भोपाल। सन्नाटे में पड़े भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा में जितने कार्यकर्ता और पदाधिकारी जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देते, उससे ज्यादा तादाद में प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा करने पहुंचीं महिलाओं को लेकर अब सवाल उछलने लगे हैं। बुर्के पहनकर पहुंचीं इन महिलाओं के हाथों में दिखाई देते कलावे, गंडे और पैरों में पड़ी बिछिया और बुर्के से झांकती सदियों ने इन सवालों को जन्म दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय भोपाल यात्रा के दौरान बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक कानून के लिए धन्यवाद करने पहुंचीं थीं। काले बुर्के पहुंचीं इन महिलाओं की अगुवाई प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की उपाध्यक्ष शमीम अफजल कर रही थीं। पूर्व महापौर आलोक शर्मा भी इनके साथ थे। मोर्चा कार्यकर्ता बताई गईं इन महिलाओं में से कई के हाथों में कलावे और गंडे बंधे दिखाई दे रहे थे। कुछ महिलाओं ने बुर्के के नीचे साड़ी भी धारण कर रखी थी।

एक जैसे बुर्के, समान डिजाइन
प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करने पहुंचीं मुस्लिम महिलाओं ने जो बुर्के धारण किए हुए थे, कमोबेश उनकी डिजाइन एक जैसी ही थी। अलग अलग परिवारों और इलाकों से आईं इन महिलाओं के एक समान बुर्कों ने भी इस मौजूदगी पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

पिछले प्रोग्राम में भी यही बुर्के
सूत्रों का कहना है कि कुछ समय पूर्व भोपाल आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के स्वागत के लिए भी मुस्लिम महिलाएं जुटी थीं। वीआईपी रोड के किनारे से शाह के काफिले पर फूल बरसाती इन महिलाओं के बुर्के भी लगभग इन डिजाइन वाले ही थे। बताया जाता है कि इन महिलाओं को एकत्र करने की जिम्मेदारी भी भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा नेत्री शमीम अफजल को ही सौंपी थी।

बुर्का ब्रिगेड बदनाम
सूत्रों का कहना है कि भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रमें के दौरान मुस्लिम मौजूदगी दर्शाने के लिए अक्सर बुर्का ब्रिगेड का सहारा लिया जाता है। बताया जाता है कि इस भीड़ जुटाई की व्यवस्था पहले मोर्चा के एक पदाधिकारी के पास हुआ करती थी। लेकिन शमीम अफजल की भाजपा में एंट्री के बाद से ये जिम्मा उन्होंने ही सम्हाल रखा है। सूत्रों का कहना है कि शमीम अफजल ने बड़ी तादाद में बुर्के खरीद रखे हैं, जिनका इस्तेमाल समय समय पर अलग अलग कार्यक्रमों में किया जाता है।

मोर्चा कार्यकर्ता ही कम
करीब एक साल पहले भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रफत वारसी अब तक तरीके से अपनी कार्यकारिणी गठित नहीं कर पाए हैं। राजधानी भोपाल में ही मोर्चा की गतिविधियां शिथिल पड़ी हुई हैं। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भी मोर्चा कार्यकर्ता कम संख्या में ही पहुंचे थे। ऐसे में महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या भी चौंकाने वाली प्रतीत हो रही है।

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