भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के आईएएस चेयरमैन मोहम्मद मुस्तफा से कोई यह नहीं पूछता कि सिडबी का मुख्यालय लखनऊ में है तो वे मुम्बई में क्या करते रहते हैं! ऐसे ही अराजक नौकरशाहों के बूते सरकारें चल रही हैं. कोई यह पूछने वाला नहीं कि सिडबी का प्रधान कार्यालय लखनऊ में है तो इसका संचालन मुम्बई से क्यों किया जा रहा है! मुस्तफा ने मुम्बई को सिडबी का ‘डिफैक्टो-हेडक्वार्टर’ बना रखा है, उन्हें मुम्बई में ही बैठना अच्छा लगता है. महीने में कभी-कभार लखनऊ आकर वे लखनऊ मुख्यालय को उपकृत करते हैं और चले जाते हैं. सिडबी की सारी नीतियां मुम्बई में बनती हैं और इसमें यूपी की हिस्सेदारी नगण्य रहती है. लखनऊ मुख्यालय के लिए गोमती नगर विस्तार में डायल-100 के सामने एक एकड़ का प्लॉट अलग से लिया गया है. सौ एकड़ जमीन पर चार मंजिली इमारत बनाने की योजना के औचित्य पर सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि चेयरमैन खुद तो मुम्बई में हाजी अली के पॉश इलाके में डेढ़ लाख रुपए महीने के किराए पर आलीशान फ्लैट में रहते हैं. जबकि माटुंगा में बना उनका आधिकारिक फ्लैट खाली पड़ा हुआ है. सिडबी के चेयरमैन बांद्रा कुर्ला परिसर स्थित सिडबी कार्यालय को मुख्यालय बनाए बैठे हैं, वहीं से सारा काम करते हैं और अखबारों में बयान देते रहते हैं कि सिडबी का मुख्यालय लखनऊ से बाहर नहीं जाएगा.

अब दिल्ली कार्यालय का हाल देखिए. दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग पर बने आलीशान अंतरिक्ष भवन की 11वीं मंजिल पर सिडबी का ऑफिस है. इसका किराया तीन लाख रुपए महीना है. यहां भी मुस्तफा का भव्य कक्ष बना है. एक तरफ सिडबी के कर्मचारियों का वाजिब हक मारा जा रहा है तो दूसरी तरफ बैंक का या कहें देश का पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है. सिडबी के अधिकारी बताते हैं कि चेयरमैन मोहम्मद मुस्तफा ने कोलकाता, इंदौर, कोयंबटूर और फरीदाबाद समेत पांच क्षेत्रीय कार्यालय बंद करा दिए. ये सभी क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ ला दिए गए. मुस्तफा के इस कृत्य के बाद पूर्वी भारत में अब सिडबी का कोई क्षेत्रीय कार्यालय नहीं बचा. बिहार, बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड जैसे राज्यों का क्षेत्रीय कार्यालय अब कोलकाता न होकर लखनऊ है. इसके पीछे चेयरमैन का इरादा क्या है? इस सवाल का जवाब तलाशने के क्रम में अजीबोगरीब तथ्य सामने आए. दरअसल तमाम क्षेत्रीय कार्यालय बंद करने के पीछे सिडबी के बेशकीमती फ्लैट्स और कोठियां बेच डालने का षडयंत्र है. गहराई में जाने पर पता चला कि महत्वपूर्ण स्थानों पर बने सिडबी के करीब सौ फ्लैट्स बेचे जा रहे हैं. चेयरमैन की इस कारस्तानी का विरोध करने का खामियाजा महाप्रबंधक स्तर के एक अधिकारी मुकेश पांडेय ने भुगता, जिनका मुम्बई से नई दिल्ली तबादला कर दिया गया.

 

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