संघ प्रमुख ने सरकार-प्रशासन और जनता तीनों को कोरोनाके लिए जिम्मेदार ठहराया है !
हालांकि वर्तमान संघ प्रमुख ने कुछ हदतक विज्ञान की पढाई की है !और वह भी वेटरनरी साइन्स की पढाई के कारण उनके नाम के आगे डॉ लगा हुआ है ! और बीमारी मानव की हो या जानवरों की मेडिकल के पैमाने दोनों में काफी हदतक एक जैसे ही होते है ! और इसके बावजूद डॉ मोहन भागवत ने संपूर्ण अवैज्ञानिक बात की है ! क्योंकि शासन-प्रशासन दोनों एक ही होते है ! और जब वैज्ञानिकों ने अक्टूबर 2020 से ही सेकंड म्यूटेशन के धोखे की सूचना प्रशासन को दी है फिर नवंबर, दिसंबर और ताजा मार्च के शुरू मे भी दोहराया ! लेकिन सरकार मे आरोग्य मंत्री ने उसी मार्च के शुरू मे ही कहा कि अब मास्क पहनने की जरूरत नहीं है ! और प्रधानमंत्री ने विदेशी भूमीपर एलान कर दिया कि हमने भारत के भूमि से कोरोना का अस्तित्व खत्म कर दिया है !

क्या आखिल भारत के स्तर के संघटन के प्रमुख इतने अनजान है कि भारत के सबसे बड़े पदपर बैठा हुआ आदमी इस तरह के गैरजिम्मेदार बयान दिया है ! कि भारत के भूमि से कोरोनाका अस्तित्व खत्म कर दिया है ! और संपूर्ण देश के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सम्हालने वाला खुद पेशेवर डॉक्टर रहने के बावजूद इसी मार्च के शुरू मे ही कह दिया कि अब मास्क पहनने की जरूरत नहीं है ! दोनों संघ के सभी ओटीसी शिबिरो के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों मेसे है ! तो प्रधानमंत्री उम्र के सत्रह वर्ष से संघ के प्रचारक रहे हैं ! और संघ प्रमुख मोहन भागवत एक शब्द से अपने स्वयं सेवक रहे दोनों जिम्मेदार पदोपर के लोगो का नाम भी नहीं लिया !

और सबसे गैरजिम्मेदारी की बात पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जिस तरह से भीड इकठ्ठा करके चुनाव प्रचार एक जुनून की हदतक किया है ! बंगाल की एक सभा की भिडको देखकर खुश होकर कहा कि कोरोनामे भी लाखों लोग शामिल हुए हैं ! क्या आप को यह नहीं लगता कि गैरजिम्मेदारी का परिचय दिया है?वह बहुत ही हैरान करने वाला है क्योंकि वैज्ञानिकों ने बार-बार कहा है कि सेकंड म्यूटेशन के लिए सबसे बड़ा खाद्य भीड है ! और शादी मे तक दोनों के अलावे तीसरे ने शामिल नहीं होना चाहिये ! लेकिन शादी ब्याह के अलावे सत्ताधारी दल के लोगो ने पाचो राज्यों में फरवरी, मार्च के महीनों में जिस तरह से भीड इकठ्ठा करके चुनाव प्रचार करना क्या एपीडेमिक कानूनों की धज्जियां नही उडा रहे थे !

 

और सबसे संगीन बात कुंभ के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री बदलकर लाखो लोगो का जमावड़ा और उसका समर्थन करते हुए नये मुख्यमंत्री कहते हैं कि मा गंगा में डुबकी लगाने के बाद किसी को कोई खतरा नहीं है ! मोहन भागवतजी आपको आपकी वेटरनरी साइन्स की पढाई अगर थोड़ी भी याद हो तो क्या यह बयान अवैज्ञानिक नहीं है ? और वह मुख्यमंत्री एक संघ स्वयंसेवक रहे हैं !

डॉ मोहन भागवतजी आपको बचपनसे मुसलमानों के बारे में शाखा-ओटीसी शिबिरो के द्वारा खुब नफरत पैदा करने की जानकारी घुट्टी में पिलाई गई है ! यह मुझे मालूम है लेकिन मुसलमानों की कोई अच्छी बात है तो उसे स्वीकार करने के लिए आपको भी तैयार रहना चाहिए ! शायद कुंभ से भी ज्यादा संख्या में लोग इकट्ठा होने वाले संपूर्ण विश्व के स्तर के हज जैसे आयोजन को गत दो वर्षों से इस्लामी जगत ने कोरोनाके कारण बंद कर के और उसमें खरोबो डॉलर का नुकसान सह कर ! क्योंकी संपूर्ण महिना दो महीने पहले ही विश्व के मुसलमानों का आना जाना शुरू होने के कारण शेकडो विमानों को खडे, रखा है उसीतरह लाखो की संख्या में लोग आते है तो होटलों को बंद रखा है ! और बाजार जहाँ से कितना सामान खरीदने की बात होती है ? सब कुछ बंद कर के और हज के अलावे अन्य समय मे जो यात्रा सभी इस्लामी तीर्थयात्रियों की उसे भी बंद करके रख दिया है ! क्या यह उदाहरण आपको और आपके परिवार के अन्य लोगों को कुछ भी नसीहत नहीं दे रहा ?

