भोपाल। खंडवा लोकसभा चुनाव के लिए भले अभी टिकटों की दौड़ खत्म नहीं हुई है लेकिन यहां से अपनी दावेदारी को पुख्ता मान रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव अपने प्रयासों में जुटे दिखाई दे रहे हैं। कई महीनों से उनकी संवेदना यात्रा का रुख अब क्षेत्र की सेहत की तरफ बढ़ गया है। इसको लेकर उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर की श्रृंखला शुरू कर दी है।

गुरुवार को खंडवा का कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन किसी बड़े चिकित्सालय का रूप लिए दिखाई दिया। बाल रोग, स्त्री रोग, हड्डी रोग, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ यहां मौजूद थे। सैंकड़ों लोगों ने यहां पहुंचकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गिनवाईं और डॉक्टर्स से इनके लिए समाधान सूत्र प्राप्त किया। शिविर का आयोजन सुभाष यादव फाउंडेशन की ओर से किया गया था। कार्यक्रम में अरुण यादव भी मौजूद थे। उन्होंने अपने पिता स्व सुभाष यादव को याद करते हुए कहा कि सुभाष जी ने क्षेत्र में शिक्षा को लेकर कई काम किए हैं। उन्हीं के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए अब क्षेत्र में बीमारियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

पहले चलाया संवेदना मिशन
क्षेत्र में लोकसभा उपचुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही अरुण यादव ने संवेदना मिशन चला रखा है। इसके तहत वे कोरोना में दिवंगत हुए सैंकड़ों लोगों के परिवारों तक पहुंचे हैं। इस दौरान राजनीतिक और बिना किसी वर्ग का भेदभाव किए उन्होंने मुलाकातों को अंजाम दिया है।

अभी बाकी है टिकट का ऐलान
राजधानी भोपाल से लेकर केंद्रीय कार्यालय दिल्ली तक उपचुनाव टिकट को लेकर घमासान के हालात दिखाई दे रहे हैं। जहां अरुण यादव के लिए टिकट का फैसला एकतरफा माना जा रहा था, वहीं निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा द्वारा उनकी पत्नी के लिए टिकट की मांग को लेकर मामले मामले में ट्विस्ट आ गया है।

किसके हिस्से क्या मुश्किल
कांग्रेस का एक धड़ा इस बात को लेकर प्रचार में जुटा हुआ है कि अरुण यादव प्रदेश में सत्ता बदल के समय से भाजपा की तरफ झुकाव दिखा रहे हैं। उनके कुछ पुराने बयानों को भी उनके कांग्रेस विरोधी होने से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश का कांग्रेस नेतृत्व उनके खिलाफ लामबंदी कर उन्हें टिकट से वंचित करने में जुट गया है। जबकि अरुण के केंद्रीय ताल्लुकात, क्षेत्र में जमावट, पिछला कार्यकाल और उनके परिवार की पार्टी और क्षेत्र की जनता के लिए सेवाएं उन्हें टिकट मिलने के रास्ते आसान बना रही है। इधर अपनी ही पार्टी के आदेश के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का अक्सर भाजपा के पाले में सक्रिय दिखाई देना, उनकी मांग को खारिज करता दिखाई दे रहा है। उनके लिए जाहिर तौर पर किसी कांग्रेस नेता का समर्थन दिखाई न देना भी उन्हें टिकट चाहत पूरा न होने के हालात की तरफ ले जा रहा है।

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