isiआतंकी संगठनों और नक्सलियों की गठजोड़ का ही परिणाम था कानपुर का रेल हादसा. पूर्वी चम्पारण के धोड़ासहन स्टेशन के पास इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाकर रेल ट्रैक उड़ाने के असफल प्रयास में पकड़े गए नक्सली से पूछताछ के दौरान यह जानकारी मिली. भारत को दहलाने की साजिश का संचालन पड़ोसी देश नेपाल और दुबई में बैठे आतंकियों द्वारा आईएसआई के इशारे पर किया जा रहा है.

21 नवम्बर 2016 को कानपुर के रूरा में पटना इन्दौर एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 148 लोग मारे गए थे. तब किसी को यह अंदाजा नहीं था कि यह एक आतंकी घटना है और इसके तार नेपाल से जुड़े हैं. इसे महज संयोग ही कहेंगे कि पूर्वी चम्पारण के आदापुर में दर्ज दोहरे हत्याकांड में मोतिहारी पुलिस ने उमाशंकर प्रसाद उर्फ उमाशंकर पटेल को रक्सौल से और मोतीलाल पासवान और मुकेश यादव को आदापुर से गिरफ्तार किया.

पूछताछ के दौरान मोतीलाल ने बताया कि पूर्वी चम्पारण के घोड़ासहन स्टेशन के पास 1 अक्टूबर 2016 को आईईडी आईएसआई के इशारे पर लगाया गया था. विस्फोट की जिम्मेदारी आदापुर के अरुण और दीपक को दी गई थी. विस्फोट नहीं करा पाने के कारण ही दोनों की हत्या कर दी गई. इस खुलासे ने पुलिस को चौंका दिया और गहन तफ्तीश में घोड़ासहन में आईईडी लगाने के मामले में गिरफ्तार आदापुर के मोती पासवान ने नेपाल के कलेया निवासी ब्रजकिशोर के साथ मिलकर आईएसआई के इशारे पर इस घटना को अंजाम देने की बात स्वीकार की.

साथ ही कानपुर रेल हादसे को भी आईएसआई के इशारे पर नक्सलियों द्वारा अंजाम देने की जानकारी दी. पुलिस ने तत्काल इसकी सूचना केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों को दी. आईबी, एटीएस, रॉ और एनआईए की टीम भी गिरफ्तार नक्सलियों से पूछताछ कर चुकी है. मोती ने पूछताछ के दौरान अपने अन्य 12 सदस्यों का नाम भी बताया.

पुलिस मोती के दो करीबी राकेश शर्मा और गजेन्द्र को सरगर्मी से खोज रही है. दोनों के खिलाफ विभिन्न थानों में कई आपराधिक और नक्सली मामले दर्ज हैं. मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र राणा ने कहा कि पकड़े गए मोती पासवान, उमाशंकर प्रसाद और मुकेश यादव के आईएसआई से संबंध होने के प्रमाण मिले हैं. उनकी निशानदेही पर नेपाल से वहां की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें नेपाल का कलेया निवासी ब्रजकिशोर गिरी, शम्भू उर्फ लड्‌डू और मोजाहिर अंसारी शामिल हैं.

नेपाल पुलिस से प्राप्त सूचना के अनुसार आईएसआई ने बिहार में विध्वंसक कार्रवाई की जिम्मेवारी ब्रजकिशोर को दे रखी थी. इसके लिए दुबई से उसके एकाउंट में तीस लाख रुपए भी मुहैया कराए गए थे. इसमें से साढ़े सात लाख ब्रजकिशोर के लिए थे और साढ़े सात लाख गजेन्द्र को मिले. उसी तीस लाख में से दीपक और अरुण को घोड़ासहन में ब्लास्ट कराने के लिए तीन लाख रुपए दिए गए थे.

लेकिन वे 1 अक्टूबर को धमाका कराने में विफल रहे. इसकी असफलता ही दोनों की मौत का कारण बनी. मोतीलाल, मुकेश यादव, उमाशंकर, राजू पटेल और गजेन्द्र शर्मा 25 दिसंबर 2016 को अरुण और दीपक को अपने साथ नेपाल ले गए और वहां दोनों की हत्या कर दी. उन्होंने हत्या की मोबाइल से विडियो बनाकर ब्रजकिशोर को भेज दिया था. ब्रजकिशोर ने नेपाल पुलिस को बताया कि शम्शुल होदा ने दुबई में आईएसआई का कमान संभाल रखा है. उसे जिम्मेदारी दी गई थी कि पूर्वी चम्पारण के शातिर बदमाशों को एक सूत्र में बांध कर पूरे बिहार और पड़ोसी राज्यों में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे. इसके लिए बारह लोेगों का गैंग बनाया था.

