तालिबान तेजी से अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर कब्जा जमाता जा रहा है। अब उसके कंधार और लश्कर गाह पर भी कब्जा जमाने की खबरें आ रही हैं। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने एक और प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया है। इसके अगले दिन ही लश्कर गाह पर भी उसने अपना कब्जा जमा लिया।

अब सिर्फ राजधानी काबुल उससे बचा हुआ है। काबुल के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। अब तालिबान का अगला टारगेट काबुल हो सकता है। बता दें कि कंधार में ही बीते दिनों तालिबानियों ने भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश की हत्या कर दी थी। कंधार पर कब्जा करने से पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था। तालिबानी काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर है। इस तरह से उसने अब तक 13 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है।

अब तक इन पर कब्जा
1. जरांज
2. शेबरगान
3.सर-ए-पुल
4. कुंदुज
5. तालोकान
6. ऐबक
7. फराह
8. पुल ए खुमारी
9. बदख्शां
10. गजनी
11. हेरात
12. कंधार
13. लश्कर गाह

केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा
पुलिस कमांडर और गर्वनर को तालिबानी लड़ाके अपनी सुरक्षा में काबुल-गजनी हाईवे से होते हुए काबुल ले जा रह थे। यहां रास्ते में अफगानिस्तान नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी फोर्स ने मैदान वारदक प्रांत में पूरे दलबल के साथ इन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन सबके बीच स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों में केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

संसद में उत्तरी अफगानिस्तान के सांसदों ने कहा कि सुरक्षा बल बिना लड़े शहर से निकल गए। समांगन के एक सांसद अब्दुल्लाह मोहम्मदी बताते हैं कि दुर्भाग्य से बिना लड़े सरकारी बल पीछे हट गए और तालिबान ने पुलिस मुख्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) की इमारत पर कब्जा कर लिया।

सुरक्षा बल और विद्रोही बीते 40 दिनों से लड़ रहे

तखर के रहने वाले रमजान कहते हैं कि केंद्र सरकार के समर्थन के बिना सुरक्षा बल और सार्वजनिक विद्रोही बल बीते 40 दिनों से लड़ रहे हैं। दुर्भाग्य से उपकरणों की कमी और सरकार की तरफ से मदद नहीं मिलने की वजह से तालोकान तालिबान के हाथ में चला गया।

इन सबके के बीच उत्तरी अफगानिस्तान में स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। दो दिन पहले मार्शल दोस्तम ने अपनी रिजर्व फोर्स के साथ काबुल से मजार-ए-शरीफ के लिए कूच किया था। साथ ही मजार-ए-शरीफ में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सैन्य और सियासी नेताओं के साथ सुरक्षा बैठक भी की थी।

अमेरिकी विमानों का तालिबान पर हमला
काबुल के पत्रकार इस्माइल एंडलीप बताते हैं कि दोहा समझौते के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच गुप्त रूप से यह सहमति हुई थी कि तालिबान लड़ाके बड़े शहरों पर कब्जा नहीं करेंगे जब तक कि अमेरिकी सेना वापस नहीं आ जाती। पर आतंकियों ने पहले ही बड़े शहरों में धावा बोल दिया है। दोनों पक्षों ने एक दूसरे की बात नहीं मानी है। वहीं अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने तालिबान के गढ़ों को निशाना बनाया है। शायद इसलिए तालिबान ने उल्लंघन किया है और बड़े शहरों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है।

Adv from Sponsors