alok-kumarएक लॉटरी घोटाले में कथित भूमिका होने के संदेह में कर्नाटक के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक कुमार का निलंबन राज्य के बाबुओं में चर्चा का विषय बना हुआ है. राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को ऐसे मामले में निलंबित किया गया. उनके निलंबन का निर्णय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा लिया गया. इसके बारे में मुख्य सचिव कौशिक मुखर्जी के माध्यम से राज्य के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश को अवगत करा दिया गया है. पुलिस वाले के खिला़फ सुबूत मिलने से राज्य सरकार के पास उसके निलंबन के सिवाय कोई रास्ता नहीं था. कुमार द्वारा राज्य सरकार को अदालत में चुनौती देने के इतिहास को देखते हुए इस मामले में सावधानी से क़दम बढ़ाए जा रहे हैं. निलंबित अधिकारी ने पहले ही कह रखा है कि वह अपने निलंबन के खिला़फ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के पास जाएगा. राज्य के आईपीएस अधिकारियों की एसोसिएशन ने भी इस बात पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से कहा है कि वह असली दागियों के खिला़फ सावधानी पूर्वक कार्रवाई करे, लेकिन सभी अधिकारियों को दागी न समझे.

 

आशा की नई किरण

लोगों का ऐसा मानना था कि भाजपा के केंद्र और बाद में राज्य की सत्ता में आने से आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की मुश्किलें समाप्त हो जाएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अधिकाधिक बार तबादलों के शिकार इस अधिकारी को उस समय क़ीमत चुकानी पड़ी थी, जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के ज़मीन के सौदे को निरस्त कर दिया था. खेमका ने सोचा था कि हरियाणा में नवनियुक्त खट्टर सरकार सेवा में उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखेगी और कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा उनके खिला़फ दायर किए गई चार्जशीट पर रोक लगाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब इस बात की संभावना बन रही है कि राज्य सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग विवादस्पद गुड़गांव ज़मीन सौदे में हुई अनियमितताओं की जांच करके खेमका के खिला़फ पिछली सरकार के आरोप ढाई साल बाद रद्द करेगी. कुछ लोगों का मानना है कि ईमानदार खेमका के खिला़फ आरोप रद्द करने में हो रही देरी सेवाकाल के दौरान नेताओं से सीधे टक्कर लेने के कारण प्रतिशोध वश हो रही है. लेकिन, वरिष्ठ नौकरशाह खेमका के लिए यह आशा की किरण है कि उनकी परेशानियां जल्द ही दूर होने वाली हैं.

 

राहत की सांस

अविनाश चंदर को डीआरडीओ प्रमुख के पद से अचानक हटाए जाने के तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद सरकार ने अंतत: इस पद के लिए एस क्रिस्टोफर को उपयुक्त माना है. चंदर के बाद पूर्व रक्षा सचिव आरके माथुर और फिर उनके बाद जी मोहन इस पद का कार्यभार संभाल रहे हैं. क्रिस्टोफर की नियुक्ति से संबंधित समाचार डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के लिए राहत लेकर आया है. चंदर के हटाए जाने के समय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि जल्द ही सारे खाली पदों को भर लिया जाएगा. रक्षा मंत्रालय के बाबुओं में चिंता इस बात की है कि डीआरडीओ प्रमुख के न होने के कारण कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट्‌स और हथियारों के अपग्रेडेशन सिस्टम में देरी इसलिए हो रही है, क्योंकि अंतिम रूप से किसी मसले पर निर्णय डीआरडीओ प्रमुख ही लेते हैं. इसलिए क्रिस्टोफर किसी भी धारणा से निपटने के लिए अपने नए कार्यालय में तैयार हैं.

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