FORCES TRYING TO RUN DOWN JUDICIARY, ! WE ARE ANSWERABLE ONLY TO CONSTITUTION : CJI !!
हां मै भी गत तैतीस साल पहले (अक्तुबर 1989) हुए भागलपुर दंगे के बाद ! क्योंकि उस दंगे की भयावह स्थिती देखने के बाद मुझे लगा कि” आने वाले पचास साल भारत की राजनीति का केंद्रीय मुद्दा सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिकता ही रहेगा ! और बाकी रोजमर्रे के मुद्दे हाशिये पर चले जायेंगे ! ” और इसी कारण मैने काफी सोच-विचार के बाद निर्णय लिया कि” अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर अपनी नैतिक, और संविधानिक दायित्व निभाने की कोशिश करनी चाहिए !”
और इसी कारण हमारी मित्र तिस्ता सेटलवाड के गिरफ्तार करने को लेकर काफी चिंतित और आक्रोश मे हूँ ! क्योंकि सौ साल से अधिक समय से कुछ सांप्रदायिक शक्तियों की लगातार कोशिश चल रही है ! जिस कारण हमारे देश का बटवारा भी हुआ ! और उसके बाद भी देश में कोई साल नही है कि सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई !
लेकिन रामजन्मभूमी आंदोलन सुरू करने के बाद 1986 – 87 से भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सोची-समझी साजिश के तहत भारत में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए ! रामजन्मभूमी विवाद को हवा देकर 1989 भागलपुर तथा 1992 आयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देशभर में फैले दंगे, और गुजरात में फरवरी-मार्च 2002 के दंगों में तत्कालीन सरकार की भूमिका बहुत ही संदेहास्पद रहने के बावजूद ! 24 जून 2022 के दिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने हमारे न्यायालय की निस्पक्षता के उपर सवाल खड़े हो गए हैं !


उसी न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री. एन. व्ही. रामन ने अमेरिकास्थित असोसिएशन ऑफ इंडियन्स की सॅनफ्रान्सिस्को स्थित सभा में कुछ तत्वों की तरफ इशारा करते हुए कहा ! ” Hitting out at forces whose only aim is to run down the only independent organ” in the County, chief justice of India N V Ramana said Saturday that the judiciary is answerable only to the Constitution.
He said the party in power expects every action of the government to be endorsed by the judiciary while the opposition wants the judiciary to advance its positions and causes.
Speaking at a felicitation ceremony organised by the Association of Indian Americans in San Francisco, CJI Ramana said “As we celebrate the 75th year of Independence this year and as our Republic turned 72. I must add here. With some sense of regret, that we still haven’t learnt to appreciate wholly the roles and responsibilities assigned by the Constitution to each of the institutions ” इसी तरह से उन्होंने अपने उदाहरण के साथ कहा कि अमेरिका के आज के विकास का एकमात्र कारण अमेरिका की सर्वसमावेशी नितियो के कारण, आज अमेरिका ने यह मुकाम हासिल किया है ! विश्व के एकसेएक बेहतरीन प्रतिभाशाली लोगों को, अमेरिकाने अपने देश में भले ही वह किसी और देश, भाषा और संस्कृति का होगा ! लेकिन उसके हुनर के कारण उन्होंने उसे अपने देश में पूरा मौका दिया ! इस तरह की सर्वसमावेशी नितीयो के कारण ही काफी भारतीय भी आज अमेरिका में हैं ! और वह अमेरिका के विकास में योगदान दे रहे हैं ! “The principle of inclusivity is universal. It needs to be honoured everywhere in the world. Including in India. Inclusivity strengthens Unity in society which is key to peace and progress. We need to focus on essues that unite us. In the 21st century, we cannot allow petty, narrow and divisive issues to dictate human and societal relationships. We have to raise above all divisive issues to remain focused on human development. A non – inclusive approach is an invitation to disaster ” माननीय मुख्यन्यायाधीश महोदयोका अमेरिका में कल दिया भाषण और आज की तारीख में वर्तमान समय में भारत की सत्तारूढ़ दल की राजनीति का आधार ही बाटो और राज करो वाला होने से, भारत की एकता और अखंडता को लेकर कभी नहीं ऐसा खतरा आज पैदा हो चुका है ! भले ही वर्तमान प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और अब प्रधानमंत्री के रूप में दो बार हमारे संविधान की शपथ ग्रहण करने के बावजूद ! उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान ! और वर्तमान में आठ साल से भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भी ! अल्पसंख्यक समुदायों को दिन- प्रतिदिन असुरक्षित महसूस करने के लिए, विशेष रूप से वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के लोग तथाकथित नागरिक बील से लेकर, गोहत्या, कश्मीर, लवजेहाद, ! तथा जगह जगह पर धार्मिक स्थलों के विवादों को हवा देकर ! लगातार देश के धार्मिक सौहार्द के माहौल को बिगाड़ने का काम किए जा रहे हैं !


