मुलायम सिंह को मंत्री के कारनामे बताने के जुर्म में पार्टी से निकाले गए पूर्व विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि उन्होंने सरकार के आला लोगों से मिलकर पहले ही बता दिया था कि शाहजहांपुर में कुछ गड़बड़ होने वाला है. जगेंद्र सिंह को लगातार मंत्री की ओर से धमकियां दी जा रही थीं. इस बारे में भी सरकार को पता था. पता नहीं क्यों सपा सरकार मंत्री को बचाने में लगी है? जगेंद्र हत्याकांड मामले में राज्यपाल राम नाईक ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि पत्रकार की हत्या के मामले में सरकारी जांच में ढील ठीक नहीं है. राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले चिंता का विषय हैं. जगेंद्र के मामले में गहराई से जांच की ज़रूरत है. 

taal-thonk-rahi-sarkarकितनी हास्यास्पद स्थिति है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह राष्ट्रीय अधिवेशन के मंच से लेकर प्रांतीय बैठकों के मंच तक से लगातार यह कहते रहे कि प्रदेश सरकार के मंत्री ग़लत धंधों में लगे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कान में तेल डाले पड़े रहे. पत्रकार जगेंद्र की हत्या के आरोपी मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के तमाम गोरखधंधों के बारे में मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखकर बताने वाले पूर्व विधायक देवेंद्र पाल सिंह को ही पार्टी से निकाल बाहर किया गया. बहरहाल, शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह की नृशंस हत्या पूरे देश में चर्चा में है. मंत्री की नृशंसता के साथ-साथ पार्टी के शीर्ष
नेताओं की अमानवीयता भी चर्चा में है. किसी ज़िंदा व्यक्ति के शरीर पर पेट्रोल उड़ेल कर आग लगा देना और उस व्यक्ति का अस्पताल में चीख-चीख कर अपराधियों का नाम बताना, किसी भी व्यक्ति को झकझोर कर रख देने के लिए काफी है, लेकिन नेताओं की खाल तो देखिए! उत्तर प्रदेश सरकार के हत्यारोपी मंत्री राममूर्ति वर्मा के बचाव में सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव फौरन कूद पड़े और राममूर्ति वर्मा के लिए चरित्र का प्रमाण-पत्र बांटने लगे. पत्रकार जगेंद्र के जख्मी होने से लेकर उनकी मौत के बाद तक जो भी तूल मचा, वह मझोले एवं छोटे दर्जे के फ्रेम में रखकर देखे जाने वाले पत्रकारों के कारण संभव हुआ. बाद में बड़े पत्रकार-नेताओं ने अपनी दुकानदारी चलाई.
उधर, जगेंद्र का परिवार, साथ में कुछ पत्रकार और गांव वाले शाहजहांपुर में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. आग से जलाकर जगेंद्र के मारे जाने पर जब सरकार की खाल पर कोई असर नहीं पड़ा, तो उनके परिवार के अनशन पर होने से सरकार पर क्या फर्क़ पड़ता है! जगेंद्र के पिता सुमेर सिंह, पत्नी सुमन सिंह, बेटी दीक्षा, बहन गरिमा, बहू नित्या सिंह और बेटे राजवेंद्र, पुष्पेंद्र एवं राहुल के साथ गांव के लोग भी अनशन पर हैं. परिवार का कहना है कि राममूर्ति वर्मा के मंत्री पद पर रहते मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती. जब तक उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, अनशन और धरना जारी रहेगा. उत्तर प्रदेश और देश की जनता समवेत स्वर से मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है, विपक्ष सीबीआई जांच की मांग कर रहा है, जगेंद्र के परिवार वाले सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार जगेंद्र के हत्या-प्रकरण की हत्या करने की कोशिशों में लगी है. मामले को सीबीसीआईडी को सौंपने की निर्लज्ज सत्ताई कोशिशें चल रही हैं. सब जानते हैं कि जिस मामले को दफन करना होता है, उसे सरकार सीबीसीआईडी को सौंप देती है.
