महात्मा गाँधी, पाकिस्तान के जैसा भारत भी धार्मिक राष्ट्र के रूप में विश्व में पहचाने जाने के खिलाफ थे ! वह उस समय के भारत के एकमात्र आदमी थे जो हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अथक प्रयास कर रहे थे ! और इसलिए तत्कालीन भारत के व्हाइसराय लॉर्ड मॉऊंटबॅटन ने कहा कि “हमारे देश की पस्चिमी सिमावर्ति पंजाब और सिंध में हिंदू – मुस्लिम दंगे में ! हजारों की संख्या में, सेना को जो संभव नहीं हुआ ! वह इस ‘वन मॅन आर्मि ने’ पूर्व भारत के सिमावर्ति इलाके में वर्तमान समय का बंगला देश और बंगाल-बिहार के दंगों में शांति-सद्भावना करने का जो चमत्कार कर दिखाया है वह हमारे देश की सेना भी नहीं कर सकी !


और सबसे हैरानी की बात तीस जनवरी 1948 के दिन महात्मा गाँधी जी के हत्या के बाद ! समस्त भारत में जादूई परिणाम हुआ ! और सांप्रदायिक हिंसा थम गई थी ! और उन सब बातों को जिम्मेदार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भयानक रूप से सांप्रदायिक जहर फैलाने के गुनाह करने की वजह से ! तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने कुछ समय के लिए बैन किया गया है ! यह सब बारवी क्लास के राजनीतिकशास्र के पाठ्यक्रम में पंद्रह साल से पढाया जा रहा था ! और नथुराम गोडसे पूना का ब्राह्मण और अग्रणी नाम के अत्यंत सांप्रदायिकता फैलाने वाले मराठी अखबार के संपादक ने कहा कि महात्मा गांधी मुस्लिम पस्त थे ! और इसीलिये मैंने उनकी हत्या का काम किया है ! यह सब पाठ्यक्रम से हटाने का काम किया गया है ! मतलब आनेवाली पिढी को गांधी जी की हत्या किसने कि और क्यों कि ? तथा उस हत्यारे की पहचान बदल कर उसे भी विनायक दामोदर सावरकर के जैसा महिमामंडन करते हुए ! और महात्मा गाँधी जी के खिलाफ बदनामी की मुहिम चला कर ! उन्हें भी जवाहरलाल नेहरू के जैसा एक मुहिम के अंतर्गत आने वाले समय में बदनाम करने की कोशिश का यह प्रयास चल रहा है !


मैंने बचपन में संघ की शाखा में जाने के बाद, माझी जन्मठेप (मेरे जीवन की जेल की सजा ! ) यह सावरकर की आत्मकथा किताब से लेकर मोपलिस्थान ( पाकिस्तान की मांग के पहले ही 1920 ! सावरकर ने केरला के माल्यपूरम क्षेत्र में रह रहे मुस्लिम समुदाय के बारे में लिखा गया झुठमुठ का इतिहास ! ) फिर हिटलर – मुसोलीनी के महिमामंडन के साथ-साथ मॅझीनी के चरित्र बौद्धिक और कुछ मराठी भाषी किताबों का पठन-पाठन किया है ! और यह सब कुछ सुनने – पढ़ने वाले बच्चों के मानस का विकास कैसा होगा ?
नाथूराम, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, और वर्तमान देश के बड़े-बड़े पदोपर बैठे हुए लोग ! उम्र के इतने कम समय में अगर इतना जहरीला प्रचार – प्रसार करने वाले स्कूल में जाकर कैसे तैयार होंगे ? अब उनके हाथ में भारत की सत्ता की बागडोर आने के बाद ! वह सरकारी स्कूलों के छात्रों को भी नाथूराम बनाने के लिए ! और सबसे संगिन बात अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ करने के लिए विशेष रूप से ! इस तरह के परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे हैं !