हमारे मुख्यन्यायाधीश महोदय के अपने ही कोर्ट ने 24 जून को गुजरात के दंगों को लेकर जो फैसला दिया है ! क्या वह हमारे देश की बहुआयामी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए है ? आज तीस से पैतिस करोड़ की आबादी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की है ! और आजसे बीस साल पहले, गुजरात के दंगों में जिस तरह के एकसेबढकर एक मानवता को शर्मसार करने के कांडों में से एक ! अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी के साठ लोगों को जिंदा जलाने की घटना को लेकर, एक पिडीत अस्सी साल के उम्र की महिला अपने पति जो कभी भारत की सर्वोच्च संस्था संसद के सदस्य रहे हैं ! वह भी उन साठ लोगों में जिंदा जला कर मारने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कौनसी ” The principle of the Inclusivity is universal. It needs to be honoured everywhere in the world, including in India ! Inclusivity strengthens unity in society which is the key to peace and progress. We need to focus on issues that unite us, not on those that divide us. In the 21st century, we cannot allow petty,narrow and divisive issues to remain focused on human development. A non-inclusive approach is an invitation to disaster ” माननीय मुख्यन्यायाधीश महोदय ने सॅनफ्रान्सिस्को के सभा में यह बात कही है ! और सिर्फ नौ दिन पहले जिस सर्वोच्च न्यायालय के वह मुख्य न्यायाधीश है ! उसी न्यायालय के तीन न्यायाधीशों ने भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिनदहाड़े हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर साठ लोगों को जलाने की घटना कौनसी Inclusivity में आती है ? यह सवाल माननीय मुख्यन्यायाधीश महोदय के संपूर्ण भाषण के निचोड़ को पढ़ने के बाद (आज के इंडियन एक्सप्रेस में) मेरे मन में रह रहकर आ रही है !


जीस एहसान जाफरी के घर को 28 फरवरी 2002 के सुबह से ही बहुसंख्यक समुदाय के लोगों ने घेर लिया था ! और तत्कालीन अहमदाबाद के पुलिस महानिरीक्षक ने उस जगह का निरिक्षण कर के ! अहसान जाफरी को मिलकर आश्वासन दिया था ! “कि मैं तुरंत ही कुछ कारवाई करता हूँ !” उसके बावजूद गुलबर्ग सोसायटी को आग लगा दी गई ! और उसमे साठ लोगों के साथ एहसान जाफरी भी मारे जाते हैं !
और उनकी पत्नी गत बीस सालों से, विभिन्न न्यायालयों में जा-जाकर अपने पति की हत्या के मामले में अगर न्याय की गुहार मांग रही है ! और उसे कोई भी संवेदनशील व्यक्ति मदद कर रहा है ! तो हमारे देश के संविधान में कहा लिखा है ? कि उसे मदद करने वाले लोगों के उपर इतनी सक्त टिप्पणी की जाय ! और गुजरात सरकार इतनी चुस्त की चंद घंटों के भीतर जकिया जाफरी को मदद करने वाली तिस्ता सेटलवाड की गिरफ्तारी की जाय ! और यही चुस्ती गुजरात पुलिस ने 28 फरवरी 2002 के बाद गुजरात में फैले दंगे में दिखाई होती ! तो नही गुलबर्ग सोसायटी में आग लगी होती ! और न ही हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश महोदयोका किमती समय बर्बाद हुआ होता !
लेकिन मेरे जैसे सामान्य नागरिक के मन में आता है ” कि अगर तिस्ता सेटलवाड, आर बी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट के जैसे दंगे में अपने जमीर के अनुसार काम करने वाले लोगों के साथ ! अगर कोई भी न्यायालय इस तरह के फैसले देता है !
तो महात्मा गाँधी जी के कलकत्ता, नोआखाली, बिहार, दिल्ली में बटवारे के समय ! दंगों की भूमिका को लेकर ही तथाकथित हिंदुत्ववादीयो ने उनकी हत्या कर दी है ! नाथूराम गोडसे के तथाकथित निवेदन के अनुसार, उसने गांधी के मुस्लिम पस्त होने की वजह से उन्हें यह सजा दी !


