मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए ओछे बयान पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी आई. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने सीएम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास जिस तरह से लगातार अपने पद को अमर्यादित भाषा के कारण धूमिल कर रहे हैं, यह उनके मानसिक दिवालियेपन को दर्शाता है. रघुवर दास उन दिनों को याद करे जब वे मेरे सामने काम के लिए गिड़गिड़ाते थे. पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो और विपक्ष की सकारात्मक राजनीति देख मुख्यमंत्री जी खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं, जबकि झाविमो सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी ने कहा कि तीसरे ग्रह से आकर झाविमो तूफान मचा रहा है.

jharkhand-cmझारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने को कड़क और ईमानदार साबित करने के चक्कर में प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं के संबंध में ऐसे शब्दों का उपयोग कर डालते हैं, जो उनके पद की गरिमा के अनुरुप नहीं होता. अभी हाल में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन के व्यक्तिगत मामलों को लेकर ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान आया कि सारे विपक्षी दलों के नेता खासे नाराज हैं. इस बयान को लेेकर मुख्यमंत्री दास की काफी किरकिरी भी हुई.

वैसे मुख्यमंत्री के लिए इस तरह का बयान कोई नया नहीं है. विधानसभा सत्र के दौरान भी हेमंत के प्रति असंसदीय भाषा का प्रयोग किया तो विपक्षी दलों ने पूरे सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी और मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करने लगे. अधिकारियों के प्रति भी उनका रवैया कुछ इसी तरह रहता है और कड़क दिखाने की कोशिश में ऐसे शब्दों का उपयोग करते हैं, जिसके कारण प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी इस रवैये से क्षुब्ध रहते हैं.

दास के बिगड़े बोल 

अब जरा मुख्यमंत्री जनसंवाद के एक-दो उदाहरण को ही देख लें. एक जनशिकायत के दौरान एक पुलिस अधीक्षक से पूछा कि तुम्हें आईपीएस किसने बना दिया, तुम वर्दी के लायक नहीं हो, वहीं एक उपायुक्त से एक घटना को लेेकर उपायुक्त से इसी तरह कहा कि अरे कहां था रे डीसी. अहंकार में चूर मुख्यमंत्री श्री दास ने लगभग सभी विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया, जो सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता. हेमंत सोरेन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो नेता अपने बाप-भाई एवं भाभी का नहीं हो सकता, वह जनता का क्या होगा. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के सामने मत्था टेकने वाले रघुवर दास ने शिबू सोरेन को भी नहीं बख्शा और यह कहा कि झामुमो बाप-बेटे की पार्टी है, जिसने झारखंड को बेचने का काम किया.

झामुमो मुद्रा मोचन वाली पार्टी है, जो पैसा लेने का काम करती है. उन्होंने कहा कि हेमंत जैसा अपरिपक्व नेता  नहीं देखा, वे किस मुंह से कहते हैं कि वे आदिवासियों के हितैशी हैं, झामुमो ने झारखंड की आदिवासी अस्मिता बेचने का काम किया है. राज्यसभा चुनाव में बाहर से आया थैलीशाह झामुमो का प्रत्याशी बनकर जीत जाता है और हेमंत के छोटे भाई बसंत चुनाव में हार जाते हैं. कांग्रेस और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब पालकी ढोने वाली पार्टी बन गयी है और सुबोधकांत सहाय एक एक्सपायरी डेट वाले नेता हो गये हैं.

बयान का असर चुनाव पर

मुख्यमंत्री के इस बयान का असर राज्य के दोनों विधानसभा के उपचुनावों पर भी पड़ा. मुख्यमंत्री के अड़ियल व्यवहार के कारण भाजपा के भीतर ही नाराजगी है और पार्टी के अधिकांश कार्यकर्त्ता और नेता मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही उपेक्षा से भितराघात करते रहते हैं. गोमिया एवं सिल्ली विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री ने पूरी ताकत झोंक दी थी. पूरा मंत्रिमंडल ही गोमया में कैंप कर रहा था, भाजपा के संगठन प्रभारी धर्मपाल भी मॉनिटरिंग में लगे हुए थे. मुख्यमंत्री ने दुमका के लिट्टिपाड़ा विधानसभा उपचुनाव के समय जिस तरह प्रधानमंत्री को बुलाकर कई योजनाओं का शिलान्यास कराया, ठीक वही चीज इस उपचुनाव में भी दोहराया गया.

यहां भी धनबाद में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का आयोजन कराकर हजारों करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास कराया गया, पर यहां भी परिणाम वही आया जो लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में आया था. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासनकाल के दौरान हुए उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक देने के बाद भी, एक भी उपचुनाव में अपनी पार्टी को जीत नहीं दिला सके. पार्टी आलाकमान भी इस उपचुनपाव के नतीजे से भयभीत है और उसे आशंका है कि अगर रघुवर दास के नेतृत्व में लोेकसभा और विधानसभा चुनाव कराये गये तो कहीं भाजपा की नैया न डूब जाये.

