औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी टप्पा कुरावर- मामला औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी में कार्यरत फैक्ट्रियों का है जहां से रोज जहरीला पानी जहरीली गैस से और केमिकल युक्त पाउडर का डिस्चार्ज होता है इसकी वजह से फैक्ट्रियों के आसपास के खेतों की फसलें नष्ट हो जाती हैं ग्रामीणों का कहना है कि इन फैक्ट्रियों के कारण हमारी जमीन है बंजर हो चुकी हैं फसलों में रोज मेहनत करने के बावजूद हमें कुछ नहीं मिल पाता और तो और शाम के समय फैक्ट्रियों से केमिकल युक्त पानी का रिसाव चालू हो जाता है वही केमिकल युक्त पाउडर भी फैक्ट्री द्वारा डिस्चार्ज किया जाता है जिसमें ओसवाल और भोपाल ग्लूज लिमिटेड का नाम सबसे ऊपर आता है।

ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार आवेदन दिए हैं लेकिन उन आवेदनों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही सबसे बड़ी समस्या चमड़ा फैक्ट्री से शुरू होती है क्योंकि इस फैक्टरी के द्वारा सबसे ज्यादा घातक केमिकल डिस्चार्ज किया जाता है और प्रकृति पर्यावरण के नाम पर छलावा कर जंगली जहरीले पौधों में यह केमिकल युक्त पौधा लगाया जाता है खास तौर पर यह पौधा दूषित वातावरण में पैदा होता है जबकि इसके आसपास के हरे भरे पेड़ सूखते नजर आते हैं दूर-दूर तक कहीं पीने को पानी नहीं होता लोग पीने के पानी को भी तरस जाते हैं वही ग्रामीणों का आरोप है कि इनफेक्टिव के द्वारा हमें मुआवजा राशि मिलनी चाहिए जो कि हमें नहीं मिलती वही शाम 5:30 बजे से सुबह तक जहरीला पानी पार्वती नदी में बहा दिया जाता है एवं शाम से ही केमिकल युक्त पाउडर फैक्ट्री के बाहर डिस्चार्ज किया जाता है ग्रामीणों का कहना है कि उनके द्वारा कई दफा कलेक्टर प्रदूषण विभाग तक को सूचना दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई ग्रामीण परेशान है।

प्रदूषण विभाग की लापरवाही

तहसीलदार राजेंद्र शर्मा द्वारा बताया गया किहमारे पास सीएम हेल्पलाइन की एक शिकायत दर्ज थी जो चमड़ा फैक्ट्री भोपाल ग्लूज के नाम से आई थी हमने लिखित में प्रदूषण विभाग को जांच करने के लिए कहा लेकिन वहां से रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि इस फैक्ट्री के द्वारा कोई भी पर्यावरण को हानि नहीं पहुंच रही।वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि प्रदूषण विभाग के लोग आते हैं और फैक्टरी से सीधा निकल जाते हैं उन्होंने आरोप लगाया है कि यहां पर लिफाफे का काम चल रहा है शिकायत की जाती है पर सुनवाई नहीं होती। इसीलिए ग्रामीणों ने कोर्ट में जाने का निर्णय लिया है।

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में मनमाने कार्य चल रहे हैं ग्रामीण किसानों की जमीनें बंजर हो चुकी हैं और प्रदूषण विभाग को कोई सुध नहीं है सारे प्रमाण उपलब्ध कराने के बावजूद भी प्रदूषण विभाग के सर में जूं नहीं रेंगती। वही सूत्रों से जानकारी मिली है कि पर्सनली सभी अधिकारियों को और प्रदूषण विभाग को पानी निकलते हुए विजुअल दिए गए लेकिन कोई भी कार्यवाही करने को तैयार नहीं है यहां पर बड़े पैमाने मैं मनमानी चल रही है। सवाल यह उठता है कि प्रदूषण विभाग सिर्फ लिफाफे लेने के लिए है या काम करने के लिए। लगता है प्रदूषण विभाग को जनता की जान से खिलवाड़ करने का शौक है तब ही तो वह कार्यवाही नहीं कर पा रही।

Adv from Sponsors