और आजही के दैनिक भास्कर के प्रथम पृष्ठ की पहली सबसे बडी खबर है ! कि “हेलिकॉप्टरों का घातक शोर, केदारनाथ मंदिर और यहां के पर्यावरण के लिए नया खतरा ! 9 हेलिपॅड से हर 5 मिनट में केदारनाथ के लिए उड़ान ; शोर से ग्लेशियर कांपा तो मंदिर खतरे में !
केदारनाथ यात्रा 25 अप्रैल से 14 नवंबर 2023 तक चलेगी ! इन सात महीनों में श्रध्दालुओं के अब तक के सारे रेकॉर्ड टूटेंगे ! लेकिन केदारनाथ घाटी के लिए एक बडी चिंता यह भी है कि – कंपन पैदा करता हेलिकॉप्टरों का शोर !
2023 में हर पांच मिनट में एक हेलिकॉप्टर केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में गडगडाएगा ! यही है नया संकट ! क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है ! कि “यह पवित्र मंदिर ग्लेशियर को काटकर बनाया गया है ! इसलिए शोर से घाटी के दरकने और हेलिकॉप्टरों के धुएं के कार्बन उत्सर्जन से पूरा इलाका खतरे की जद में है !”
मंदिर – मस्जिद की सस्ती और लोगों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की राजनीति से पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी करते जा रहे हैं ! गंगापुत्र प्रोफेसर अग्रवाल तथा सुंदरलाल बहुगुणाजी ताउम्र इस मुद्दे पर काम करते रहे ! क्योंकि हिमालय विश्व का सबसे तरुण पहाड़ी क्षेत्र में आने की वजह से ! आज भी हिमालय पर्वत में भौगोलिक हलचलों के कारण भुस्खलन बदस्तूर जारी है ! केदारनाथ के रास्ते पर के जोशीमठ विलुप्त होने की शुरुआत हो चुकी है ! हजारों लोगों को अपने जीवन की पूरी पूंजी लगाकर बने – बनाएं मकानों को छोड़कर सुरक्षित जगह पर जाने का सिलसिला जारी है ! और उस चर्चा की स्याही सुखने के पहले यह खबर ?
क्या हमारे देश के कर्ताधर्ताओंकी संवेदनशीलता को काठ मार गया है ? सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने के अलावा और कोई भी काम करना आता नहीं ? पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय किस बात के लिए बनाया गया है ? कोई जावड़ेकर नामका एक नमूना जब यह मंत्रालय की जिम्मेदारी सम्हाल रहा था ! और अदानी ने कांडला पोर्ट जहाजरानी वाला ! ( गुजरात में ! अब तो लगभग सभी और एअरपोर्ट भी ! ) पहली बार अपने कब्जे में करने के बाद ! वहां के विश्व धरोहर मॅंग्रोह के पेड़ों को नष्ट कर दिया था !
तो तत्कालीन ग्रिन ट्रायबूलन ने अदानी उद्योग समूह को इस अपराध के लिए कुछ दंड भरने का आदेश दिया था ! तो जावडेकर पर्यावरण मंत्री रहते हुए बोले है ! कि “इस ग्रिनट्रायबूनल को ही बर्खास्त कर देना चाहिए ! जब की जावडेकर की जिम्मेदारी हमारे देश के पर्यावरण संरक्षण की रहते हुए वह एक उद्योगपति के लिए काम कर रहे थे ! और भूल गए कि उन्हें भारत के पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई है ! विदर्भ के झुडपी जंगल के बारे में भी बोले है कि यह विकास के मार्ग में रुकावट पैदा कर रहे हैं !
अदानी उद्योग समूह के लिए भारत के अब तक के सभी पर्यावरणीय, आर्थिक नियमों की अनदेखी करते हुए ! इस उद्योग समूह को जो विश्व के उद्योगों में छ सौ से निचले पायदान पर था ! आज दो नंबर पर लाने के लिए ! नरेंद्र मोदीजी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में और प्रधानमंत्री बनने के बाद, के नौ साल से ! सभी नियम कानून का उल्लंघन करते हुए ! इस उद्योग समूह को फेवर करने की कृती निश्चित ही संशय की बात है ! हमारे सर्वोच्च न्यायालय में मामला दर्ज है !
बात केदारनाथ भगवान तक पहुंचने के लिए इतने अवैज्ञानिक रास्ते तथाकथित कॅरिडॉर ! हिमालय पर्वत को काटकर कहा सुरंग बनाने के बाद और अब यह हेलिकॉप्टरों की यात्रा ! केदारनाथ के लिए 1997-98 तक एक हेलिपॅड था अब बारह बना दिए हैं ! उसमे से नौ खोल दिए हैं ! और नौ कंपनियों के लिए उड़ान सुविधा देते हैं ! ये देहरादून से फाटा तक फैले हैं ! आठ साल पहले तक केदारनाथ के लिए कुल 10-15 उडाने थी ! अब केदारनाथ वैली में सुबह छ बजे से शाम छह बजे तक हेलिकॉप्टर रोजाना 250 से अधिक फेरी लगायेंगे !
पहले ही ग्लेशियर को काटकर बनाएं मंदिर ! और पूरी घाटी के लिए नया संकट खडा कर दिया है ! केदारनाथ की घाटी हिमालय की सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में आती है ! तेजी से बढ़ रहे यात्रियों की संख्या पहले ही चिंतित करने वाली है ! उसपर हेलिकॉप्टरों का यह शोर और इनकी संख्या किसी विकराल संकट का रुप न ले ले यही डर है !
