देश में कोरोना वायरस के नए केसों में लगातार कमी बनी हुई है। एक बार फिर से 10,000 से कम नए केस आए हैं। बीते 24 घंटे में एक तरफ कुल 9,283 नए केस मिले हैं तो वहीं 10,949 लोग रिकवर हुए हैं। इससे एक्टिव केसों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली है और अब यह आंकड़ा महज 1,11,481 ही रह गया है। यह आंकड़ा बीते 537 दिनों यानी करीब डेढ़ साल में सबसे कम है। यही नहीं रिकवरी रेट भी बढ़ते हुए 98.33 फीसदी पर पहुंच गया है, जो बीते साल मार्च के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इस बीच कोरोना टीकों में भी तेजी देखने को मिल रही है। अब तक देश में 1118 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लग चुके हैं और जल्दी ही यह आंकड़ा 120 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है।

इस बीच एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि शायद अब देश में कोरोना की तीसरी लहर नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि इस बात की आशंका बहुत कम है कि देश में पहली और दूसरी की तरह कोरोना की तीसरी लहर आएगी। यही नहीं उन्होंने कहा कि जिस तरह से केसों में गिरावट देखने को मिल रही है, उससे साफ है कि वैक्सीन से लोगों की रक्षा हो रही है और फिलहाल कोरोना की बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। आईसीएमआर के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव की पुस्तक ‘गोइंग वायरल: मेकिंग ऑफ कोवैक्सीन- द इनसाइड स्टोरी’ की लॉन्चिंग के मौके पर उन्होंने यह बात कही।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि जिस तरह से वैक्सीन के प्रभाव के चलते संक्रमण की रफ्तार थमी और अस्पतालों पर दबाव कम हुआ है, उससे हर दिन तीसरी लहर आने का डर खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता भी है तो शायद यह पहली और दूसरी लहर की तरह खतरनाक न हो। उन्होंने कहा कि गुजरते समय के साथ यह महामारी बीमारी के तौर पर तब्दील हो जाएगी। लेकिन इसकी घातकता कम हो जाएगी। बूस्टर डोज के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल जिस तरह से केसों में कमी जारी है, उससे ऐसा नहीं लगता है कि देश में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज या फिर तीसरी डोज की जरूरत है।

कोरोना वायरस से लड़ने में 50 फीसदी असरदार है कोवैक्सीन की दोनों डोज़

द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन बीबीवी152 यानि कोवाक्सीन का पहला रियल वर्ल्ड एसेसमेंट बताता है कि वैक्सीन की दो डोज कोरोना के सिम्टोमैटिक (लक्षण वाले मरीजों) में 50% प्रभावी है। द लैंसेट में हाल ही में प्रकाशित एक अंतरिम अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि कोवैक्सीन की दो खुराक जिसे बीबीवी152 के रूप में भी जाना जाता है, में रोगसूचक रोग के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभावी थी। नए अध्ययन ने 15 अप्रैल 15 मई से दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 2,714 अस्पताल कर्मियों का आकलन किया, जो रोगसूचक थे और कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया था।

कोवैक्सीन, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ बीबीवी152 के अनुसंधान नाम के तहत विकसित किया गया है। एक वेरो सेल-व्युत्पन्न, निष्क्रिय होल-विरियन वैक्सीन है जो एक उपन्यास सहायक के साथ तैयार किया गया है और दो में प्रशासित है। वैक्सीन, जिसे जनवरी में भारत में वयस्कों में आपातकालीन उपयोग के लिए अप्रूव किया गया था, को इस महीने की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) दी गई थी।

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