जैसे-जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है, नए-नए समीकरण सामने आते जा रहे हैं. इस कड़ी में सबकी नजरें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हैं. हाल के दिनों में नीतीश के कुछ बयानों ने गठबंधन सहयोगी के रूप में भाजपा को असहज किया है. ऐसा ही एक और बयान नीतीश कुमार ने दिया है, जिसे भाजपा के लिए संकेत समझा जा सकता है. बिहार में भाजपा के समर्थन से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने थ्री-सी का नया मंत्र देते हुए कहा है कि हमारी सरकार गठबंधन की कीमत पर क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं करेगी.

उन्होंने गठबंधन पर काम को तरजीह देते हुए कहा कि बहुत लोगों को एलाइंस-वलाइन्स पर परेशानी होने लगती है, इसलिए उसको छोडिए. काम के एजेंडे को देखिए. हम न्याय के साथ विकास को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और हम लोगों की सेवा में लगे रहते हैं. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कहा कि यह तो हम करते रहेंगे, चाहे वो विशेष राज्य के दर्जे की मांग हो या बिहार के हित की. सरकारें अपने कामों का विज्ञापन छपवाती है, लेकिन हम अपने प्रचार के लिए विज्ञापन में पैसे खर्च नहीं करेंगे. मुझे इससे दिक्तत है. उन्होंने यह भी कहा कि हम गांधी जी के सिद्धांत पर चल रहे हैं, हमे काम करना है.

गौरतलब है कि बीते दिनों जेडीयू के भीतर से ऐसी आवाज उठी थी कि बिहार में गठबंधन का चेहरा नीतीश ही होंगे. उसके बाद जेडीयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा भी ठोक दिया. इन सबसे सीटों को लेकर गठबंधन दलों का समीकरण बिगड़ रहा है. जेडीयू के 25 पर दावा करने के बाद भाजपा नेताओं ने अपने लिए 22 सीटों की बात कही है, इन्हें मिलाकर ही 47 सीटें हो जाती हैं, जबकि बिहार में लोकसभा की 40 सीटें ही हैं और गठबंधन में राम विलास पासवान की एलजेपी और आरएलएसपी भी हैं. इसलिए अभी से बिहार का सियासी माहौल गर्म होने लगा है.

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