अभी हाल ही में एक इंजीनियर की नृशंस हत्या करने वाले बांसगांव के विधायक और उसकी पत्नी को बचाने के लिए सरकार ने मामले को सीबीसीआईडी के पास दफा कर दिया. शासन के इस रवैये का प्रशासन पर क्या असर पड़ता है, इसका उदाहरण शाहजहांपुर की ज़िलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना हैं. उन्होंने कहा कि वह मौक़े पर इसलिए नहीं गईं, क्योंकि वहां जातीं तो विवादास्पद हो जातीं. सपा सरकार में शासन और प्रशासन, दोनों का अमानवीय पक्ष सुर्खियों में रहा है. आप सबने देखा-सुना कि अखिलेश सरकार के महामूर्धन्य मंत्रियों में शुमार उद्यान मंत्री पारस नाथ यादव पत्रकार जगेंद्र की वीभत्स मौत पर गीता का उपदेश देने की विद्वत हरकत करने लगे. उन्होंने कहा कि स़िर्फ खबर छपने या आरोप लगने से कोई दोषी नहीं हो जाता. पारस नाथ यादव अपने शीर्ष नेता प्रो. राम गोपाल यादव की नकल में कुछ ज़्यादा ही गल्लेबाजी कर गए. हाल ही में सपा के मुख्य प्रवक्ता बनाए गए वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव ने भी मीडिया वालों को बुलाकर वही घिसा-पिटा रामगोपाली डायलॉग सुनाया और यह संदेश दिया कि दृष्टिहीन सपा नेतृत्व का एक ही राग है कि उनकी नज़र में राममूर्ति बेदाग है. दूसरी तऱफ कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है और बसपा नेता मायावती ने तो कहा कि आरोपी मंत्री को उसी दिन गिरफ्तार कर लेना चाहिए था.
सपा सरकार मंत्री राममूर्ति वर्मा को बचाने की चाहे जितनी कोशिश करे, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य और मौत से पहले दिया गया जगेंद्र का बयान मंत्री के लिए मुसीबत बनेगा. साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 के तहत मृत्यु पूर्व दिया गया बयान क़ानून की दृष्टि में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जाता है. इसे नकारना मुश्किल होता है. जगेंद्र ने अपने बयान में मंत्री राममूर्ति और पांचों पुलिसवालों को खुद को जलाए जाने का ज़िम्मेदार बताया था. जगेंद्र के बयान वाला वीडियो आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के पास भी सुरक्षित है. विडंबना यह है कि हत्या का आरोपी मंत्री जेल के बजाय सत्ता के शीर्ष गलियारे में विचरण कर रहा है. कभी वह मुख्यमंत्री से मिलता है, तो कभी दूसरे नेताओं से. पिछले 12 जून को राममूर्ति वर्मा, उनके पैरोकार पूर्व सांसद मिथिलेश कुमार एवं पूर्व ज़िलाध्यक्ष प्रदीप यादव ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और फिर वे बाकायदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिले. हत्यारोपी के पैरोकार पूर्व सांसद मिथिलेश तो यहां तक कहते हैं कि नेताजी एवं मुख्यमंत्री ने पूरी जांच करा ली है और उन्हें सच्चाई का पता चल गया है कि मंत्री का कहीं कोई रोल नहीं है. पूर्व सांसद के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि जब मुख्यमंत्री ने अपनी स्व-जांच में राममूर्ति वर्मा को निर्दोष पाया है, तो पत्रकार जगेंद्र के बेटे को दस लाख रुपये का मुआवज़ा और 30 हज़ार रुपये की नौकरी देने का प्रलोभन क्यों दिया गया?
मुलायम सिंह को मंत्री के कारनामे बताने के जुर्म में पार्टी से निकाले गए पूर्व विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि उन्होंने सरकार के आला लोगों से मिलकर पहले ही बता दिया था कि शाहजहांपुर में कुछ गड़बड़ होने वाला है. जगेंद्र सिंह को लगातार मंत्री की ओर से धमकियां दी जा रही थीं. इस बारे में भी सरकार को पता था. पता नहीं क्यों सपा सरकार मंत्री को बचाने में लगी है? जगेंद्र हत्याकांड मामले में राज्यपाल राम नाईक ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि पत्रकार की हत्या के मामले में सरकारी जांच में ढील ठीक नहीं है. राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले चिंता का विषय हैं. जगेंद्र के मामले में गहराई से जांच की ज़रूरत है. राज्यपाल ने कहा कि वह इस विषय में अखिलेश से दोबारा बात करेंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकार जगेंद्र की हत्या के मामले में हुई कार्रवाई की अद्यतन रिपोर्ट मांग ली है. कोर्ट ने भी पूछा है कि इस मामले की क्यों न जांच सीबीआई से कराई जाए? न्यायाधीश एसएन शुक्ला और प्रत्युष कुमार की बेंच ने एनजीओ वी द पीपुल के महासचिव प्रिंस लेनिन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया.