संघ के संस्थापकों में से एक डॉ. बी. एस. मुंजे मार्च 15-24, 1931 इटली में बेनिटो मुसोलीनी द्इ स्थापित किए मीलिटरी स्कूल, तथा फासीस्ट अकादमी अॉफ फिजिकल एज्युकेशन और सबसे महत्वपूर्ण बात बलिला और इव्हागुरडिस्टी नाम के दो संघठन को देखते हुए ! डॉ. मुंजे ने अपनी डायरी के दो पन्ने खर्च किए हैं ! जिसका लब्बोलुआब है ! “कि उन दोनों संघठन में जो भी बच्चों को (18 साल के निचले उम्र के ) पढाया जाता था ! वह शिक्षा की जगह शत्रुओं के साथ कैसे – कैसे तरीके से निपटा जा सकता ! यह जादा सिखाया जाता ! देखकर डॉ. मुंजे ने इटली के प्रवास से नागपुर वापस लौटने के बाद डॉ. हेडगेवार और अन्य साथियों की मदद से भोसला मिलिटरी स्कूल की स्थापना की ! और संघ की शाखा में भी बलाला और एव्हेंगारडिस्टी की तर्ज पर डॉ. मुंजे ने अपने डायरी में लिखा है ! “कि भारतीय लोगों के जैसे इटली के लोग भी युद्ध के बारे में आलसी और खाओ – पिओ और जिवो के मनोवृत्ति के होने के कारण ! बेनिटो मुसोलीनी ने यह दो फासीस्ट संघठन बनाकर मुखतः इटली की भावी पिढी को युद्धखोर बनाने के लिए विशेष रूप से प्रयास किया है ! और भारत में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का फौंडेशन डॉ. बी. एस. मुंजे तथा डॉ. हेडगेवार ने मिलकर बनाने की कोशिश की ! और 1940 में डॉ. हेडगेवार की मृत्यु के बाद ! 1973 तक ! 33 साल श्री. गुरुजी उर्फ माधव सदाशिव गोलवलकर, शायद संघ के इतिहास के सबसे लंबे समय संघ प्रमुख के पद पर बने रहने के कारण ही ! उन्होंने उसी दर्शन को तथाकथित भारतीय जामा पहनाने की कोशिश में हिंदुत्ववादीयो के लिए नाथूराम गोडसे जैसे लोगों के निर्माण करने का काम किया है ! और वह सब सत्ताधारी नही रहते हुए ! अब तो नौ साल से सत्ता में आने के बाद अगर उन्होंने यह सब नहीं किया होता तो आस्चर्य की बात थी ! लेकिन उन्होंने अपने हिसाब से भारत को ब्राह्मणी वर्चस्व के उग्र हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश के तहत यह पाठ्यक्रम के बदलाव की बात है !


विश्व के इतिहास में सभी सत्ताधारियों को अपनी सुविधा के अनुसार इतिहास का लेखन चाहिए होता है ! जिसमें कम्युनिस्ट, फासिस्टोने सबसे ज्यादा इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है ! आज पिछले नौ सालों से फासीस्ट तथा हिंदूत्ववादी राजनीतिक ताकतों को बढ़ावा मिला है ! और उसी कारण आज उन्हें सत्ता के गलियारों में पहुचाने में मदद हुई है ! ” और उस कारण उनके मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत सौ वर्ष से हमारे इतिहास के बारे में अपनी शाखा, बौद्धिक वर्गों से लेकर सार्वजनिक जीवन में लगातार हमारे इतिहास का लेखन को लेकर आलोचना करते रहे हैं ! अब उन्होंने कोरोना की आडमे यह पाठ्यक्रम बदलाव कर दिया था ! जिसे हम कोई भी नहीं जान सकें ! और सबसे महत्वपूर्ण बात जिस राष्ट्रपिता के कारण संपूर्ण विश्व में भारत की पहचान है ! वह 30 जनवरी 1948 के श्याम के पांच बजकर सत्रह मिनटपर कैसे मरे ? यह हमारे देश के किसी भी पाठ्यक्रम या स्मारक या इतिहास के पन्नों से हटाने का निर्णय सिर्फ अपने राष्ट्रपिता के प्रति कृतघ्नता नही है ? समस्त मानवता के साथ कृतघ्नता है !


