जोशीमठ लगभग 25-30 हजार जनसंख्या का पुराना शहर है ! और 4,500 मकानों में से 610 मकानों में दरारें पडने के कारण, और डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में दरारें पड गई है ! जोशीमठ, बद्रीनाथ तिर्थस्थल की तलहटी में स्थित, शहर को लॅण्डस्लाईड क्षेत्र में आजसे पचास साल पहले ही घोषित किया रहने के बावजूद ! हमारे देश के लोगों की धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल, खुद प्रधानमंत्री अपने प्रधानमंत्री का कामकाज छोडकर, जानबूझकर इन स्थानों में खुद जाकर, लोगों की धार्मिक भावनाओं को पुचकारने के लिए ! अपनी सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के उद्देश्य से, और राजनीतिक उद्देश्य के लिए, जानबूझकर इन सब बातों की अनदेखी करते हुए चारों धामों का विकास करना ! जोकि उसी बद्रीनाथ धाम में कुछ दिनों पहले ही अचानक बादल फटने से कितनी बड़ी तबाही मच गई थी ! और लोगों के शवों का मिलना तो बहुत दूर ! सिर्फ जूते और चप्पल भर मिल सके ! और यह सिर्फ इशारा है ! इसी क्षेत्र में अत्यंत विनाशकारी भूकंप की तबाही देखने के बाद भी ! (1990-91) से भी हम अभी भी कुछ सिखा नही !

यह इशारा समस्त हिमालय, सिक्कीम से लेकर कश्मीर तक कि भलेही 370 हटा दो ! लेकिन अब अगर कश्मीर के विकास के नाम पर कश्मीर की वादियों में भी, तथाकथित विकास के नाम पर ! समस्त कार्पोरेट जगत के लिए खोल दिया ! तो हमारे अपने ही आंखों के सामने कश्मीर की वादी विरान होने में देरी नहीं लगने वाली ! और वहां भी पहले से ही जारी ! सुल्तानी आपदाओं के साथ ! अब आसमानी, आपदाओं की शृंखला शुरू हो सकती है !


पूरी हिमालय के पहाड़ी की गोद में रहने वाले ! लोगों के अस्तित्व का सवाल है ! क्योंकि हम हिमालय के बारे मे कितना भी धार्मिक, पौराणिक कथाओं का गाना गाते रहते है ! और हमारे संस्कृति बहुत पुरानी है ! और उसने अग्निबाण से लेकर प्लास्टिक सर्जरी तक कि प्रगति की है ! जैसे गौरवशाली अतीत की बातें करते थकते नही है ! लेकिन विश्व के सबसे तरुण पहाडोमे हिमालय का शुमार होता है ! और इस कारण हिमालय में सतत लॅण्डस्लाईड से लेकर सिस्मिक हलचलों का होना लगातार जारी है !


और इसीलिये तत्कालीनप्रधानमंत्री, श्रीमती इंदिरा गांधी ने, आजसे पचास साल पहले ! गढवाल के कलेक्टर श्री. एम. सी. मिश्रा को इसकी जांच करने के लिए कहा था ! और कलेक्टर ने 18 लोगों की कमिटी बनाकर रिपोर्ट सौंप दी थी ! और रिपोर्ट में कहा गया है ! “कि जोशीमठ ऐतिहासिक सिस्मिक और लॅण्डस्लाईड झोन के क्षेत्र में आता है ! इसलिए यहाँ किसी भी प्रकार की परियोजना नही होनी चाहिए !” जिससे यहां की भौगोलिक स्थिति पर असर पड़ेगा इसलिए इस क्षेत्र को सिस्मिक और लॅण्डस्लाईड झोन के तौर पर ऐलान करने के बावजूद ! प्रोफेसर अग्रवाल जो आई आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ विशेषग्य थे ! कई सरकारी कमिटियों के सदस्यों के हैसियत से, उन्होंने हिमालय के ग्लेशियर से लेकर नदियों और पहाड़ी क्षेत्र के बारे में तकनीकी रिपोर्टों को लिखा है ! और अपने जीवन को खपाकर हिमालय में होने वाली परियोजनाओं का विरोध किया है ! और आई आईआईटी की नौकरी के बाद तो खुद को गंगापुत्र कहने लगे थे ! और गंगा तथा समस्त हिमालय पर्वत के साथ हो रही छेड़खानी का विरोध करते-करते अपने प्राणों की आहुति दे दी ! उसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तकनीकी सहयोग करने के लिए ! पत्र लिखकर उन्हें आगाह किया है ! लेकिन हमारे बीस – बाईस घंटे काम करने वाले प्रधानमंत्री को ! प्रोफेसर अग्रवाल के खतो के जवाब देने के लिए फुर्सत नहीं मिली ! और अंत में भारत ने ऐक काबील वैज्ञानिक जिसने अपने आप को गंगापुत्र के नाम से पहचान बना ली थी ! को खोने का पाप किया है !


