rahul meeting with MP,CG,Rajasthan CM

तीन राज्‍यों में मिली जीत से कांग्रेस इतनी भौंचक थी कि मुख्‍यमंत्रियों के नाम तय करने में कांग्रेस आलाकमान को खूब माथापच्‍ची करनी पड़ी. जैसे-तैसे नाराजों को मना-थपा कर मुख्‍यमंत्रियों के नाम तय किए गए. अब शपथग्रहण समारोहों से निपटने के बाद राहुल गांधी के पास तीनों राज्‍यों के सीएम समेत बड़े नेता लाइन लगाकर खड़े हैं ताकि अब अपने-अपने पंसदीदा लोगों को मंत्री बनवा सकें. खबर है कि पिछले दो दिनों से कड़कड़ाती ठंड में तीनों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री दिल्‍ली में आकर जमे बैठे हैं. इससे पहले ये तीनों नए-नवेले सीएम मंत्री पदों के लिए अपने-अपने राज्‍यों में बैठकें कर चुके हैं. क्रिसमस से पहले ही तीनों राज्‍यों में मंत्री बनने के लिए आतुर विधायकों को ये पता चल जाएगा कि उनके लिए ये जाता हुआ साल और क्‍या देकर जाएगा.

वैसे तो शुक्रवार को ही मंत्रिमंडल के नाम तय होने की संभावना थी लेकिन राहुल गांधी पिछले तीन दिनों से शिमला में थे. लिहाजा अब उनके यहां आने के बाद बैठकें शुरु होंगी. उम्‍मीद है कि शनिवार को ही मंत्रियों के नाम तय हो जाएंगे. दिल्‍ली आने से पहले मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने एके एंटनी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बैठक की थी. वहीं राजस्थान में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने मंत्रियों के नामों को लेकर गहलोत-पायलट से मंथन किया था और छत्‍तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने सीनियर लीडर्स पुनिया और वोरा से मुलाकात की थी.

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विधायक भी पहुंच चुके हैं दिल्‍ली

मध्‍यप्रदेश में कमलनाथ के मंत्रिमंडल में फिलहाल 15 से 20 विधायकों को ही शामिल करने की चर्चा है. निर्दलीय विधायकों में से भी 1-2 को ही मौका मिलेगा. मालवा-निमाड़, ग्‍वालियर-चंबल इलाकों से कांग्रेस ने ज्‍यादा सीटें जीती हैं, इसलिए यहां के मंत्री ज्‍यादा हो सकते हैं.

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राजस्थान से मुख्‍यमंत्री अशाके गहलोत और उपमुख्‍यमंत्री सचिन पायलट के अलावा करीब डेढ़ दर्जन विधायक भी मंत्री बनने के लिए दिल्‍ली में डेरा डाले हुए हैं. सीएम पद के लिए पहले ही गहलोत और पायलट में खासी ठनी रही, वैसी ही स्थिति अब अपने समर्थकों को मंत्री बनवाने के लिए भी बन सकती है.

इधर छत्‍तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ भी दर्जनभर विधायक उम्‍मीदवार दिल्‍ली आए हैं. चूंकि छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस की 68 सीटें हैं और इसमें से 13 ही मंत्री बन सकते हैं क्‍योंकि विधानसभा में सदस्‍यों की संख्‍या जितनी हो उससे 15 फीसदी विधायक ही मंत्री बन सकते हैं. चूंकि भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंहदेव और ताम्रध्‍वज साहू ने भी शपथ ले ली थी, लिहाजा अब 10 पद ही बचे हैं.

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