25 नवंबर 2009 की सुबह. घड़ी की सूइयां सा़ढे दस बजा रही हैं. राज्यसभा की कार्यवाही बस शुरू होने ही वाली है. राज्यसभा में अपनी-अपनी जगहों पर बैठे सांसद, उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति हामिद अली अंसारी का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन उपराष्ट्रपति अपने कमरे में कुछ सांसदों के साथ बातचीत में मशगूल हैं. तय किया जा रहा है कि किन मसलों पर राज्यसभा में बहस मुसाहिबा हो या किन मुद्दों पर सवाल करने की इजाज़त दी जाए. मशविरा करते-करते अचानक उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी की आवाज़ तल्ख हो उठती है. ऊंची आवाज़ में वे बेसाख़्ता कहते हैं, नहीं.. नहीं.. आपको इस बाबत सवाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. हामिद अली अंसारी मु़खातिब हैं जदयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी से.

अली अनवर अंसारी के हाथ में है हिंदी का पहला साप्ताहिक अख़बार चौथी दुनिया, जिसमें छपी है वह रिपोर्ट जिसे सरकार हर क़ीमत पर गोपनीय बनाए रखना चाहती थी. यह रिपोर्ट है देश के दलित मुसलमान और दलित ईसाइयों को आरक्षण देने संबंधी जस्टिस रंगनाथ मिश्र की अनुशंसाओं की. एक ऐसी रिपोर्ट जिसे सरकार तमाम सांसदों की पुरज़ोर मांगों के बावज़ूद संसद में पेश करने से बचती रही है, लेकिन चौथी दुनिया ने इस रिपोर्ट को छापने में सफलता पाई.

बिहार से जदयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी को इस बात की नाराज़गी है कि जिस रिपोर्ट को संसद में पेश होना चाहिए था, वह अख़बार में कैसे छप गई. आख़िरकार कैसे लीक हुई यह रिपोर्ट. अनवर चाहते हैं कि सरकार इस बात का जवाब दे. इस मसले पर सभापति एवं उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी राज्यसभा में बहस कराने की इजाज़त दें.
लेकिन, उपराष्ट्रपति यह जानना चाह रहे थे कि आख़िर चौथी दुनिया कौन सा अख़बार है जिसने यह रिपोर्ट छापकर हंगामा खड़ा कर दिया है. अनवर अली ने उनकी जिज्ञासा शांत की. उन्होंने बताया कि इस अख़बार के संपादक संतोष भारतीय हैं, पर उपराष्ट्रपति इस अख़बार के मालिक का नाम भी जानना चाह रहे थे. सांसद एस एस अहलूवालिया ने उन्हें बताया कि राज्यसभा सांसद रह चुके कमल मोरारका का इस पर स्वामित्व है. हामिद अली अंसारी ने सांसद अली अनवर से चौथी दुनिया अख़बार की कॉपी मांगी. छपी हुई ख़बर पर सरसरी निगाह दौड़ाई, पर सवाल पूछने की इजाज़त अली अनवर को उपराष्ट्रपति ने फिर भी नहीं दी.
11 बजे दिन में राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई. उपराष्ट्रपति ने सभापति का आसन संभाला. जिन सांसदों ने विभिन्न मसलों पर पहले से ही सवाल करने की अनुमति ली हुई थी. उनके नाम पुकारे गए. पर तभी अली अनवर अपनी सीट से खड़े हुए. चौथी दुनिया अख़बार को हवा में लहराते हुए, बेहद आक्रामक अंदाज़ में अपना सवाल सभापति की ओर उछाल दिया. उन्होंने कहा कि रंगनाथ मिश्र की अनुशंसाओं की रिपोर्ट भी उतनी ही ज्वलंत और संवेदनशील है जितनी कि लिब्रहान आयोग की. फिर भी सरकार दोहरा मानदंड क्यों अपना रही है. क्या भारत सरकार को दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों के हक़ की कोई परवाह नहीं.