वर्तमान सरकार का दिमाग ठिकाने पर कहा है ? उन्हें तो पूरानी सरकार की हर बात को निचे दिखाने का जूनून सवार हुआ है ! और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के दौरान ! हम ने इंदिरा गाँधी जी के सरकार के खिलाफ ! आवाज उठाने के जुर्म में आपातकाल में जेल में बंद कर देने के बावजूद ! हम इंदिरा गाँधी जी की फिलिस्तीन के सवाल पर, तथा बंगला देश के मुक्ति की लढाई में, बंगला देश के नागरिकों का साथ देने ! और सबसे महत्वपूर्ण बात ! (1971-72) जिनेवा कन्वेंशन में पर्यावरण संरक्षण के उपर उन्होंने दिया हुआ भाषण ! और उसके बाद भारत में पहली बार पर्यावरण मंत्रालय का निर्माण किया गया ! कुछ पर्यावरण संरक्षण के लिए किए हुए उपायों में ! पर्यावरण मंत्रालय का निर्माण, तथा केरल के सायलेंट वैली जैसे परियोजना को रद्द करने के आंदोलन को समझकर से लेकर महाराष्ट्र आंध्र की सिमावर्ति इलाके में बनने वाले तीन बांधों के खिलाफ बाबा आमटेजिकी आगुआई में हुए ! आंदोलनों के कारण, उन परियोजनाओं को भी रोकने के लिए ! इंदिरा गाँधी को आज जोशीमठ विलुप्त होने के दृश्यों को देखते हुए बरबस याद आ रही है !


काश वर्तमान प्रधानमंत्री को पंचतारांकित गुफाओं के भीतर फोटो सेशन के आगे बढ़ने की दृष्टि भी मिली हो तो ! वह समस्त हिमालय के क्षेत्र में विकास के नाम पर, हिमालय पर्वत के साथ चल रही छेड़खानी को, तुरंत रोक लगाने का फैसला लेने का करेंगे ! तो शायद उनकी 56 इंची छाती 36 इंची नही होने वाली ! उलटी 60 इंची बनाने के लिए मिडिया तैयार बैठा है ! नही तो भी प्रधानमंत्री की छवी बनाने के अलावा नौ सालों में और कौन सा काम कर रहे हैं ?
और विकास की धुन सवार होने के कारण ! चार धाम यात्रियों के लिए एक जगह से दूसरी जगह पहुचने के लिए ! अत्यंत तेज गति से वाहनों का आवागमन होने के लिए ! चार लेन की सड़क, और वह भी हिमालय की पहाड़ियों को काट – छाटकर ! युद्ध स्तर पर बनाने काम जारी है ! 50 साल पहले की रिपोर्ट की अनदेखी करते हुए !
इनके लिए प्राथमिकता में ! आम लोगों के जीवन की रोजमर्रे की चिजो की जगह पर ! सिर्फ दिखावा करने के लिए ! और हम भी अमेरिका या योरपीय देशों की नकल करते हुए ! यह भौंडापन के लिए ! बेतहाशा बडे-बडे आठ – आठ लेन के रोड, किसका नाम समृद्धि रोड लेकिन इस समृद्धि ने पहले ही हप्ते में कितने लोगों की जाने ली है ? वैसेही बुलेट-ट्रेन ! और देशी-विदेशी उद्योगपतियों को बेतहाशा छुट देकर ! पूरी तरह देश को बर्बाद करने के लिए ! सब तरह की पर्यावरणीय पाबंदियां हटाकर ! और वह भी देश भक्ति के नाम पर ! लोगों की धार्मिक आस्था का लाभ उठाने के लिए विशेष रूप से ! आज हमारे देश की आधी आबादी पिने के शुद्ध पानी से कोसों दूर है ! बच्चे – बच्चियों के लिए स्कूलों को खोलने की जगह बंद करने के उदाहरण सामने आ रहे हैं ! महिलाओं के लिए सौच जैसे आवश्यक सुविधा के अभाव में महिलाओं की तकलीफ को लेकर कोई पहल नहीं हो रही है ! लेकिन लोगों को आस्था के सवाल पर बहलाने – फुसलाकर उन्हें अपने टुच्ची राजनीतिक अजेंडे के तहत इस्तेमाल करने के लिए ! तथाकथित परियोजना, और सबसे महत्वपूर्ण बात उसके लिए धन उगाही ! स्थानीय बैंकों से लेकर एशियाई तथा विश्व बैंक के नजरों में धूल झोकर गरीबी उन्मूलन, ग्रीन ऊर्जा जैसे शब्दों के जाल बिछाकर उनसे पैसे उगाने के लिए झूठ प्रोजेक्ट पेश करके कर्ज वसूल कर के जोशी मठ की त्रासदी मोल ले रहे हैं ! मतलब देश के ही लोगों का पैसा लेकर !