वैसे इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. पिछलेे विधानसभा चुनाव में झारखंड में मोदी लहर का प्रभाव दिखा और झारखंड गठन के बाद, पहली बार भाजपा बहुमत में आयी, पर पार्टी अपना जादू बरकरार रखने में पूरी तरह से विफल रही. रघुवर दास के बड़बोलेेपन और अनाप-शनाप बयान के कारण विपक्षी दलों में एकजुटता बढ़ती जा रही है, जबकि एनडीए में दरार बढ़ता ही जा रहा है. इस उपचुनाव परिणाम के बाद, जहां महागठबंधन ने यह ऐलान कर दिया है कि अगला विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जायेगा और महागठबंधन के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही होंगे, वहीं एनडीए में दरार बढ़ता ही जा रहा है.

नाराज़ आजसू

एनडीए की एकमात्र घटक दल आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने यह साफ कर दिया है कि इस गठबंधन पर आजसू को पुनर्विचार करना होगा. आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड को जनता के हित में लिए जाने वाले हर निर्णय के बारे में सहयोगी दल और जनता से विचार करना चाहिए. कोई भी ऐसा निर्णय नहीं होना चाहिए, जिसमें सरकार को बैकफुट पर आना पड़े. सीएनटी एसपीटी में संशोेधन के पक्ष में उनकी पार्टी शुरू से ही नहीं थी. सरकार जमीन अधिग्रहण, सीएनटी जैसे मुद्दे पर बैकफुट पर आ गयी. इस उपचुनाव में आजसू और भाजपा एक-दूसरे के रोड़ा बनते दिखे. आजसू सुप्रीमो इस चुनाव में हार के बाद कुछ ज्यादा ही बौखला गए हैं. सुदेश ने कहा कि भाजपा के सहयोग और गठबंधन पर पुनर्विचार करेंगे. पार्टी ने सहयोगी के सहयोग का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है.

विपक्ष की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए ओछे बयान पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी आई. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने सीएम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास जिस तरह से लगातार अपने पद को अमर्यादित भाषा के कारण धूमिल कर रहे हैं, यह उनके मानसिक दिवालियेपन को दर्शाता है. रघुवर दास उन दिनों को याद करे जब वे मेरे सामने काम के लिए गिड़गिड़ाते थे. पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो और विपक्ष की सकारात्मक राजनीति देख मुख्यमंत्री जी खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं, जबकि झाविमो सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी ने कहा कि तीसरे ग्रह से आकर झाविमो तूफान मचा रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ओछी बातें करते हैं तो मुख्यमंत्री तो करेंगे ही.

वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अगर अपने आदत के अनुरुप इस तरह की बातें करते रहे तो भाजपा की नैया झारखंड में डूबनी तय है. ऐसे भी रघुवर दास के नेतृत्व में संगठन जहां कमजोर हुआ और कार्यकर्त्ता उपेक्षा से आक्रोशित है, वहीं विपक्षी दलों में प्यार कुछ ज्यादा ही प्रगाढ़ होता जा रहा है. वैसे सेमीफाईनल के परिणाम से जहां विपक्षी दल उत्साहित हैं, वहीं भाजपा खेमे में मायूसी का माहौल है.

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मुख्यमंत्री रघुवर दास जिस तरह से लगातार अपने पद को अमर्यादित भाषा के कारण धूमिल कर रहे हैं, यह उनकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है. रघुवर दास यह याद कर लें कि जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तो वे हमसे मिलकर अपने काम को लेेकर किस तरह गिड़गिड़ाया करते थे. -सुुबोधकांत सहाय, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री 

झामुमो और विपक्ष की सकारात्मक राजनीति देख कर  मुख्यमंत्री जी खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं. सीएम खुद दिग्भ्रमित तो हैं ही, अब वे दूसरे लोेगों को भी भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें इस गरिमामय पद का थोड़ा तो लिहाज किया होता.-हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष, झारखंड

रघुवर दास को जेवीएम का भय सता रहा है. इसलिए वे बार-बार मेरी पार्टी का नाम लेेते हैं. झाविमो तीसरे ग्रह से भी आकर झारखंड में तूफान मचा रहा है. मुख्यमंत्री को कुर्सी जाने का डर सता रहा है. इसलिए, वे इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं. -बाबूलाल मरांडी, झाविमो

जब देश के प्रधानमंत्री ओछी बातें करते हैं तो उनके मुख्यमंत्री उनसे भी आगे बढ़कर ओछी बातें करेंगे ही. दरअसल, रघुवर ऐसा कह कर नरेंद्र मोदी को खुश करना चाहते हैं. ये सारे लोेग राजनीति का स्तर गिरा रहे हैं. -डॉ. अजय कुमार, कांग्रेस

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