01बिहार की सबसे बड़ी मंडी गुलाबबाग की गूंज विदेशों में भी है, लेकिन वर्षों से बाजार समिति भंग रहने से इसकी रौनक अब कमजोर पड़ रही है. मालूम हो कि गुलाबबाग मंडी से अरबों रुपए का गल्ला कारोबार बंगाल, बिहार, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व असम समेत देश के विभिन्न राज्यों तक होता है. वर्तमान में गुलाबबाग मंडी से मक्का का कारोबार बंगाल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, समेत देश के विभिन्न राज्यों से लेकर पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका होते हुए समुंदर पार फ्रांस, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जर्मनी से लेकर अफ्रीकी देशों तक हो रहा है. इसके बावजूद बिहार में बाजार समिति भंग रहने के कारण यहां गल्ला कारोबार से सरकार को कोई टैक्स नहीं मिल रहा है, वहीं व्यापारियों से लेकर बिचौलिए तक किसानों के माल से करोड़ों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

यहां के व्यापारियों का कहना है कि यदि सरकार गल्ला पर टैक्स ले तो सरकार को 700 करोड़ रुपए सालाना आय होगी. एक अनुमान के अनुसार सरकार यदि एक प्रतिशत की दर से  भी बाजार समिति से टैक्स ले तो सरकार को लगभग सात सौ करोड़ रुपए राजस्व की आय होगी. पहले गुलाबबाग मंडी जूट, गेहूं, धान, तिलहन, दलहन, मखाना, केला, आलूू, मिर्च जैसे कारोबार के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन सीमांचल के पर्यावरण में आये बदलाव के बाद यहां मक्के की खेती ने जोर पकड़ा. इसके बाद गुलाबबाग मंडी को अब मक्के की मंडी से भी जाना जाने लगा है. अब पूर्णिया, अररिया, कटिहार के किसान भी जूट और गेहूं की खेती न कर मक्का और केला की खेती कर रहे हैं. इससे यहां के किसानों में खुशहाली तो आई है, लेकिन गुलाबबाग मंडी पर बिचौलियों की पकड़ होने से उन्हें अपने उत्पाद का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. मंडी कारोबारियों ने बिचौलियों की मिलीभगत से किसानों के शोषण का एक नया फंडा तैयार किया है. इसके अंतर्गत मक्का में उपस्थित आर्द्रता को मशीन की सहायता से माप कर प्रति क्ंिवटल की दर से रेट निर्धारित किया जाता है. इसके आधार पर किसान आसानी से शोषण के शिकार हो रहे हैं. जानकारी के अनुसार विगत पांच वर्षों में मक्के के बंपर उत्पादन को देखते हुए सैकड़ों देशी-विदेशी कंपनियों ने अपनी पकड़ मंडी पर बना ली है. मंडी के आस-पास कृषि योग्य भूमि पर सैकड़ों बड़े गोदामों का निर्माण हुआ है, जहां से मक्के को देश के विभिन्न राज्यों व विदेशों तक भेजा जा रहा है. बिहार के पड़ोसी राज्य जैसे उत्तर प्रदेश में बाजार समिति 2.5 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 1.5 प्रतिशत, महाराष्ट्र 1.5 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश 1.5 प्रतिशत, राजस्थान 1.5 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूल रहे हैं, वहीं बिहार में बाजार समिति भंग होने के कारण सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो रहा है.

जहां पूरे बिहार में 45 लाख टन मक्के का व्यापार होता है, वहीं अकेले गुलाबबाग मंडी से 15 लाख टन यानी लगभग 1800 करोड़ रुपए मक्के का कारोबार होता है. गल्ले का कारोबार करने वाली इंटर स्टेट कंपनी पनास ट्रेड लैंड प्राइवेट लिमिटेड के एमडी हेमेन्द्र कुमार का कहना है कि कंपनी द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार पूर्णिया से हर साल 60- 70 टन गल्ला देश के दूसरे राज्यों व विदेशों तक भेजा जाता है. अगर सरकार बाजार समिति वसूलना शुरू करे और सीमांचल में मक्का आधारित उद्योग लगेे तो इस क्षेत्र का काफी विकास हो सकता है. दूसरी तरफ मंडी पहुंचे कुछ किसानों ने बताया कि यहां से 40 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल के दालकोला में बंगाल सरकार ने मक्का आधारित उद्योग लगवाया है, जिससे गुलाबबाग मंडी से महंगे दामों पर मक्का दालकोला में बिकता है, वहीं सीमांचल के किसान औने-पौने दामों में मक्का बेचने को विवश हैं. इससे किसान तो परेशान हैं ही, साथ ही सरकार को भी करोड़ों रुपए राजस्व का नुकसान हो रहा है. जानकार बताते हैं कि सरकार को शराबबंदी से जितने राजस्व का नुकसान हो रहा है, उससे ज्यादा की प्राप्ति बाजार समिति टैक्स से हो सकती है, जरूरत है इस ओर गंभीरता से पहल करने की.

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