वैसे भी आज सुंदरलाल बहुगुणा जी की 98 वी जयंती है ! और वह अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक ! हिमालय बचाओ की कोशिश करते रहे ! कभी पेड़ों की कटाई रोकने हेतु, चिपको आंदोलन,! तो हिमालय जैसे कच्चे पहाड़ पर होने वाले ! टिहरी के बांध विरोधी आंदोलन !
लेकिन टिहरी तो बन ही गया ! और उसके कारण टिहरी गांव आज पूरी तरह पानी के अंदर है ! जो दौसौ फिट की गहराई में जलाशय में तब्दील हो गया है ! और खुदा न खास्ता कल जोशीमठ के तरह टिहरी के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा हुआ ! तो कितनी बड़ी आपत्ति आ सकती है ! कुछ लोगों का तो कहना है कि ” अगर किसी कारण से टिहरी के बांध परियोजना का कुछ कमजादा हुआ तो बहुत ही बड़ी आपत्ति आ सकती है ! कुछ समय के भीतर दिल्ली भी उसके बाढ के चपेट में आ सकती है ! और बीचवाले गांव तो उसके भी पहले ! हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का सिलसिला बंद नहीं करेंगे तो फिर प्रकृति का प्रकोप से क्या – क्या खोया है ? यह इतिहास मे खंडहरों की शक्ल में मौजूद है ! और वर्तमान सरकार इन्हीं खंडहरों के उपर अपनी राजनीतिक रोटीया सेकती है ! क्या यह सब उसी क्षुद्र राजनीति के लिए !


एक तरफ लोगों को धार्मिक विश्वास की घुट्टी मे बरगलाकर रखते हुए ! पाखंडीयो की राष्ट्रीयता के जुमले बोल कर गुमराह करने का सिलसिला ज्यादा समय तक नहीं चलेगा ! जब केदारनाथ, जोशीमठ जैसे प्राकृतिक आपदाओं की नौबत आ जाती है ! तो कौन भगवान बचाने के लिए आ रहे हैं ? लोगों को मंदिरों का दर्शन कराने के नाम पर जो सस्ती राजनीति शुरू है ! उसे अविलंब बंद करो! अन्यथा प्रलय काल में, यह देश को ढकेल दोगो ! और कितनि मनुष्य हानि ? और वित्त हानी होगी ? यह गिनने के लिए भी कोई नहीं बचेगा !