79 साल का वयोवृद्ध आदमी अपनी उम्र तथा हमारे देश के स्वतंत्रता के उत्सवों की परवाह किए बिना ! देश के मुक्ति के साथ जारी सांप्रदायिकता के खिलाफ ! बंगला देश के नोआखाली से लेकर कलकत्ता, बिहार और जनवरी के अंत में राजधानी दिल्ली में ! और उसके बाद तुरंत वर्तमान पाकिस्तान तत्कालीन भारत के पस्चिमी पंजाब और सिंध प्रांत में जाने के लिए ! अपने सहयोगी जहांगीर पटेल को अपनी सिंध प्रांत की यात्रा की तैयारी करने के लिए विशेष रूप से कराची में भेजा हुआ था ! और जहांगीर पटेलने अपनी गांधी नामकी किताब में लिखा है ! “कि मुझे 30 जनवरी 1948 को श्याम पांच – छह बजे के आसपास, कुछ लोग सड़कों पर छाती पिटते हुए ! और रोते हुए, और जालिम ने महात्मा गाँधी की हत्या कर दी ! यह कहते हुए, देखकर मैंने किसी एक को रोककर पुछा की क्या हुआ ? तब बताया कि अभि – अभि कुछ देर पहले ! दिल्ली की प्रार्थना सभा में महात्मा गाँधी जी के उपर किसी जालिम ने गोलियां चलाई और गांधी जी नहीं रहे !


और सिर्फ उसी कारण तत्कालीन उपप्रधानमंत्रि और गृहमंत्री श्री.वल्लभभाई पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उपर बैन लगा दिया था ! इस तथ्य को हटाने का काम एनसीईआरटी ने किसके इशारे पर किया होगा ? क्योंकि संघ और उसके समर्थक लाख बोलते हैं ! “कि नाथूराम का संघ के साथ कोई संबंध नहीं था !” चलिए माना कि नाथूराम का संघ के साथ कोई भी संबंध नहीं था ! तो आज उसके महिमामंडन करने वाले लोगों की संख्या देखने से पता चलता है ! कि सभी लोग संघ के लोग है ! और उनमें से किसी को संसद सदस्य तक बनाया है ! और जिन्हें संसद में पहुंचाया ! उसके बारे में भी संघ ने मालेगांव के बमविस्फोट के बाद यही कहा था ! “कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर से संघ का कोई संबंध नहीं है !


और 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल में मैंने अपनी आंखों से हप्ता भर से अधिक समय रहते हुए देखा कि लगभग संपूर्ण संघ ने अपनी पूरी ताकत प्रज्ञा सिंह ठाकुर के जिताने के लिए विशेष रूप से लगा दी है ! अब आपके और प्रज्ञा सिंह के क्या संबंध है ? और उसने भोपाल से चुनाव प्रचार के समय महात्मा नथुराम गोडसे का महिमामंडन करने का व्यक्तव्य देने के कारण ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने कहा था ! “कि मै उसे जिदंगी भर माफ नही करुंगा !” दुनिया में पाखंडीयो की कमी नहीं है ! लेकिन संघ के भीतर एकसे बढकर एक पाखंडी भरे हुए हैं ! और वह आज अपने 1948 मे गाँधी हत्या के बाद सरदार पटेल ने खुद बैन लगाने की बात को पंद्रह साल से भी अधिक समय से पढाए जा रहे, राजनीतिकशास्र के विषय से निकालने की कृतियों को आज हम देख रहे हैं ! उन्हें 2025 में संघ की शताब्दी से पहले ही भारत को ब्राह्मणी उग्रहिंदूत्वादि राष्ट्र की घोषणा जो करना है !


लाख संघ और उसके समर्थन करने वाले लोगो के दिमाग में महात्मा गाँधी जी के कारण ही बटवारा हुआ ! और महात्मा गाँधी मुस्लिम पस्त थे ! के आरोप लगाए जा रहे हैं ! यह उन्हें बचपन से ही शाखाओं में लगातार बताया जाता है ! इसी वजह से नथुराम जैसे लोग इतने अतिवादियों के काम करते हैं ! तो जर्मनी में हिटलर भी अपने अनुयायियों को इसी तरह की नफरत यहुदी धर्म के लोगों के खिलाफ लगातार बताया करता था ! और एक करोड़ से अधिक यहुदीयो को मौत के घाट उतार दिया है ! संघ फासीस्ट विचारधारा का हिमायती है ! और हूबहू हिटलर – मुसोलीनी की तर्ज पर अपने संघठन की निर्मिती और रचना की है ! इसलिए आज गांधी हत्या के ऐतिहासिक तथ्य को पाठ्यक्रम से हटाने का निर्णय लिया है ! क्योंकि गाँधी जी की जगह सावरकर और उसके शिष्य नथुराम गोडसे का महिमामंडन करने का कार्यक्रम खुलेआम चल रहा है !