सरकार जवाब दे हमें जवाब चाहिए. उपराष्ट्रपति ने अली अनवर से कहा कि वे शांत हो जाएं, अपनी सीट पर बैठ जाएं, लेकिन अली अनवर का बोलना अनवरत जारी रहा. शोर-शराबा शुरू हो चुका था. हर कोई अपनी बात चीख-चीख कर रखना चाह रहा था. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद तारिक़ अनवर भी अली अनवर की मांगों का समर्थन करने लगे. सभापति ने गृहमंत्री पी चिदंबरम से लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट की बाबत पूछा. चिदंबरम ने जवाब दिया कि रिपोर्ट तैयार है. हामिद साहब जो भी व़क्त तय करेंगे, रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी. इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के सांसद वेंकैया नायडू भी चौथी दुनिया में छपी रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट को संसद में पेश करने की मांग करने लगे.
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुए कुल तीन मिनट का समय बीत चुका था. सदस्यों की आवाज़ें शोर में तब्दील हो चुकी थीं. सभापति हामिद अली अंसारी की पेशानी पर बल पड़ने लगे थे. कोफ़्त के आलम में उन्होंने कार्यवाही शुरू होने के  महज़ तीन मिनटों बाद ही कुछ देर के लिए सदन स्थगित कर दिया. वे अपने कमरे में चले आए. उपराष्ट्रपति महोदय जदयू के सांसद अली अनवर से बेहद नाराज़ थे. मजेदार बात यह रही कि इस पूरे प्रकरण को गृहमंत्री पी चिदंबरम बेहद ख़ामोशी के साथ टुकर-टुकर देखते रहे.
ख़फा सभापति ने अनवर अली को अपने कमरे में बुलाया और बेहद झल्लाए अंदाज़ में उनसे कहा कि मना करने के बाद भी आपने रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट की बात क्यों उठाई? अली अनवर अंसारी भी आवेश में थे. वे अपनी बातों पर कायम रहे. चौथी दुनिया में छपी रिपोर्ट दिखाते हुए उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल कर दिया. इधर हामिद अली अंसारी की नाराज़गी ब़ढती जा रही थी. तब यह देख सपा सांसद अमर सिंह, कमाल अख्तर, भाजपा सांसद एस एस अहलूवालिया ने अली अनवर से कहा कि वे चुप हो जाएं. अली अनवर ने उनकी बात फौरी तौर पर तो मान ली, पर उनका इरादा नहीं बदला.
थोड़ी देर बाद राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई. इस बार उप सभापति के रहमान ख़ान ने आसन संभाल रखा था. कार्यवाही शुरू होते ही सपा सांसद अमर सिंह ने कमान संभाल ली. उन्होंने उप सभापति से कहा कि जिस तरह लिब्रहान कमीशन की रिपोर्ट अख़बार में लीक होने पर सरकार जवाब देने के लिए मजबूर हुई है, उसी तरह सरकार को साप्ताहिक हिंदी अख़बार चौथी दुनिया में रंगनाथ मिश्र कमीशन की लीक हुई रिपोर्ट पर भी जवाब देना होगा. अमर सिंह ने बेहद कड़े लफ़्जों में अपनी बात जारी रखी.
उप सभापति के रहमान ने आदेश दिया कि संबंधित मंत्री इस सवाल का जवाब दें. मिनिस्टर ऑफ स्टेट, प्राइम मिनिस्टर ऑफिस पृथ्वीराज चौहान खड़े हुए. वे अभी स़फाई पेश करते कि उसके पहले ही अमर सिंह, जयंती नटराजन, सीताराम येचुरी और डी राजा आदि सभी ने दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों के हक़ की आवाज़ उठानी शुरू कर दी. उप सभापति के रहमान आग्रह करते रहे कि सभी सदस्य अपनी-अपनी जगहों पर बैठ जाएं, ताकि सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाई जाए. पर सदस्य कान देने को राजी नहीं थे. वे वैल में आ चुके थे.