उल्टा आपका स्वयंसेवक जो आज महाराष्ट्र के राज्यपाल पदपर बैठा हुआ है और बीमारी के कारण मुख्यमंत्री ने मंदिर बंद रखने के लिए कहा तो आप के स्वयंसेवक कोश्यारी कह रहे है कि लगता है कि मुख्यमंत्री सेक्युलर बन गये ! तो क्या सेक्युलर बनना कोई गुनाहगार बनने की बात है ? आपने भी तो राज्यपाल के पदपर बैठने के पहले भारत के संविधान की शपथ लेकर ही राज्यपाल बने हो जिस शपथ मे जनतंत्र, समाजवादी, सेक्युलर और विज्ञानिकता का स्पष्ट उल्लेख है ! क्या आपके परिवार के लोग भारत के संविधान का अपमान नही कर रहे हैं ? मोहनजी आप जनता के कंधों पर जिम्मेदारी का ठिकरा फोडकर आपके समस्त स्वयंसेवक जो आज भारत के महत्वपूर्ण संविधानिक संस्थाओं की बागडोर संभालने के लिए संविधान की शपथ लेकर ही बैठे हैं और अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं !

उल्टा गैरजिम्मेदारी से भीड इकठ्ठा करके चुनाव प्रचार करना, कुंभ और अन्य धार्मिक विधि करने की हरकतों के लिए और सबसे संगीन बात इतनी भयावह मेडिकल इमरजेन्सी में क्या आपके नजर मे सरकार नाम की कोई चीज नजर आ रही है ? उल्टा सरकार ने अपने आप को अलग कर के राज्यों की जिम्मेदारी है करके केंद्र सरकार ने अपने आप को अलग कर के क्रिमिनल अपराध किया है और सबसे गैरजिम्मेदारी की बात कोरोनाके वैक्सीन का भारत की प्रयोगशालाओं ने बनाया तो भारत के लोगों को देने की बात छोड़ विदेशो मे विमानों मे भरकर देशभक्ति का काम कर रहे थे ?
आपने एक शब्द भी नही कहा और एक तरफ हमारा खजाना खाली है बोलनेवालों के इतने खर्चीला सेंट्रलविस्टा जैसे गैर-जरूरी प्रोजेक्ट और महंगे विमान तथा अन्य फिजुलखर्च के बारे मे कुछ भी नहीं दिखाई नहीं दे रहा है ?

जब कि पेशेंट को अस्पताल में बेड नहीं है ! और बेड है तो इलाज के अभाव में मर रहे हैं ! और मरने के बाद दफनाने के लिए इंतजाम नहीं होनेके कारण शेकडो शवोको गंगा में फेंका जा रहा है ! और आपके स्वयंसेवक जो की आज अपने आप को भारत के प्रधान-सेवक कहलाते है!नमोमी गंगा जैसे करोडो रूपये बर्बाद कर के इन सब बातो को नजरअंदाज कर रहे हैं और आप कुछ भी नहीं बोल रहे हो ? भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश के भी मुख्यमंत्री जो आपके परिवार के ही सदस्य है ! किस तरह से शासन चला रहे ? अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति (वैसे तो संपूर्ण भारत मे ही है !) लेकिन उत्तरप्रदेश में सबसे संगीन तरह से और मुख्य रूप से अल्पसंख्यक और दलितों को और उनकी औरतो के साथ आये दिन जो कुछ हो रहा है ! और उसके लिए कोई खोज खबर लेने के लिए जाता है तो उसे भी जेल मे डाल दिया जा रहा है ! क्या यह आपकी नजरों में नहीं आता है ? कि आप भी संघ के मनुस्मृति के महिमामंडित करने के और दलितों को और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर व्यवहार करने के पक्षधर है ? इसलिए गोलमोल सरकार-प्रशासन और जनता तीनों को कोरोनाके लिए जिम्मेदार ठहराया है ?

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