mewallllllllltttttttहरियाणा और राजस्थान के एक खास क्षेत्र को मेवात का इलाका कहा जाता है, जो गुड़गांव के नज़दीक नूह से लेकर राजस्थान के अलवर तक फैला हुआ है. यह मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां के मुसलमानों को मेव मुसलमान कहते हैं. मेव मुसलमानों का एक लंबा इतिहास रहा है. बाबर की सेना से लोहा लेने वाले इस समुदाय को जब आज़ादी के वक्त, बंटवारे के बाद जबरन पाकिस्तान भेजने की तैयारी की जा रही थी, तब खुद महात्मा गांधी इस इलाके में आए और उन्होंने कहा कि मेव हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी हैं और कोई भी इन्हें यहां से नहीं हटा सकता. इस क्षेत्र के मेव मुसलमानों की सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक स्थिति भी देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले अल्पसंख्यकों जैसी ही है. अशिक्षा और ग़रीबी यहां की बड़ी समस्या है. लेकिन, इससे भी बढ़कर एक और समस्या है, यहां के सामाजिक ताने-बाने को समय-समय पर कमजोर और शांति-सद्भाव को भंग करने की कोशिश करना. पिछले कुछ समय से यह इलाका सांप्रदायिक तनाव की जद में आता रहा है.
2011 में गोपालगढ़ की हिंसा, जिसमें पुलिस ने मस्जिद में घुसकर फायरिंग की थी, के दौरान कई लोगों की मौत हो गई थी. इस साल भी रमजान के दौरान अलवर ज़िले के सिरमौली गांव में राजस्थान की स्पेशल पुलिस कोबरा ने घरों में घुसकर मुस्लिम महिलाओं एवं बच्चों को पीटा. कारण यह बताया गया कि इलाके के लोग पत्थर की चोरी कर रहे थे. हालांकि, स्थानीय निवासियों के मुताबिक, इस इलाके में बड़े लोगों के इशारे पर पत्थरों का अवैध खनन होता है. गांव के ग़रीब लोग अपने घरेलू इस्तेमाल के लिए कभी-कभी यहां से पत्थर ले जाते हैं. ऐसी ही एक घटना में गांव के लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी, जिसके बाद सारे पुरुष तो भाग निकले, लेकिन उसका बदला पुलिस ने महिलाओं एवं बच्चों को पीटकर लिया.
इस मामले को जद (यू) सांसद अली अनवर अंसारी ने संसद में उठाया और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नजमा हेपतुल्लाह एवं गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने का अनुरोध किया है. बीते 10 सितंबर को लिखे गए इस पत्र का अभी तक गृह मंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री की ओर से स़िर्फ इतना ही जवाब आया है कि मामले को देखा जा रहा है. दो महीने से भी अधिक समय बीतने के बावजूद न तो कोई जांच हुई है और न कोई कार्रवाई. इस घटना के अलावा, पलवल के हथीन ब्लॉक में भी लगातार माहौल को तनावग्रस्त बनाने की कोशिश की जा रही है. यहां की सैकड़ों साल पुरानी मस्जिद को लेकर स्थानीय नेता विवाद पैदा करने की न स़िर्फ कोशिश कर रहे हैं, बल्कि बीते 11 नवंबर को तो बाकायदा मस्जिद पर हमले हुए, दुकानों में आग लगाने से लेकर लूटपाट तक की घटनाएं हुईं.

मेव मुसलमान एक देशभक्त कौम है और यह किसी से डरने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ संगठन एवं लोग इस इलाके में अशांति फैलाना चाहते हैं, लेकिन हम डटकर उसका मुकाबला करेंगे और लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करेंगे.-अली अनवर अंसारी, सांसद, जद (यू).

इस बारे में हथीन निवासी जमालुद्दीन बताते हैं कि मस्जिद के सामने एक टीनशेड था, जिसे हटाकर पक्का निर्माण कराया जा रहा था. इसका कुछ लोगों ने विरोध किया, तो स्थानीय पंचायत की बैठक के बाद पक्का निर्माण बंद कर दिया गया. जितना निर्माण हुआ था, उसे भी तोड़ने की बात मान ली गई और बाकायदा उसे तोड़ा भी जाने लगा, लेकिन इसी बीच कुछ शरारती एवं उपद्रवी तत्वों ने हिंसा शुरू कर दी. 11 नवंबर की रात को मारपीट, आगजनी एवं लूटपाट की कई घटनाएं हुईं. स्थानीय निवासी दबे स्वरों में बताते हैं कि इस मामले को हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय से ही गर्माने की कोशिश की जा रही थी. इस मामले में कुछ उपद्रवी युवकों एवं संगठनों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिसकी जांच चल रही है, लेकिन इस सबके बीच इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द्र ज़रूर बिगड़ा है.
मेवात के इन मुद्दों को लेकर 15 नवंबर को दिल्ली में जद (यू) सांसद अली अनवर अंसारी ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके सारी बातें मीडिया के सामने रखीं. इसमें मेवात के कई सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए, जिनमें रमजान चौधरी, डॉ. अब्दुल बहाव, याहिया सैफी, डॉ. मुंशी खान, अकबर कासमी, खान बाबा एवं सुभान खान आदि प्रमुख थे. अली अनवर अंसारी ने स्पष्ट कहा कि मेव मुसलमान एक देशभक्त कौम है और यह किसी से डरने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ संगठन एवं लोग इस इलाके में अशांति फैलाना चाहते हैं, लेकिन हम डटकर उसका मुकाबला करेंगे और लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करेंगे.

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