिए थी और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. लेकिन सपा सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया. उल्टे टोरंट के अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार गांव वालों का उत्पीड़न कर रहे हैं,
अनाप-शनाप बिल वसूल रहे हैं, अपनी मर्जी से लोगों पर बिजली चोरी के आरोप लगा कर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं, बिल बढ़ाकर दे रहे हैं और मीटर चेक करने के नाम पर महिलाओं और बुजुर्गों से बदसलूकी कर रहे हैं. इसके खिलाफ शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही. ग्रामीण इससे तंग आ चुके हैं और सबने मिल कर टोरंट की अंडरग्राउंड केबलिंग का काम रोक दिया है. अंडरग्राउंड केबलिंग का काम बिना किसी सरकारी आदेश के कराया जा रहा था. दहतोरा में बिना परमिशन के अंडरग्राउंड केबलिंग का काम कर रहे टोरंट के कर्मचारियों को सरकारी आदेश दिखाने को कहा गया तो आदेश दिखाने के बजाय टोरंट के अधिकारी और ठेकेदार बदसलूकी पर उतर आए. टोरंट कंपनी ग्रामीणों को मुकदमों में फंसाने की धमकियां दे रही है, इससे लोगों में गुस्सा फैलता जा रहा है. नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण विकास संघर्ष समिति ने चुचाना गांव से टोरंट पावर के कर्मचारियों को खदेड़ भगाया. ग्रामीण विकास संघर्ष समिति के संयोजक डॉ. सुनील राजपूत के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने नगला चुचाना पहुंच कर टोरंट कर्मचारियों से ग्राम पंचायत का परमिशन दिखाने को कहा. इस पर टोरंट कर्मचारी अभद्रता पर उतर आए, जिससे ग्रामीण गुस्से में आ गए और गांव की महिलाओं, बुजुर्गों और अन्य लोगों ने उपकरण वगैरह उखाड़ डाले और उसे टोरंट के कर्मचारियों को देकर उन्हें गांव छोड़ कर चले जाने का फरमान जारी कर दिया. ब्रह्मानंद राजपूत ने कहा कि चुचाना गांव बाईंपुर ग्राम पंचायत में आता है, जो अब टोरंट के अतिक्रमण से पूरी तरह मुक्त है. आम ग्रामीणों की इस सीधी कार्रवाई में प्रमुख रूप से शिवा बघेल, चौधरी अजय, चौधरी जितेन्द्र, योगेन्द्र फौजदार, सत्यप्रकाश लोधी, हरिशचन्द, वैकुंठी देवी, मीरा, सावित्री, रामादेवी, हाकिम सिंह, उमेश, लखन, बबलू, महावीर, रवि, वीरेन्द्र राजपूत, पप्पू, रोहित वगैरह शरीक थे.
ग्रामीण विकास संघर्ष समिति के नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहें तो 24 गांवों को टोरंटकी काली छाया से फौरन मुक्ति दिला सकते हैं, लेकिन ग्रामीणों को उनकी नियति के भरोसे छोड़ दिया गया है. टोरंट पावर कंपनी की गलत नीतियों और हरकतों से ग्रामीण बुरी तरह परेशान हैं. गांव वालों की मांग है कि दहतोरा समेत सभी सम्बन्धित गांवों की बिजली सप्लाई को टोरंट पावर से मुक्त कर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से जोड़ा जाए. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन तबतक जारी रहेगा जबतक गांवों को टोरंट पावर से मुक्ति नहीं मिल जाती. 24 गांवों की महापंचायत ने परिणाम प्राप्त करने तक एकजुट संघर्ष जारी रखने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है. जनसम्पर्क और समन्वय के लिए 24 गांवों में मोटर साइकिलों से दौरा किया जा रहा है. जिसमें प्रमुख रूप से ब्रह्मानंद राजपूत, डॉ. सुनील राजपूत, डॉ. ऊदल, विष्णु मुखिया, उमेश राजपूत, जीतू राजपूत, भीम राजपूत चौधरी मनोज, चौधरी अजय, योगेन्द्र चौधरी, वेदपाल फौजदार, लखन राजपूत, आनंद राजपूत, बबलू राजपूत, प्रेमराज लोधी, जितेन्द्र राजपूत, योगेश, निनुआ खान, राहुल खान, थान सिंह, बन्टी लोधी, चन्दू राजपूत, योगेन्द्र फौजदार, सतीश राजपूत, मुकेश राजपूत, सुनील लोधी, वीरेन्द्र राजपूत, छोटू लोधी, चोबसिंह समेत अन्य सदस्य शामिल हैं. विष्णु मुखिया ने बताया कि टोरंट पावर कंपनी पिछले छह वर्षों से लगातार ग्रामीणों का उत्पीड़न कर रही है. ग्रामीण विकास संघर्ष समिति भी पिछले छह वर्षों से टोरंट के खिलाफ धरना प्रदर्शन करती आ रही है, लेकिन शासन और प्रशासन ग्रामीणों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इससे ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है. ग्रामीण हरिकिशन लोधी कहते हैं कि ग्रामीण विकास संघर्ष समिति टोरंट कंपनी के किसी भी नुमाइंदे को अब किसी भी कीमत पर गांवों में घुसने नहीं देगी. लब्बोलुबाव यह है कि टोरंट कंपनी की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ ग्रामीणों ने मशाल उठा ली है. टोरंट पावर की बदइंतजामी से न केवल ग्रामीण इलाके बल्कि पूरा आगरा शहर भी परेशान है. फर्जी बिलिंग से पूरा शहर तबाह है. सप्लाई की हालत खस्ता है और टेक्निकल सपोर्ट का हाल यह है कि कहीं छोटा भी फाल्ट हो जाए तो ठीक होने में 20 से 24 घंटे लग जाते हैं. सिस्टम इतना नाजुक है कि हवा तेज हो तो सब कुछ ठप्प. टोरंट की बदइंतजामी के खिलाफ लोग गुस्से में हैं. शहर में कई जगहों पर टोरंट के खिलाफ हंगामा और प्रदर्शन दिख रहा है. कंपनी की पूरी तकनीकी टीम ही सवालों के घेरे
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