महात्मा गाँधी बटवारे के बाद भरी बारिश में किचड में चलकर ! और इतनी भयानक सांप्रदायिकता की आग में पैदल गांव – गांव बस्ती – दर- बस्ती हाथ में एक लाठी और चंद साथियों के साथ शांति – सद्भावना के लिए काम कर रहे थे ! यह जानकारी वर्तमान पीढ़ी या और आगे आनेवाली पीढी के लोगों को मालूम नहीं होना चाहिए ! इसिलिये उनके हिंदू – मुस्लिम एकता के प्रयास को भी लोगों से छुपाने के लिए ! वह पाठ्यक्रम से हटाने की कृती भारत की गंगा – जमनी संस्कृति की जगह ! भारत के भीतर ही एक और दुसरी बस्तियों का निर्माण करना ! यह गुजरात के दंगों के बाद तेज गति से होने की शुरुआत हुई है ! और भारत जैसे बहुआयामी देश के भविष्य के लिए खतरनाक है ! जिसे मैं आजसे तैतीस साल पहले ! भागलपुर दंगे के बाद, मुस्लिम समुदाय अपने अलग – अलग बस्तियों को बनाने के काम को देखने के बाद मैंने संपूर्ण भारत में घेट्टोझायजेशन के खिलाफ बोलने लिखने की कोशिश की है ! भारत के बीच में ही अलग अलग कई तरह के भारत ! पुनः कोई खलिस्तान – खलिस्तान कर रहे हैं ! यह भी उसी बात को प्रमाणित करते हैं ! जब आप हिंदू राष्ट्र की बात करते हो तो इस देश में विश्व के लगभग सभी धर्मों के लोग रहते हैं ! तो 140 करोड जनसंख्या के देश में सिर्फ हिंदू राष्ट्र बनाने की बात सर्वस्वी वाहियात बात है ! क्योंकि इस तरह की हरकतों से हमारे देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा करने वाली है ! जबकि पचहत्तर प्रतिशत से अधिक जनसंख्या हिंदूओ की है तो फिर किससे डरना है ? जिसे अंग्रेजी में मायनॉरिटी फिअर सायकी बोलते है ! लेकिन मेजॉरीटी उग्रहिंदूत्वादि राष्ट्रवाद से इस देश के और कितने बटवारे करना है ?


