1वित्तीय नियामकों में शीर्ष पदों पर नियुक्तियों को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा किए जा रहे विलंब का मतलब शायद यही है कि इस मामले पर निर्णय अब चुनाव के बाद नई सरकार ही करेगी. भारतीय रिजर्व बैंक, पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीआरएफडीए) और बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) में शीर्ष पदों पर नियुक्तियों में बिना किसी कारण ही देर की जा रही है, जबकि इनके लिए साक्षात्कार कई महीने पहले ही कर लिए गए हैं. पीआरएफडीए में एक चेयरमैन एवं तीन सदस्यों के पद रिक्त हैं और सरकार द्वारा की जा रही देरी की वजह से स्थितियां खराब हो रही हैं. सूत्रों के अनुसार, चेयरमैन के पद के लिए साक्षात्कार कई महीने पहले कर लिया गया था और इस पद की दौड़ में सबसे आगे रहने वालों में हेमंत कांट्रेक्टर का नाम आया था, जो भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टरों में हैं. अगले महीने उनकेे रिटायर हो जाने केे बाद उनका पद खाली हो जाएगा. वहीं चेयरमैन पद के लिए सेवानिवृत्त वित्त सचिव आर एस गुजराल भी दूसरे प्रतियोगी हैं. एस रॉय चौधरी आईआरडीए से हाल में मेंबर-लाइफ पद से सेवानिवृत्त हुए थे और उनके स्थान पर अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई है. इसी प्रकार आनंद सिन्हा भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हालांकि कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ऐसी चर्चाएं हैं कि आरबीआई के कार्यकारी निदेशक आर गांधी उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं.
 
उलझन में सरकार
3कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग इस समय एक परेशानी में है. आईएएस अधिकारियों की प्रशिक्षण सामग्री और समयावधि को लेकर बनाई गई किरण अग्रवाल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. समिति ने आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण का समय दो वर्ष से कम करके डे़ढ वर्ष करने की सलाह दी है. हालांकि कुछ लोग इस प्रस्ताव से इत्तेफाक नहीं रखते, इनमें विशेष रूप से लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, मसूरी के डायरेक्टर पदमवीर सिंह भी शामिल हैं. यह प्रस्ताव पैनल ने हाल में प्रशिक्षण प्राप्त कर निकले आईएएस अधिकारियों से विमर्श के बाद बनाया है. उक्त अधिकारी चाहते थे कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग को 54 हफ्तों से घटाकर 33 हफ्ते कर दिया जाए. उनका मानना है कि प्रशिक्षण अवधि ज़्यादा लंबी होने की वजह से अधिकारियों की सेवा के साल कम होते हैं. पैनल के प्रस्ताव का राज्य सरकारों ने भी स्वागत किया है, जो इस समय कनिष्ठ स्तर पर अधिकारियों की कमी से जूझ रहे हैं. अब देखते हैं, कौन सा विचार ठहरता है?
 
स्थानांतरण निरस्त
2आंध्र प्रदेश की राजनीति तेलंगाना के अलग होने के बाद से ही अस्थिर है. अन्य घटनाक्रमों के अलावा किरण कुमार रेड्डी का इस्तीफ़ा भी हुआ. उनके नई पार्टी बनाने की ख़बरें भी हैं. रेड्डी के सरकार से हटने की वजह से राज्य प्रशासन में कई तरह के परिवर्तन भी आए हैं, जो अब राज्यपाल ई एस एल नरसिमईया के अंतर्गत है. अपने पद त्याग के स़िर्फ एक दिन पहले ही किरण रेड्डी ने अपने विशेष सचिव के एस जवाहर रेड्डी को सिंचाई विभाग में नियुक्त किया था. ठीक इसी प्रकार 1997 बैच के आईएएस अधिकारी एन श्रीधर का स्थानांतरण राज्य शिक्षा विभाग में कर दिया गया था. अंतिम समय किए गए इन दोनों अधिकारियों के तबादले राष्ट्रपति शासन के कारण वापस ले लिए गए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह प्रदेश के नौकरशाहों के लिए परिवर्तन की एक शुरुआत भर है.

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