सुप्रीम कोर्ट में एटॉर्नी जनरल के बयान के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है, राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि रक्षा मंत्रालय से कुछ दस्‍तावेज किसी ने चुरा लिए हैं. हम रक्षा खरीद जिसमें राज्‍य की सुरक्षा शामिल है, उससे निपट रहे हैं. ये काफी संवेदनशील मामला है.


अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि  याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण और अन्य लोग चोरी हो चुके दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं. रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्‍तावेज का मामला इतना गंभीर है कि उन्‍हें  आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत अभियोजन का सामना करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट में जानकारी देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम इस मामले में क्रिमिनल एक्शन लेंगे.  आपको बातादें की जहां एक तरफ राफेल मामले में मोदी सरकार पहले से ही सवालों के घेरे में है, ऐसे में दस्तावेजों का गायब होना सरकार पर संदेह और बढ़ा सकता है, सवाल ये भी उठ सकता है कि दस्तावेजों को जानबूझ कर तो गायब नहीं करवाया गया. आखिरकार इसका क्या मतलब निकालता है, ऐसे वक्त में दस्तावेजों का गायब होना जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही हो, ये दर्शाता है कि दाल में कुछ काला जरूर है,  हालांकि विपक्ष तो कह रहा है कि पूरी दाल ही काली है. लेकिन फिर भी जनता सच जानना चाहती है और दस्तावेजों का गायब होना सरकार नापाक मंसूबे की ओर इशारा कर रहा है, बहरहाल सिर्फ ये कहकर कि दस्तावेज गायब हो गए हैं, सरकार पल्ला नहीं झाड़ सकती क्योंकि जब मामला देश की रक्षा से जुड़ा है, तो उससे जुड़े दस्तवेजों के प्रति सरकार इतनी लापरवाह नहीं हो सकती और अगर लापरवाही हुई है तो उसका भी जवाब सरकार को ही देना होगा.

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