डायटीशियन: एक बेहतर कैरियर विकल्प
शरीर को तंदुरूस्त बनाए रखने के प्रयास में शुरू हुए आहार व पोषण की विद्या को डायटिक्स आहारिकी या फूड न्यूट्रिस्नीस्ट कहते हैं. अनियमितता से लिया गया खान-पान जीवन को प्रभावित करता है व उसके सुचारू रूप से चलने में बाधा का कारण बनता है. इससे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां भी घर कर जाती हैं. डायटीशियन  खान-पान में अच्छी आदतें विकसित कर जीवन के स्तर को ऊंचा करते हैं. वे लोगों के उम्र के हिसाब से भोजन निर्धारित कर उनके खाने-पीने के तौर-तरीक़े और सही व़क्त की सही सलाह देते हैं. इसके अलावा वे लोगों की बीमारियों, एलर्जी और कामकाज के रूटीन का भी ध्यान रखते हैं और उसी हिसाब से खाने-पीने की सलाह देते हैं.
योग्यता-:  वैसे विद्यार्थी जो आहारिकी व पोषण संकाय में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर होमसाइंस, फूड साइंस व आहारिकी व पोषण में पढ़ाई करनी चाहिए. इसमें स्नातक की पढ़ाई के लिए विद्यार्थी को होम साइंस, जीव विज्ञान, भौतिकी विज्ञान, रसायन शास्त्र में से किसी दो विषय में बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है. आहारिकी में स्नातक के अलावा इसी क्षेत्र में फूड साइंस व टेक्नोलॉजी, मेडिसिन, होटल मैनेजमेंट या कैटरिंग टेक्नोलॉजी जैसे विकल्प भी हैं. स्नातकोत्तर डिग्री में यह कोर्स एक या दो साल का हो सकता है. एक वर्षीय डिप्लोमा इन डायटिक्स एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशन में दाख़िला लेने के लिए फूड साइंस, होम साइंस, माइक्रोबायलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग  टेक्नोलॉजी व मेडिसिन विषयों में स्नातक करना आवश्यक है. इसमें बायोकेमिस्ट्री, न्यूट्रिशन, अप्लायड फिजियोलॉजी, फूड, माइक्रोबायलॉजी, एडमीनिस्ट्रेशन, थेरॉप्टिक न्यूट्रिशन और पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन जैसे विषयों पर पढ़ाया जाता है. इसके अंतर्गत विद्यार्थी को किसी हॉस्पिटल के डायटीशियन के अधीन तीन महीने का इंटर्नशिप करना अनिवार्य है. दो वर्षीय एमएससी होम साइंस पाठ्‌यक्रम में फूड साइंस व टेक्नोलॉजी,  बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, बायोस्टाटिस्टक्स, रिसर्च मेथड्‌स जैसे विषयों में विशेष अध्ययन कर सकते हैं. इसमें प्रथम वर्ष में मनुष्य की पोषण की ज़रूरतें, फूड माइक्रोबायोलॉजी और फूड साइंस के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाता है. दूसरे वर्ष में ह्यूमन न्यूट्रीशियन एंड डायट्रिक्स, इंस्टीट्‌यूशनल मैनेजमेंट एंड फूड साइंस पढ़ाया जाता है. निजी तौर पर एक अच्छे न्यूट्रीशियन या डायटीशियन की रुचि खाने-खिलाने में होनी चाहिए, साथ ही लेखनी और बोलचाल की भाषा भी दुरूस्त होनी चाहिए. इससे आगे चलकर लोगों के साथ घुलने-मिलने और रिपोर्ट, लीफलेट और ब्रॉशर बनाने में आसानी होती है. उन्हें प्लानिंग और प्रशासनिक गुणों में निपुण होना चाहिए. अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही उनमें सहनशीलता और मिलनसार व वाक्‌पटुता के गुण होने चाहिए, जिससे वे अपनी टीम में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाकर काम कर सकें.
संभावनाएं-: दिल्ली स्थित रॉकलैंड अस्पताल की सीनियर डायटीशियन डॉ. सुनीता के अनुसार न्यूट्रीशनीस्ट और डायटीशियन की ज़रूरत अस्पतालों, स्वास्थ्य सुधार व्यवस्था, रिसर्च व विकास और समाज कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट, पब्लिक हेल्थ कम्यूनिटी जैसे क्षेत्र में पड़ती है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुधार के क्षेत्र में अग्रसर एनजीओ व अन्य निजी संस्थानों में भी कुशल डायटीशियन की ज़रूरत है. आधुनिक समाज में कई लोग निजी स्वास्थ्य सलाहकार रखने लगे हैं. आने वाले दिनों में प्रत्येक व्यक्ति को डायटीशियन की सलाह के अनुसार प्रतिदिन के खान-पान के संतुलन को बनाए रखना अति आवश्यक हो जाएगा, क्योंकि आधुनिक लाइफस्टाइल में सभी बीमारियों की जड़ बेतरतीब खान-पान ही है.
संस्थान-:
ऑल इंडिया इंस्टीट्‌यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता.
विक्रम विश्वविद्यासय, कोठी रोड, उज्जैन.
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, पंजाब.
इंस्टीट्‌यूट ऑफ होम इकॉनॉमिक्स, दिल्ली.
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़.
नेशनल इंस्टीट्‌यूट ऑफ न्यूट्रीशन, जामिया ओसमानिया, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश.
नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर.
मुंबई विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र.
छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर.
महात्मा गांधी ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय, चित्रकूट.
एम़ एस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ोदरा, फतेहगंज, बड़ोदरा.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर.
वेतन अनुमान: न्यूट्रीशन व डायट्रिक्स प्रोफेशनल्स का वेतन उनके काम के प्रकार पर निर्भर करता है. निजी अस्पतालों में प्रशिक्षु न्यूट्रीशनिस्ट को 2500 रुपये प्रति माह मिल जाते हैं. एक साल के अनुभव के बाद वेतन 4500 और इससे ज़्यादा भी हो सकते हैं. फूड टेक्नोलॉजिस्ट, फूड सर्विस डिपार्टमेंट में भी नौकरी पा सकते हैं, जिसका वेतन 20,000 से 25,000 के बीच हो सकता है.