अब की सरकार एशियाई डेवलपमेंट बैंक की मदद से, जोशी मठ के आसपास ही तपोवन – विष्णुगढ जल विद्युत परियोजना बना रही है ! जोशीमठ के लिए खतरनाक है ! और सबसे हैरानी की बात हमारे सरकारने एशियाई डेवलपमेंट बैंक को प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कहा है ! ” कि फॉसिल फ्यूल के कारण होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए जलविद्युत कितनी महत्वपूर्ण है ! और इससे हमारे देश की गरीबी हटाने के लिए विशेष रूप से बहुत ही जरूरी है ! लेकिन जोशीमठ के परिसर में रहने वाले गरिबो का क्या होगा ? और जलविद्युत प्रकल्प के लिए जो विशालकाय सुरंगों के बनाने से हिमालय पर्वत के साथ जो खिलवाड़ होगा ! जिसकी वजह से जो पर्यावरणीय नुकसान होगा उसका क्या ?
तथाकथित गुजरात मॉडल में वर्तमान प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रहते हुए ! जितनी भी परियोजनाओं को गुजरात में मान्यता दी है ! उनमें एक मे भी पर्यावरणीय मानदंडों का पालन नहीं किया है ! उदाहरण के लिए कांडला पोर्ट भारत का पहला पोर्ट है जो किसी प्रायवेट मास्टर को दिया है ! वह अदानी समूह ! और अदानी ने कांडला पोर्ट अपने हाथों में लेने के चंद दिनों के भीतर, आंतराष्ट्रीय पर्यावरणीय धरोहर मॅन्ग्रोव्ह के प्लांट खत्म करने का काम किया ! और इस कारण अदानी समूह को ग्रिनट्रायबूनल ने दो सौ करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था ! तो तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ! “कहा कि यह ग्रिनट्रायबूनल ही नहीं चाहिए !” अब जिस मंत्रिमंडल में इस तरह के लोग होंगे ? तो इनसे कौनसा पर्यावरण संरक्षण होगा ? जिसकी किमत अब जोशीमठ विलुप्त होने की शुरुआत हो रही हैं ! ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिए शिघ्र गति के लिए महामार्ग का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है !


वर्तमान सरकार को पर्यावरण संरक्षण विकास कार्य के लिए बाधा लगती है ! यह इस सरकार के मंत्री खुलेआम बोलते हैं ! जावडेकर उसके एक उदाहरण हो गया ! हमारे विदर्भ में झुडपी जंगल को जंगल मानने के लिये तैयार नहीं है ! जिस देश में पहलें ही जनसंख्या और जंगल का अनुपात बहुत ही कम हो ! उसमें जंगल के अस्तित्व को बचाने के प्रयास करने की जगह ! तथाकथित विकास के बुखार में ! बचे-खुचे जंगल कार्पोरेट जगत को देने के लिए ! सबसे पहले उन्हें जंगल की कॅटेगरी से हटाने की साजिश करने के बाद ! फॉरेस्ट ऐक्ट के लागू होने से बचाने के लिए ! इस तरह की हरकतों को क्या कहेंगे ?


सब कुछ विकास के चढते बली! आदिवासी समुदाय और पहाड़ी क्षेत्र में चल रही सभी परियोजनाओं के निर्माण को लेकर ! प्रोफेसर अग्रवाल(गंगापूत्र) ने अपने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है ! “कि आप क्या कर रहे हो ?” हिमालय से निकलने वाली सभी नदियों में होने जा रही परियोजनाओं के निर्माण को लेकर,, उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद ! अपने आंदोलन शुरू करने के बावजूद उनकी बात तो मानना दूर, उल्टा उनके प्राण ले लिया गया है ! देहरादून स्थित अस्पताल में उनके साथ जोर-जबरदस्ती के कारण वह मरे है !

भारत की सरकार कितनी असंवेदनशीलता वाली है ? यह कोरोना के समय और उसके पहले नोटबंदी के समय ! और एन आर सी से लेकर किसानों तथा विद्यार्थियों के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हुए, आंदोलनों के समय में, समस्त विश्व ने देखा है ! कि जनतंत्र से चुनकर जाने वाले लोग अपने ही देश के लोगों की समस्याओं के बारे मे कितने असंवेदनशील हैं ? और इन सभी आंदोलनकारियों को टुकड़े – टुकड़े गैंग, खलिस्तानी, पाकिस्तानी और देशद्रोही तथाकथित मिडिया की मदद लेकर बदनाम करने की कृती को क्या कहेंगे ? क्या होलसेल देशभक्ति का ठेका सिर्फ वर्तमान समय के सत्ताधारी दल और उसके अन्य इकाइयों ने ले रखा है ? जो कि आजादी के आंदोलन से दूर रहकर और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रपिता की हत्या करने वाले लोगों के मंदिर बनाने वाले और भारत के इतिहास का पहला राज्य पुरस्कृत 2002 के गुजरात के दंगे में हजारों लोगों को जलाकर मारने वाले ! और गर्भवती महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालो को महिमामंडित करते हुए ! मिठाई बांटने की संस्कृति के मनोरुग्णो से और क्या अपेक्षा कर सकते हैं ?
डॉ. सुरेश खैरनार 10 जनवरी 2023, नागपुर

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