कानपुर में 21 नवंबर 2016 को पटना-इंदौर एक्सप्रेस और 28  दिसंबर 2016 को सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस हादसे में भी इसी गैंग की संलिप्तता थी. यूपी एटीएस टीम की पूछताछ में मोतीलाल पासवान ने बताया कि दोनों घटनाओं का नेतृत्व ब्रजकिशोर गिरी ने किया था, जिसमें मोतीलाल पासवान, गजेन्द्र और राकेश शर्मा शामिल थे. तीनों रक्सौल के रास्ते कानपुर पहुंचे थे. कानपुर रेल हादसे में मिले सुराग के आधार पर यूपी एटीएस की टीम द्वारा दिल्ली से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के दौरान मोतीलाल ने दिल्ली से पकड़े गए मोहम्मद जुबैद के फोटो की पहचान की. उसने पुलिस को बताया कि कानपुर हादसे में जुबैद भी रेल ट्रैक के नट-वोल्ट खोलने में शामिल था.

खुली सीमा होने के कारण आतंकी नेपाल में शरण लेते हैं और विध्वंसक घटनाओं को अंजाम देकर वहां भाग जाते हैं. जम्मू कश्मीर के आरएसपुरा सेक्टर में आतंकी हमले के बाद नेपाल सरकार ने भी हाई एलर्ट जारी कर दिया था. आतंकियों द्वारा नेपाल में घुसपैठ को गंभीरता से लेते हुए तीन माह पूर्व आयोजित सुरक्षा परिषद् की बैठक में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से नेपाल में आतंकी संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी पर लंबी वार्ता हुई थी.

फिलहाल आतंकी संगठनों का नेपाल कनेक्शन भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बन गया है. इसी चौकसी का परिणाम था कि नेपाल के बारा जिले में 27 दिसम्बर को मुठभेड़ में ब्रजकिशोर गिरी, शंभू उर्फ लड्‌डू और मो. जहीर अंसारी नेपाली पुलिस के हत्थे चढ़ा. दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों ने आपसी समन्वय बनाकर इंडो-नेपाल बॉर्डर पर आईएसआई के नेपाल कनेक्शन का खुलासा किया. इसी के साथ घोड़ासहन से लेकर कानपुर रेल हादसे में आईएसआई का तार जुड़ता गया.

भारतीय एजेंसी रॉ के सेंट्रल डेस्क के एक अधिकारी के   अनुसार पाकिस्तान में करांची के मोहम्मद शेख ने शम्शुल होदा को आईएसआई से संबंध स्थापित कराया. नेपाल निवासी   होदा दुबई में एनआरआई के रूप में रहता है और भारत विरोधी विघ्वंसक कार्रवाई का नेतृत्व करता है. हालांकि दिखाने के लिए वह दुबई में विदेश भेजने के एजेंट के रूप में काम करता है. सीमाई क्षेत्र के इस आतंकी अभियान को नेपाल मॉड्‌यूल का नाम दिया गया है.

आतंक से प्रभावित मलेशिया की खुफिया रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है. हाल में मलेशिया ने नेपाली मूल के एनआरआई जंग बहादुर को अपने देश से निकाल दिया था. जंगबहादुर मलेशिया के एनआरआई संघ का अध्यक्ष भी था. उसपर आरोप है कि वह इस्लामिक आतंकी संगठनों के लिए काम करता है. बताते हैं कि जंगबहादुर और शम्शुल होदा में गहरी नजदीकी है.

इधर यूनाइटेड स्टेट्‌स ऑफ अमेरिका के काठमांडू स्थित यूनिट ने भी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि विभिन्न आतंकी संगठनों ने नेपाल को अपना शेल्टर बना लिया है. रिपोर्ट के अनुसार आतंकी संगठन नेपाल को अपने कार्य के लिए सॉफ्ट स्टेट मानते हैं. यहां आतंकी संगठन धन का लोभ देकर  आसानी से युवाओं को अपने साथ जोड़ लेते हैं.

खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआई और अन्य आतंकी संगठन नेपाल में कैंप कर भारत में विध्वंसात्मक कार्रवाई को बढ़ावा दे रहे हैं. नेपाल मॉड्‌यूल के तहत आतंकी संगठनों का मुख्य उद्देश्य है भारत में रेलवे को निशाना बनाना.

बेंगलुरू धमाका, पटना और दिल्ली को दहलाने की योजना के खुलासे के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों की नजर सीमाई क्षेत्रों पर रही है. इस दौरान दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, रक्सौल, सीतामढ़ी समेत उत्तर बिहार के सीमाई क्षेत्रों से आतंकियों के संबंधों की जानकारी प्राप्त हुई. सुरक्षा एजेंसियों ने पड़ताल शुरू की.

इसी दौरान इंडियन मुजाहिदीन का सह-संस्थापक यासीन भटकल, असदुल्लाह उर्फ हकी, जाली नोट का सरगना इमरान तेली, बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड करीम टुंडा के नेपाल में होने की सूचना मिली थी. एनआईए की टीम ने जाल बिछाकर 2013 में इन आतंकियों को पकड़ने में भी सफलता पाई थी. इस दौरान इंडियन मुजाहिदीन के अफजल उस्मानी की भी गिरफ्तारी हुई.

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