शरीर को तंदुरूस्त बनाए रखने के प्रयास में शुरू हुए आहार व पोषण की विद्या को डायटिक्स आहारिकी या फूड न्यूट्रिस्नीस्ट कहते हैं. अनियमितता से लिया गया खान-पान जीवन को प्रभावित करता है व उसके सुचारू रूप से चलने में बाधा का कारण बनता है. इससे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां भी घर कर जाती हैं. डायटीशियन  खान-पान में अच्छी आदतें विकसित कर जीवन के स्तर को ऊंचा करते हैं. वे लोगों के उम्र के हिसाब से भोजन निर्धारित कर उनके खाने-पीने के तौर-तरीक़े और सही व़क्त की सही सलाह देते हैं. इसके अलावा वे लोगों की बीमारियों, एलर्जी और कामकाज के रूटीन का भी ध्यान रखते हैं और उसी हिसाब से खाने-पीने की सलाह देते हैं.
योग्यता-:  वैसे विद्यार्थी जो आहारिकी व पोषण संकाय में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर होमसाइंस, फूड साइंस व आहारिकी व पोषण में पढ़ाई करनी चाहिए. इसमें स्नातक की पढ़ाई के लिए विद्यार्थी को होम साइंस, जीव विज्ञान, भौतिकी विज्ञान, रसायन शास्त्र में से किसी दो विषय में बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है. आहारिकी में स्नातक के अलावा इसी क्षेत्र में फूड साइंस व टेक्नोलॉजी, मेडिसिन, होटल मैनेजमेंट या कैटरिंग टेक्नोलॉजी जैसे विकल्प भी हैं. स्नातकोत्तर डिग्री में यह कोर्स एक या दो साल का हो सकता है. एक वर्षीय डिप्लोमा इन डायटिक्स एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशन में दाख़िला लेने के लिए फूड साइंस, होम साइंस, माइक्रोबायलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग  टेक्नोलॉजी व मेडिसिन विषयों में स्नातक करना आवश्यक है. इसमें बायोकेमिस्ट्री, न्यूट्रिशन, अप्लायड फिजियोलॉजी, फूड, माइक्रोबायलॉजी, एडमीनिस्ट्रेशन, थेरॉप्टिक न्यूट्रिशन और पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन जैसे विषयों पर पढ़ाया जाता है. इसके अंतर्गत विद्यार्थी को किसी हॉस्पिटल के डायटीशियन के अधीन तीन महीने का इंटर्नशिप करना अनिवार्य है. दो वर्षीय एमएससी होम साइंस पाठ्‌यक्रम में फूड साइंस व टेक्नोलॉजी,  बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, बायोस्टाटिस्टक्स, रिसर्च मेथड्‌स जैसे विषयों में विशेष अध्ययन कर सकते हैं. इसमें प्रथम वर्ष में मनुष्य की पोषण की ज़रूरतें, फूड माइक्रोबायोलॉजी और फूड साइंस के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाता है. दूसरे वर्ष में ह्यूमन न्यूट्रीशियन एंड डायट्रिक्स, इंस्टीट्‌यूशनल मैनेजमेंट एंड फूड साइंस पढ़ाया जाता है. निजी तौर पर एक अच्छे न्यूट्रीशियन या डायटीशियन की रुचि खाने-खिलाने में होनी चाहिए, साथ ही लेखनी और बोलचाल की भाषा भी दुरूस्त होनी चाहिए. इससे आगे चलकर लोगों के साथ घुलने-मिलने और रिपोर्ट, लीफलेट और ब्रॉशर बनाने में आसानी होती है. उन्हें प्लानिंग और प्रशासनिक गुणों में निपुण होना चाहिए. अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही उनमें सहनशीलता और मिलनसार व वाक्‌पटुता के गुण होने चाहिए, जिससे वे अपनी टीम में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाकर काम कर सकें.
संभावनाएं-: दिल्ली स्थित रॉकलैंड अस्पताल की सीनियर डायटीशियन डॉ. सुनीता के अनुसार न्यूट्रीशनीस्ट और डायटीशियन की ज़रूरत अस्पतालों, स्वास्थ्य सुधार व्यवस्था, रिसर्च व विकास और समाज कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट, पब्लिक हेल्थ कम्यूनिटी जैसे क्षेत्र में पड़ती है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुधार के क्षेत्र में अग्रसर एनजीओ व अन्य निजी संस्थानों में भी कुशल डायटीशियन की ज़रूरत है. आधुनिक समाज में कई लोग निजी स्वास्थ्य सलाहकार रखने लगे हैं. आने वाले दिनों में प्रत्येक व्यक्ति को डायटीशियन की सलाह के अनुसार प्रतिदिन के खान-पान के संतुलन को बनाए रखना अति आवश्यक हो जाएगा, क्योंकि आधुनिक लाइफस्टाइल में सभी बीमारियों की जड़ बेतरतीब खान-पान ही है.

