19 दिसंबर को सीएजी द्वारा संसद में पेश की गई रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि गंगा के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कम्पनियों में बाबा रामदेव की पतंजलि भी शामिल है. गौरतलब है कि पतंजलि शान से खुद को स्वदेशी और राष्ट्रवादी कम्पनी के रूप में प्रचारित करती है, लेकिन अब यह कम्पनी भी गंगा में अवशिष्ट डालने वाली कम्पनियों में शामिल हो गई है. पतंजलि का इस काम में लिप्त होना इसलिए भी अजीब लगता है, क्योंकि बाबा रामदेव खुद गंगा सफाई के लिए आवाज उठाते रहे हें और खुद भी इसके लिए आगे आते रहे हैं. सीएजी की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई है कि हरिद्वार में गंगा के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार जिन 9 कम्पनियों को बंद करने का आदेश दिया गया था, उनमें से 7 कम्पनियां अभी भी चल रही हैं. गौरतलब है कि उत्तराखंड इनवायरन्मेंट प्रोटेक्शन एंड पॉल्यूशन कॉन्ट्रोल बोर्ड (यूईपीपीसीबी) ने गंगा के प्रदूषण के लिए दोषी 180 उद्योगों को नोटिश जारी किया था, लेकिन इनमें से 42 ने नोटिस का कोई संज्ञान ही नहीं लिया और पूर्ववत गंगा को गंदा करने के अपने काम में लगे हैं. लेकिन इन सब के बावजूद सरकार इसे लेकर पूरी तरह से उदासीन है.

कम्पनियों और कारखानों के जरिए गंगा को प्रदूषित करने का यह खुला खेल केवल हरिद्वार में ही नहीं चल रहा. पूरे देश में कानून और मानको की धज्जियां उड़ाकर निर्मल गंगा को दूषित और बदबूबार करने का कुप्रयास जारी है. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की ही बात करें, तो यहां अब भी गंगा में हर दिन तकरीबन 300 सीवेज का गंदा पानी सीधे तौर पर डाला जा रहा है और यही कारण है कि यहां गंगा के जल की गुणवत्ता घोषित मानकों से काफी नीचे है. बनारस में गंगा के जल में बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होनी चाहिए, लेकिन ताजा आंकड़ों के मुताबिक यहां हर जगह यह मात्रा काफी ज्यादा है. जैसे, तुलसी घाट पर 6.8 मिलीग्राम, शिवाला घाट पर 6.4 मिलीग्राम, राजेंद्र प्रसाद घाट पर 5.2 मिलीग्राम, त्रिलोचन घाट पर 6 मिलीग्राम और वरुणा नदी के पास गंगा के पानी में 52 मिलीग्राम प्रति लिटर बोओडी पाया गया. फोकल कोलीफॉम काउन्ट पानी में उपस्थित बैक्टीरिया की जांच करता है. सामान्य तौर पर नदियों के पानी में इसकी मात्रा 500 से कम होनी चाहिए, लेकिन बनारस में हर जगह गंगा के पानी में यह मात्रा सौ गुना से भी ज्यादा है. तुलसी घाट पर 70,000, शिवाला घाट पर 63,000, आरपी घाट पर 41,000 और त्रिलोचन घाट पर फोकल कोलीफॉम काउन्ट की मात्रा 57,000 प्रति लिटर है.

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