अन्याय के खिला़फ आवाज़ उठाने वाला विधायक
रविदास मेहरोत्रा अकेले ऐसे सपा विधायक हैं, जिन्होंने जगेंद्र हत्याकांड पर न केवल आवाज़ उठाई, बल्कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर हत्यारोपी मंत्री के ़िखला़फ सख्त क़ानूनी कार्रवाई की मांग भी की. रविदास मेहरोत्रा समाजवादी पार्टी के अकेले संवेदनशील विधायक के रूप में राजनीतिक पटल पर उभर कर सामने आए हैं. इसके पहले भी जनहित से जुड़े कई मुद्दों पर रविदास मेहरोत्रा अपना अलग स्टैंड लेते रहे हैं. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में रविदास ने राममूर्ति वर्मा को मंत्री पद से तत्काल हटाने को कहा. उन्होंने अखिलेश यादव को सलाह दी कि वह पार्टी की गिरती छवि को बचाएं.

पुलिसवाले निलंबित, मंत्री आज़ाद
पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या का आरोपी मंत्री राममूर्ति वर्मा किसी भी क़ानूनी कार्रवाई से मुक्त है, लेकिन सदर बाज़ार के इंस्पेक्टर श्रीप्रकाश राय समेत पांच पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया है. जगेंद्र के बेटे राघवेंद्र ने एफआईआर में जिन तीन-चार अज्ञात पुलिस वालों का जिक्र किया था, उनकी पहचान एसआई क्रांतिवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल सुभाष चंद्र यादव, कॉन्स्टेबल उदयवीर सिंह और मंसूर के रूप में हुई है. उनके नाम केस डायरी में शामिल कर लिए गए हैं. घटना के बाद लीपापोती के इरादे से सरकार ने इंस्पेक्टर श्रीप्रकाश राय को फौरन झांसी स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन दबाव पड़ने पर उसे भी निलंबित किया गया. उन नामजद अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो मंत्री के गुर्गे बताए जाते हैं, जिन्होंने पुलिस के साथ मिलकर पत्रकार को ज़िंदा जलाने का काम किया था. उन नामजद अभियुक्तों में गुफरान, ब्रह्म कुमार दीक्षित उर्फ भूरे, अमित प्रताप सिंह भदौरिया और आकाश गुप्ता शामिल हैं.

कहां है चश्मदीद महिला?
जगेंद्र के शरीर में आग लगाए जाते वक्त एक महिला भी वहां मौजूद थी. वह महिला पूरे घटनाक्रम की जीवंत चश्मदीद गवाह है, लेकिन उसके बाद से वह लापता है. कुछ स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि उस महिला और जगेंद्र को साथ-साथ फूंकने की साजिश थी, जिससे मामले को दूसरा रंग दे दिया जाता. लेकिन, अफरा-तफरी मच जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका और उस समय महिला बच गई. लोग यह भी कहते हैं कि चश्मदीद महिला वही है, जिसने राममूर्ति वर्मा पर बलात्कार का आरोप लगाया था. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि उस महिला से पूछताछ चल रही है, लेकिन वह उसकाअता-पता नहीं बता पाए. घटनाक्रम जानने-समझने वाले लोग उस महिला को भी रास्ते से हटाए जाने का अंदेशा जताते हैं.

प्रेस काउंसिल ने भेजी जांच टीम!
पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या के मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी एक जांच टीम शाहजहांपुर भेजी. जांच दल में शामिल एसएन सिन्हा, प्रकाश दूबे और सुमन गुप्ता ने बंद कमरे में जगेंद्र के परिवार के लोगों से बातचीत की. संदेहास्पद यह है कि इस दौरान उनके साथ सूचना विभाग के सहायक निदेशक अशोक शर्मा भी मौजूद थे, जो (अभियुक्त को संरक्षण देने वाली) राज्य सरकार के अधिकारी हैं. प्रेस काउंसिल की कथित जांच टीम यह भी जांच कर रही है कि जगेंद्र सिंह पत्रकार थे भी या नहीं. जांच टीम की इस पड़ताल की वजहों की भी गहराई से पड़ताल की आवश्यकता है. बहरहाल, जगेंद्र के परिवार ने साक्ष्य के तौर पर उन दो चैनलों और एक अ़खबार के पहचान-पत्र भी जांच टीम को सौंपे, जहां जगेंद्र काम कर चुके थे.

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