अब भाजपा के वेंकैया नायडू भी चाह रहे थे कि चौथी दुनिया में छपी रिपोर्ट पर सरकार अपनी स़फाई पेश करे. तभी अली अनवर एक बार फिर खड़े हुए. चौथी दुनिया अख़बार को अपने दोनों हाथों से लहराते हुए और उप सभापति को दिखाते हुए उन्होंने फिर से बोलने की इजाज़त मांगी. इस बार उनका प्रयास सफल रहा. अली अनवर ने पूरे दम-खम से अपनी बात रखनी शुरू की. उन्होंने सरकार से पूछा कि सदन में सांसद, रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट पेश करने के लिए चीखते-चिल्लाते रहे, पर सरकार बहरी बनी रही.
पर वही रिपोर्ट चौथी दुनिया अख़बार के ज़रिए दुनिया के सामने आ गई. तो फिर हम सांसदों के रहने का औचित्य ही क्या रहा? उप सभापति ने अली अनवर को रोकने की कोशिश की, पर वे चुप नहीं हुए. बिहार से जदयू के एक अन्य सांसद एन के सिंह भी अली अनवर के समर्थन में खड़े हो गए. शोर-शराबा इतना बढ़ा कि कार्यवाही को दूसरी बार स्थगित करना पड़ा. कुछ मिनटों के बाद राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई. चौथी दुनिया अख़बार एक बार फिर से सदन में उछाला गया. रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट पर बात होती, उसके पहले ही लिब्रहान कमीशन की रिपोर्ट पर जय श्रीराम, जय बजरंगबली, या अली के नारे लगने शुरू हो गए. धक्कामुक्की और गुत्थमगुत्थी का शर्मनाक नज़ारा पूरे देश ने देखा.
अमर सिंह, प्रो. रामगोपाल यादव, प्रो. एस एस अहलूवालिया सभी एक दूसरे से भिड़ गए. यह देख नाराज़ उप सभापति के रहमान सदन से बाहर निकल गए. कार्यवाही तीसरी बार स्थगित हो गई. थोड़ी देर बाद हंगामा शांत हुआ. दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई. इस बार अली अनवर अंसारी के साथ भाजपा के एस एस अहलूवालिया और राजद के राजनीति प्रसाद भी थे. हालांकि अहलूवालिया का यह मानना था कि रंगनाथ मिश्र की स़िफारिशें ग़लत हैं. अगर ये स़िफारिशें लागू हो जाएंगी तो समाज में धर्मांतरण के मामले तेज़ी से ब़ढेंगे.
सीपीआई सांसद डी राजा और राजद सांसद राजनीति प्रसाद ने मांग की कि इस रिपोर्ट के लीक होने के मसले पर सरकार अभी जवाब दे. बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना भेज दी गई है, जवाब का इंतज़ार है, पर प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई जवाब नहीं आया. पूरे दिन की कार्यवाही ख़त्म हो गई. मांग करने वाले सांसद इंतज़ार करते रहे, पर सरकार ने जवाब देने की जहमत
नहीं उठाई.
सरकार ने ठीक वैसा ही रुख़ अपनाया, जैसा रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट पेश करने की बाबत अपनाया था. देश के दलित मुसलमान और दलित ईसाई पिछले दो सालों से उस रिपोर्ट के पेश होने का मुसलसल इंतज़ार कर रहे हैं, पर रिपोर्ट सरकार के ठंडे बस्ते में कैद है. क्या सरकार कभी रिपोर्ट पेश भी करेगी? सरकार इस मसले पर कब जवाब देगी? यह सवाल सबके ज़हन में है. और जवाब सिर्फ सरकार के पास. और सरकार फिलहाल मुंह खोलने को राज़ी नहीं.

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