पुलवामा के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर मोदी सरकार खूब प्रचार प्रसार कर रही है। लेकिन बेरोज़गारी के मामले में सरकार काफी पिछड़ती दिखाई दे रही है। 2019 के चुनावी साल रोजगार के आंकड़े केंद्र की मोदी सरकार के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहे।

एक नई रिपोर्ट सामने आई है कि पिछले ढाई साल में बेरोजगारी दर अपने शिखर पर पहुंच गई है। जी हां, भारत में बेरोजगारी दर फरवरी महीने में बढ़कर ढाई साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2019 में बेरोजगारी दर 7।2 फीसदी पहुंच गई। यह सितंबर 2016 के बाद की सबसे ज्यादा है। पिछले साल सितंबर में यह आंकड़ा 5।9 फीसदी था।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2019 के फरवरी महीने में बेरोजगारी के आंकड़े मोदी सरकार के लगभग पांच साल के कार्यकाल में सबसे ऊंचे स्तर पर रहे हैं।

मुंबई के एक थिंक टैंक के प्रमुख महेश व्यास ने रॉयटर्स से बताया कि बेरोजगारी दर में इतनी भारी बढ़ोत्तरी ऐसे समय में हुई है जब जॉब तलाशने वालों की संख्या कम हुई है। महेश व्यास ने बताया कि पिछले साल फरवरी में 40।6 करोड़ लोग काम कर रहे थे, जबकि इस साल यह आंकड़ा 40 करोड़ है।

चुनाव से कुछ वक्त पहले सामने आए ये आंकड़े सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं। अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि सीएमआईई का डेटा सरकार की ओर से पेश किए गए जॉबलेस डेटा से ज्यादा विश्वसनीय है। यह डेटा देश भर के हजारों परिवारों से लिए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया जाता है।

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