शाहीन बाग का महत्व

फासीवादी सरकार द्वारा अब न्याय पालिका का दुरुपयोग खुलकर किया जा रहा है । न्याय पालिका को हथियार बनाकर इससे सामाजिक न्याय ,मानव अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की पक्षधर जनता पर हमले किए जा रहे हैं । केन्द्र सरकार द्वारा जनता पर थोपे गए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में जो ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन हुआ था वह बेमिसाल है । इससे सारे देश में प्रतिरोध की चेतना का संचार हुआ । इस ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन के समाप्त होने के बाद भी न्याय पालिका द्वारा शाहीन बाग के आन्दोलन की गरिमा के प्रतिकूल टिप्पणी करने से देश की अधिकांश जनता चिंतित है ।

शाहीन बाग का जन आन्दोलन अब करोड़ों लोगों के दिल और दिमाग में स्थापित होकर हक ,ईमान और मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु जो तीव्र ऊर्जा देता रहेगा उस पर तो कोई भी बंदिश नहीं लग सकती ।फासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध जारी रहेगा । ईमान और हक के लिए लड़ने वाले लड़ेंगे और जीतेंगे । इन्कलाब जिन्दाबाद ।

जन विरोधी मीडिया

नफरत ,अंध विश्वास और फिजूल की बातों में जनता को उलझाकर भ्रमित करने वाले जन विरोधी मीडिया की साजिशों का पर्दाफाश हो गया है ।यह जन विरोधी मीडिया भी फासीवादी सत्ता और उसके शोषक तन्त्र का ही एक हिस्सा है ।इनका बहिष्कार कर सावधान रहना बेहद जरूरी है ।

चुनाव प्रचार

चुनाव प्रचार को जन शिक्षण का स्वरूप भी देना चाहिए । जाति और धर्म का राजनीति में दुरुपयोग होने तथा घातक पूंजीवादी नीतियों के दुष्परिणामों को लेकर जनता को सचेत करना भी बेहद जरूरी है ।

शैलेन्द्र शैली

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