ख़ान आशु

आंधी, तूफ़ान, बाढ़, हादसे… मौत कई रूप धारण कर अपने तयशुदा वक़्त पर अपना रास्ता निकालकर धमक ही जाती है…! कोई बहाना चलता है और न कोई तरकीब काम आती है… माल ओ दौलत की औकात तुच्छ और सारे रसूख बौने साबित हो जाते हैं, मौत का परवाना अपना काम करके ही लोटता है….!
बीमारियां, महामारी, वबा हर दौर, हर युग, हर काल में दस्तक देती रहीं हैं… हर मुश्किल, हर परेशानी, हर बीमारी का इलाज आज की आधुनिक तकनीक से संभव भी हुआ है और हर मुश्किल से पार पाने की चुनौती को चिकित्सा नवाचारों ने मुंह तोड़ जवाब दिया है…!
सरहदों को लांघते हुए जिस महामारी ने हमारे देश में मौत का जो तांडव मचाया है, वह इंसानी आंकड़े कम करने से ज्यादा मानव मन में भय, खोफ, दहशत फैलाने में ज्यादा कामयाब हुआ है…! “मौत के आगे डर है…” के सूत्र पर आगे बढ़ चुके समाज में भौतिक दूरियों से ज्यादा मानसिक अलगाव के हालात बनते जा रहे हैं….! हर खुशी में दूसरे के साथ शरीक होना, हर ग़म में दूसरों को संबल देना, बीमार की मिजाजपुर्सी और पड़ोसी की मौत पर भी आंखें भर आने के हालात बिसरे हुए किस्से महसूस होने लगे हैं….! हालात इस हद तक जा पहुंचे हैं कि अपनों की मौत पर भी कंधा देने या उसे अंतिम विदाई देने से भी गुरेज किया जाने लगा है…! मौत की काली छाया जाने वाले को कभी इतना अकेला भी कर सकती है, इसका तसव्वुर कभी किसी ने नहीं किया होगा….! अस्पतालों से सीधे शमशान कब्रिस्तान का रास्ता लेने वाली रूहें अपनों की आखिरी नजर कुशाई को भी तरसती दिखाई देने लगी हैं…!
टीका, इलाज, पूर्ण स्वस्थ्य समाज की कल्पना फिलहाल दूर की कौड़ी है…! सामाजिक दूरी, मास्क, सेनेटाइजर, गर्म पानी, काढ़ा, विटामिन युक्त दवाएं सबका पालन किया जा रहा है, आगे भी जारी रहेगा…! इतनी इजाज़त और मोहलत का कोई रास्ता तो तब तक निकाला जाए, मौत से खोफ के हालात न बनें, चार कंधों के सहारे न छिनें, एक दूसरे के गम में शरीक होने के रिवाज़ न टूटे…! मौत बरहक है, शाश्वत है तो ईश्वर अल्लाह को इतना तो करना ही चाहिए कि इंसान को ऐसी मौत की सजा न दें कि जिनके लिए वह जिया है, उसके मरने से उसके अपनी मौत की आशंका से भरकर अपने आखिरी फ़र्ज़ भी न निभा सके….!

पुछल्ला
राहत भरे अनलॉक नज़ारे
हालात संजीदा हैं। आगे भी रहने के आसार हैं। एहतियात की हिदायतें जारी हैं। पाबन्दियों का दौर छंट रहा है। अब जरूरत अनलॉक की सहूलियतों को सहेजने की है। गलतियों को दोहराया जाना, नियमों का माखौल उड़ाना, फिर मुसीबत को लाएगा, इस बात को नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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