संस्थान

ऑल इंडिया इंस्टीट्‌यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता.

विक्रम विश्वविद्यासय, कोठी रोड, उज्जैन.

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, पंजाब.

इंस्टीट्‌यूट ऑफ होम इकॉनॉमिक्स, दिल्ली.

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़.

नेशनल इंस्टीट्‌यूट ऑफ न्यूट्रीशन, जामिया ओसमानिया, हैदराबाद,

आंध्र प्रदेश.

नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर.

मुंबई विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र.

छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर.

महात्मा गांधी ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय, चित्रकूट.

एम़ एस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ोदरा, फतेहगंज, बड़ोदरा.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर.

वेतन अनुमान

न्यूट्रीशन व डायट्रिक्स प्रोफेशनल्स का वेतन उनके काम के प्रकार पर निर्भर करता है. निजी अस्पतालों में प्रशिक्षु न्यूट्रीशनिस्ट को 2500 रुपये प्रति माह मिल जाते हैं. एक साल के अनुभव के बाद वेतन 4500 और इससे ज़्यादा भी हो सकते हैं. फूड टेक्नोलॉजिस्ट, फूड सर्विस डिपार्टमेंट में भी नौकरी पा सकते हैं, जिसका वेतन 20,000 से 25,000 के बीच हो सकता है.

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