अब 2014 के बाद उन्हें सत्ताधारी बनने का मौका मिला ! तो उन्होंने अपने हिसाब से भारत के इतिहास, समाजशास्त्र,, संस्कृती और धर्म को लेकर संपूर्ण भारत में नियोजित तरिके से काम करना शुरू किया ! सबसे प्रथम यूजीसी, एनआरआईटी, सभी केंद्रिय विश्वविद्यालय के व्हाइसचांसलरोकी नियुक्तियां चुन – चुनकर अपने विचारधारा को अमली जामा पहना सकेंगे ऐसे ही लोगों की नियुक्तियां की है ! और ओबीसी, दलित तथा गरीब – गुर्बा बच्चों के पढाई के दरवाजे बंद करने के लिए ! बेतहाशा फिस बढ़ाने का काम किया ! और उसी के खिलाफ कोई रोहित वेमूला या नजिब जैसे बच्चों को अपनी जान गवानी पडी है !
हमारे देश की संवेदनशीलता को काठ मार गया है ! सत्तर के दशक में गुजरात के मोरवी नाम के जगह सरदार पटेल नाम के इंजीनियरिंग कालेज के छात्रों ने मेस की थाली एक रूपया थी ! पच्चीस पैसे की बढोतरी होते ही आंदोलन किया ! जो गुजरात और संपूर्ण भारत की सत्ता बदलाव के लिए विशेष रूप से सहायक हुआ है (1977) ! और आज आईआईटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मॅनेजमेंट या विभिन्न पाठ्यक्रमों की फिस कितने गुना बढ़ाने के बावजूद ! कुछ विद्यार्थियों की जान चली गई ! और कुछ विद्यार्थियों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है ! और उसके बावजूद आज देश में जो प्रतिक्रिया होनी चाहिए वह नहीं हो रही है ! मै खुद सत्तर के दशक में भारत के विद्यार्थियों के आंदोलन की पैदाइश हूँ !
शायद आनेवाले समय में भारत में बीजेपी का शासन खत्म होने की संभावना देखकर ! संघ हमारे देश के पाठ्यक्रम से महात्मा गांधी की हत्या से लेकर स्वतंत्रता के बाद भारत में सही मायने में स्वराज्य के लिए विशेष रूप से महिलाओं तथा दलितों और आदिवासियों तथा अल्पसंख्यक और पिछड़े लोगों द्वारा समय – समय पर किए गए विभिन्न जनांदोलनों को भी इतिहास से हटाकर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
मै खुद आज सत्तर साल के उम्र से गुजर रहा हूँ ! और अपने उम्र की पंद्रह साल के समय से राष्ट्र सेवा दल की शाखा 1965-66 में चलाते हुए देश के आजादी के दस साल के पस्चात भी जो देश की सबसे बड़ी आबादी दलित, आदिवासी, महिला, पिछडी जाती और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इतने खस्ता हालत में क्यों हैं ? यह सवाल राष्ट्र सेवा दल के शिबीर और मेरे अपने अगल – बगल की परिस्थिति का आकलन के अनुसार दिखाई दे रहा है ! कि देश में स्वतंत्रता बहाली के दस साल खत्म होने के पस्चात भी ! परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है ! जंगल में बाघों को नहीं डरने वाला आदिवासी एक मामुली फॉरेस्ट गॉर्ड के गणवेश धारी आदमी को देखते हुए पेडपर चढकर या जंगल के भीतर घनी झाडीयो के पिछे छुप जाता है ! दलितों के साथ छुआछूत के कारण होने वाले अत्याचार पानी के कुओं से लेकर मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आजादी के बाद भी साने गुरुजी को पंढरपूर के विठ्ठल मंदिर में दलित समुदाय के लोगों को प्रवेश वर्जित था ! और उसे हटाने के लिए प्राणांतिक अनशन करना पडा ! मतलब गोरे की जगह काले आ गए ! और युनियन जॅक की जगह तीरंगा झंडा देश भर में लहराने लगा लेकिन सामाजिक आर्थिक गैरबराबरी में कोई फर्क नहीं पडा ! दलितों तथा आदिवासी तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए दर्जनों कानून हमारे संविधान निर्माताओं ने बनायें ! लेकिन उनको अमली जामा पहनाने की जमात वहीं पुरानी मनुस्मृति के अनुसार समाज के तरफ देखने वाले ! इसलिए तो पुलिसकर्मियों के व्यवहार हमेशा ही इन वर्गों के लोगों के खिलाफ ही रहते हैं ! और वह भी संघ के प्रभाव में चले जाने की वजह से दलितों तथा आदिवासी, महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नजर आते हैं !


लगभग एक हजार वर्ष का समय मुघल काल का रहा है ! और इसी काल में छत्रपती शिवाजी महाराज और महाराना प्रताप तथा समस्त भक्ति आंदोलन हुआ है जिसमें तुकाराम महाराज से लेकर नानासाहेब, मछींद्रनाथ – गोरखनाथ, संत कबीर, रैदास, मीराबाई और दर्जनों सुफी संत हो गए जिन्होंने सामाजिक विषमताओं से लेकर आर्थिक विषमता जैसे महत्पूर्ण लोकशिक्षण करने का प्रयास किया है ! फिर इस इतिहास का क्या होगा ? अमेरिकन साम्राज्यवाद और शितयुध्द तथा पंधरा सौ साल पहले शुरूआत किया गया इस्लाम धर्म और उससे पैदा हुए विभिन्न मुस्लिम साम्राज्यो का पतन और उदय यह सब पाठ्यक्रम से हटाने वाले लोगों के दिमाग में गोबर भरा हुआ है ! और आने वाले समय में हमारे भावी पिढी को भी वैसा ही रखना है ?


डॉ सुरेश खैरनार 6 मार्च 2023, नागपुर

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