उत्तराखंड का राज्यपक्षी मोनाल और राज्यपशु कस्तुरी मृग अब इस सेंचुरी में नही दिखाई देते है ! तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है !
एनजीटी ने तय उंचाई 600 मीटर की तय करने के बावजूद ! उड़ान जल्द पहुंचे और फ्यूल की बचत के लिए ! हेलिकॉप्टर 250 मीटर तक कि उंचाई पर उडा रहे हैं ! इससे आवाज भी दोगुना हो रही है ! देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट के ग्लेशियर के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. डी. बी. डोभाल ने कहा कि “हमने सरकार को इन सब बातों से मंदिर और समस्त केदारनाथ की घाटी क्षेत्र के लिए खतरा हो सकता है ! यह रिपोर्ट हम बहुत पहले ही दे चुके हैं !”
पद्मभूषण पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी बतातें है “कि हिमालय के इस संवेदनशील और शांत क्षेत्र में 100 डेसिबल शोर और कार्बन उत्सर्जन हर पांच मिनट में होगा ! तो मंदिर – पर्यावरण – वन्य जीवों के लिए खतरा तय है ! उत्तराखंड की सरकार नुकसान की स्टडी कराएं, फिर तय करे 2013 में हम प्रकृति की ताकत को न समझने की भूल कर चुके हैं ! अनगिनत लोग मरे थे ! और आज उस त्रासदी को सिर्फ दस साल होने वाले हैं !”
बगल में जोशीमठ विलुप्त होने की शुरुआत हो चुकी है ! भुस्खलन के कारण कितने गांव के गांव विलुप्त हो चुके हैं ? क्या उसके बाद भी हम लोग कुछ भी सबक नहीं ले रहे हैं ?
विकास की आंधीदौड में सब कुछ भूल कर सिर्फ सैर-सपाटो के लिए आठ – आठ लेन की सड़कों का निर्माण करना ! करोड़ों पेड़ों की कटाई करते हुए यह सब हो रहा है ! पिछले सितंबर में ! मै जम्मू से श्रीनगर के लिए सुबह एक मिनिबस में बैठकर निकला था ! और उधमपुर के आसपास बारिश शुरू होने के बाद ! तथाकथित चौडी सड़क पर पहाड़ पर से बडे-बडे बोल्डर लगातार गिरते आ रहे थे ! अच्छा हुआ मै सामने की सिटपर ड्राइवर की बगल में ही बैठा था ! तो मैंने दूरसे ही देख लिया था ! कि सामने रोडपर पहाड़ के उपर से मट्टी और बोल्डर गिर रहे हैं ! तो उसे गाडी रोकने के लिए कहा !
और चंद क्षणों में हमारे गाडी से आगे कुछ दूरी पर, हमारे गाडी से भी बडे आकार का बोल्डर उपर से लुढकते हुए आकर गिरा था ! सिर्फ कुछ क्षण का मामला था ! जो आज भी आंखों के सामने याद करते हुए आ रहा है ! फिर कुछ दूरी पर रामबन के पास तीन घंटे सिर्फ इसी प्रकार के हादसे के कारण पूरी ट्रॅफिक जाम होकर फंसे रहे ! क्योंकि बारिश लगातार बरस रही थी ! इसकारण हम लोग रात के दस बजे श्रीनगर पहुचें ! मतलब बारह घंटे ! और कुल मिलाकर साडेतीन सौ किलोमीटर की दूरी है !
यही नजारा मैंने सिलीगुड़ी से गंगटोक के रास्ते जो तिस्ता नदी के किनारे से जाता है ! और 90% फौजी शक्तिमान ट्रक और कुछ तो उससे भी बड़ी साईजकी गाडीया चलते हुए दोनों तरफ से आती है ! तो हिमालय जैसे कच्चे पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह की हरकतों से और भी भूस्खलन के हादसे बढने की संभावना को निमंत्रण देने जैसे हमारे आचरण से ! और सबसे महत्वपूर्ण बात बेतहाशा पेड़ों की कटाई के कारण हिमालय पर्वत की मिट्टी बारिश के कारण अपने साथ पूरे मलबे को लेकर निचले स्तर पर गिरती है ! और इसिलिये हमारे नदियों में गाद भरने से उनका प्रवाह बधीत होता है ! प्रोफेसर अग्रवाल और सुंदरलाल बहुगुणाजी यह सब बातें बोलते लिखते और उसे लेकर जिंदगी भर आंदोलन, धरने तथा उपवास करते हुए इस दुनिया से चले गए !
क्या हम सिर्फ उनके जन्मदिन और पुण्यस्मरण दिवस को मनाने के कर्मकांड के अलावा ! सही मायने में हिमालय बचाने के लिए विशेष रूप से प्रयास नहीं करेंगे ? तो संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप की प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने के लिए जिम्मेदार रहेंगे ! जिससे हमारे आने वाले पिढी के लिए हम क्या विरासत छोडकर जा रहे हैं ? सिर्फ धनसंपदा से कुछ नहीं होगा ! हमारी प्रकृति हमारे पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना ही सुंदरलाल बहुगुणाजी के द्वितीय पुण्यस्मरण दिवस पर सही श्रद्धांजली होगी !
डॉ. सुरेश खैरनार, 23 मई 2023, नागपुर