तो क्या हमारे देश के वर्तमान सर्वोच्च न्यायालयने भी सांप्रदायिकताके खिलाफ कोई भी व्यक्ति ने अगर कुछ शांति – सद्भावना के लिए काम करने के लिए विशेष रूप से अपने जीवन का किमती समय दिया है ! तो वह व्यक्ति गुनाहगार है ? तो मैंने भी आजसे बत्तीस साल पहले भागलपुर दंगे के बाद अल्पसंख्यक समुदाय को हिम्मत देने के लिए अपनी होमिओपॅथी की प्रैक्टिस बंद कर के, 1990 से संपूर्णतः सांप्रदायिकता के खिलाफ अभियान में भाग लेने का फैसला किया था ! और वह आज भी कायम है ! और अगर कोई न्यायालय मुझे मेरे इस कामके कारण सजा देना चाहता है, तो मै भी जेल जाने के लिए आजही तैयार हूँ ! क्या हमारे देश के मुख्यन्यायाधीश के सॅनफ्रान्सिस्को के कल के भाषण से हमारे अन्य न्यायाधीश कुछ सबक लेंगे ?
मुझे लगता है कि गत कई सालों से हमारे देश में जीवन के हर क्षेत्र में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश का परिणाम ! हमारे देश के पुलिस – प्रशासन और अब न्यायपालिका के उपर भी हुआ है !


24 जून 2022 का सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देखते हुए मुझे लगता है !” कि हमारे मुख्यन्यायाधीश महोदय के सॅनफ्रान्सिस्को के शनिवार को दिए गए भाषण के मजमून को देखते हुए ! मै प्रार्थना करता हूँ !” कि वह इस मामले में खुद होकर सज्ञान लेंगे ! “और उन्होंने आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश के संविधान के प्रति अपनी निष्ठावान होने की बात कही है ! तो मै भी जहां तक संविधान को समझा हूँ ! हमारे देश के संविधान के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा के लिए जो प्रावधान किया है ! उसका संपूर्ण गुजरात के दंगों में खुलकर उल्लंघन हुआ है ! तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों ने अपनी संविधानिक दायित्वों का पालन नहीं किया है ! और यह बात तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी ! गुजरात दंगों के निरिक्षण के बाद अहमदाबाद की भरी सभा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कहीं है कि “आपने राजधर्म का पालन नहीं किया है !”
और जस्टिस कृष्ण अय्यर कमिटी से लेकर मनोज मित्ता, आशिष खैतान, राना आयुब, लेफ्टनंट जनरल जमीरूद्दीन शाह, आर बी श्रीकुमार और कई पत्रकारों ने अपनी रिपोर्ट में गोधरा कांड से लेकर पोस्ट गोधरा कांड के बारे में एकसेबढकर एक रिपोर्ट और जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर रह-रहकर आस्चर्य हो रहा है ! हमारे इन तीनों न्यायाधीश महोदयो ने कौनसी संविधान की रक्षा की है ? जिसकी दुहाई हमारे मुख्यन्यायाधीश सॅनफ्रान्सिस्को के सभा में दे रहे हैं ? Forces trying to run down judiciary, we are answerable only to Constitution : ! CJI!!!!
और दस दिनों के भीतर हमारे मुख्यन्यायाधीश के सॅनफ्रान्सिस्को के भाषण को आज के इंडियन एक्सप्रेस में देखने के बाद मुझे लगा कि मैंने यह मुक्त चिंतन आप सभी साथियों के साथ बाटना चाहिए !
डॉ सुरेश खैरनार 3, जुलै, 2022, नागपुर

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