सर्दियों में तो दिल्ली की आबोहवा धुंध से घिरी ही रहती है, लेकिन अब ऐसा नजारा गर्मियों में भी दिल्ली वालों को परेशान कर रहा है. इसबार ऐसी स्थिति बन गई है कि धूल के कारण सड़क पर चलना दुभर हो रहा है. मंगलवार को दिल्ली में कई जगहों पर सामान्य से 18 गुना तक अधिक प्रदूषण की मात्रा दर्ज की गई. दिल्ली के अलावा गाजियाबाद और नोएडा में भी प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने तकलीफ हुई. बुधवार को भी हालात जस के तस हैं. सुबह से ही पूरी दिल्ली धूल की चादर में लिपटी-सी नजर आ रही है और अगले 24 घंटे तक इस प्रदूषण की चादर से दिल्ली को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.

सीपीसीबी के अनुसार दिल्ली का एयर इंडेक्स 445 रहा. वहीं, प्रदूषण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह कहे जाने वाले पीएम-10 का स्तर 20 जगहों पर 10 गुना से अधिक रहा. सबसे अधिक पीएम 10 का स्तर मुंडका में 1804 एमजीसीएम (माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) दर्ज किया गया. वहीं नरेला में यह 1702, रोहिणी में 1666, जहांगीरपुरी में 1552, अरबिंदो मार्ग पर 1530, पंजाबी बाग में 1488, आनंद विहार में 1405, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 1462, पटपड़गंज में 1312 और अशोक विहार मे 1499 रहा. पीएम 2.5 भी सामान्य स्तर से काफी ज्यादा दर्ज किया गया. बवाना में इसकी मात्रा 411, कर्ण सिंह स्टेडियम में 321, मेजर ध्यान चंद स्टेडियम में 333, पटपडगंज में 318 और वजीरपुर में 301 एमजीसीएम रहा.

हवा के प्रदूषण का यह सिलसिला ताजा नहीं है. इसी माह जारी एक रिपोर्ट में सीएसई (सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट) ने दावा किया था कि एक अप्रैल से 27 मई 2018 के बीच करीब 65 फीसदी दिनों में दिल्ली का एयर इंडेक्स बहुत खराब रहा है. इस दौरान सिर्फ एक फीसदी दिल्ली वासी साफ हवा में सांस ले सके. सीपीसीबी व अन्य प्रदूषण कंट्रोल एजेंसियां राजस्थान की धूल को दिल्ली में बढ़े प्रदूषण की वजह मान रही हैं. हालांकि एयर इंडेक्स की बात करें तो धूल के बावजूद राजस्थान में दिल्ली-एनसीआर से कम प्रदूषण है.

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