जब मर्द फोन पर पूछे,

बेबी! तुमने खाना खाया?

बेबी! तुम्हारी तबीयत ठीक है?

बेबी! तुम्हें नींद आयी?

और तुम उसे अपनी राम कहानी सुनाती हो

और वो धैर्य से सुनता है!

तुम ये न समझने लगना की वो तुम्हारी “चिंता” कर रहा है!

वो पगला तो तुम्हारे अवाज से ही मोहब्बत कर बैठता है,

वो भोला तुम्हारी अवाज सुनकर ही जवान हो जाता है.

रोज के एक 10min के बातों में

तुम्हारे 5-10 हूं हाँ हम्म में ही पूरी जिन्दगी जी लेता है!

तुम ये न समझने लगना की वो तुम्हारी चिंता कर रहा है!

अभी वो चिंता नहीं, वो बस मोहब्बत कर रहा है!

चिंता तो वो बाद मे करेगा,

रात दिन करेगा, हर पल करेगा!

जब उसकी तुम्हारी शादी हो जाएगी!

चिंता तब भी वो तुम्हारी ही करेगा!

अपनी चिंता बिलकुल नहीं करेगा!!

जबकी उससे कोई नहीं पूछेगा

बेबी! तुमने खाना खाया?

बेबी! तुम्हारी तबीयत ठीक है?

बेबी! तुम्हें ठीक से नींद आयी?

लेकिन, वो दफ्तर की मसरूफियत्

में से भी समय निकाल कर पूछेगा,

बेबी! तुमने खाना खाया?

बेबी! तुम्हारी तबीयत ठीक है?

बेबी! तुम्हें ठीक से नींद आयी?

अब तुम फोन पर उससे  पूछो, ज़वाब मिलेगा

बेबी तुम खा लो, मुझे भूख नहीं है!

काम के लोड मे आवाज जरा ऐसी हो गयी है

वैसे मेरी तबीयत ठीक है!!

बेबी ऑफिस में काम ज्यादा है,

तुम दरवाज़ा लगा कर सो जाओ!

दूसरी चाबी मेरे पास है!!

मर्दों का क्या बस जवानी के वो चार दिन!

जी हां चार दिन ही होते हैं उस बेचारे के!

उसी चार दिन को उम्र समझ कर शादी की चाह करता है!

उसी चार दिन को उम्र समझ कर शादी भी कर लेता है!

फिर उसी चार दिन की याद मे चार दशक निकाल देता है!

फिर भी आदत नहीं जाती

बेबी! कुछ खाया,

बेबी! तुम्हारी तबीयत ठीक है,

बेबी! तुम्हें ठीक से नींद आयी,…

सवाल वहीं लेकिन अब अपने बच्चों के लिए,

फिर उनके बच्चों के लिए….

चिंता तब भी उसे ही होगी

अपनी नहीं औरों की होगी

तब भी उससे कोई नहीं पूछेगा

बाबा! कुछ खाया?

बाबा! तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?

बाबा! तुम्हें ठीक से नींद आयी?

😥

इसी चिंता में वो कब आखिरी नींद ले लेगा,

ये उसको भी पता नहीं चलेगा !!

बेबी! ने अच्छा खा लिया होगा,

बेबी! की तबीयत भी ठीक होगी,

बेबी! को बहुत अच्छी नींद भी आयी होगी!

लेखक

जी वेंकटेश,

भोपाल

 

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