2014_7$img18_Jul_2014_AP7_1बीते एक पखवा़डे से गाजा पट्टी पर चल रहे इजरायली हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र तो जैसे मूकदर्शक बना हुआ उसके सारे कुकृत्य देख रहा है. सैंक़डों फलस्तीनी उसके हमलों में मारे जा चुके हैं. हजारों घायल हैं, अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं. इस क़डी में इजरायल ने एक बार फिर स्कू लों को निशाना बनाया है. गाजा पट्टी में संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे एक स्कू्ल पर इजरायली सेना के हमले में 16 की मौत हो गई थी.
इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का वही रटा रटाया बयान सामने आया कि हम इस हमले की निंदा करते हैं. क्या सिर्फ इस तरह की घटनाओं की निंदा करने से ही संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था का काम पूरा हो जाता है.
इस घटना पर सबसे ज्यादा हास्यास्पद बयान इजरायल डिफेंस फोर्स के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीटर लर्नर ने दिया. उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में हमास आतंकियों पर इजरायल सेना लगातार रॉकेट हमले कर रही है. इस दौरान यह स्कूल रॉकेट का निशाना बन गया होगा लेकिन हमें अभी भी इस पर विश्‍वास नहीं है. हम जांच कर रहे हैं. किंतु इस घटना के बारे में वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इजरायली सेना द्वारा छा़ेडे गए रॉकेट की वजह से स्कूल पूरी तरह तबाह हो गया. स्कूल के कमरों में और अन्य जगहों पर सिर्फ बच्चों के शव और खून नजर आ रहा था.
दरअसल हमलों से बचने के लिए फलस्तीेनी लोग स्कूलों में भी शरण लेते है. इसी कारण कई परिवार भी इन हमलों का शिकार बन जाते हैं. हमले की प्रत्यक्षदर्शी महिला लैला अल शिनबरी ने कहती हैं कि हम सभी एक ही जगह छिपे हुए थे कि तभी चार रॉकेट सीधे हमारे सिर के ऊपर स्कूल की छत से टकराए. कुछ ही देर में हर ओर लाशें और खून बिखरा हुआ था और लोगों के चिल्लाने की आवाज आ रही थी. मेरे बेटे की मौत हो गई है और मेरे सभी रिश्तेदार बुरी तरह घायल हो गए. गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के प्रवक्ता अशरफ अल-किदरा ने बताया कि इजरायली रॉकेट हमले में करीब 16 मारे गए और 200 से ज्यादा बुरी तरह घायल हुए हैं.
शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर
इजरायल-गाजा के बीच जारी संघर्ष में लगभग ड़ेढ लाख से ज्यादा फलस्तीनियों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. इजरायली अत्याचार की वजह से इन लोगों को कैंपों की शरण लेनी प़ड रही है. ज्यादातर फलस्तीनियों ने यूनाइटेड नेशन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी के शेल्टर होम्स में शरण ली है. यह संस्था अपने प्रयासों के जरिए इस बात की कोशिश रही है इजरायली सेना, हमास एवं अन्य सहयोगी आतंकी संगठन इस क्षेत्र में रॉकेट हमले कर से बचें. इस संस्था के प्रवक्ता क्रिस गुनीस कहते हैं कि दुनिया के अन्य देशों की तरह यहां भी दो देशों के बीच सबसे ज्यादा कीमत आम जनता को ही चुकानी प़ड रही है. यहां के हालात बेहद गंभीर और खराब हो चुके हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक निरीह लोगों को बचा सकें. इसके लिए हम दोनों ही पक्षों से अपील कर रहे हैं .
विवाद की प्रमुख वजहें
फलस्तीन और इजरायल के बीच सीमा विवाद एंव कई अन्य वजहें हैं जिसकी वजह से दोनों के बीच विवाद होता रहता है. इनमें गाजा में एयरपोर्ट, समुद्री बंदरगाह यहां तक कि रेलवे स्टेशन भी सुविधा नहीं है जिसकी गाजा वासी गाजा छोड़कर इसलिए भी नहीं जा सकते, क्योंकि उनके पास पासपोर्ट भी नहीं है. वहीं, इजरायल भी उन्हें चेक पोस्ट के पार जाने की अनुमति नहीं देता. यूएन ने कई बार ऐसी अपील की है कि इजरायल गाजा पर अपना दावा छो़ड दे लेकिन इसका कोई असर नहीं प़डता. गाजा में इजरायल के कई चेक प्वाइंट हैं, जहां उस पार खाद्य सामग्री, दूध और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुएं मिलती हैं. लेकिन यहां पहुंचने के लिए गाजा के लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. कभी गाजा पट्टी, मिस्र का हिस्सा हुआ करता था. गाजा की आबादी भी काफी घनी है. हमास के आतंकी यहीं छिपकर इजरायल पर रॉकेट दागते हैं और इसका खामियाजा निरीह लोगों को भुगतना प़डता है. साल 2005 तक इजरायल ने गाजा पर कब्जा बरकरार रखा था किंतु तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन के एक कदम ने पूरी इजरायली राजनीति में भूचाल ला दिया. शेरोन ने गाजा छोड़ने की बात कह दी. इसी के बाद हमास गुट ने गाजा पर नियंत्रण पा लिया. यह कुछ वजहें हैं जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच विवाद थम नहीं रहा है. लेकिन इजरायली तौर तरीकों को गौर से देखा जाए तो इतने मासूम लोगों की मौत का जिम्मेदार एक ज्यादा ताकतवर देश होने के नाते इजरायल को ही ठहराया जाएगा.

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