हालाँकि अमरीका जैसा तथाकथित महाशक्ति और पढे-लिखे देश के लोग सात करोड़ से भी अधिक संख्या में उसे मत दिये हैं इस बात की अनदेखी नहीं कि जा सकती ! जिस तरह से भारत मे वर्तमान सरकार 31% मतोसे चुनकर आई है लेकिन चुनकर आई है और अपने मातृ संघटन के दर्शन को अमलीजामा पहनाने का काम बदस्तूर की ये जा रहे हैं ! आप 31%मतोसे चुनकर आई है बोलते रहिये ! उसी तरह डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल नरेंद मोदी जी की तरह तथाकथित अमेरिकी प्रथम का मंत्र जपते रहें और गोरो के अलावा अन्य सभी लोगों को असुरक्षित मानसिकता का शिकार बना डाला था जिसमें फ्लायड जार्ज का मई महीने की घटना एक उदाहरण के लिए पर्याप्त है ! शायद जार्ज बुश के बाद यह दूसरा राष्ट्रपति होगा जो वर्ण वर्चस्व को खुलकर खाली समर्थन ही नही कयी बार तो उसे उकसाने के भी उदाहरण है !

हालाँकि अमरीका जो खुद 500 साल पहले बाहरी लोगों के आक्रमण के बाद बना हुआ है और स्थानीय लोगों की हत्या वह भी करोड़ों की संख्या में करने के बाद बना हुआ है और हत्याओ का सिलसिला जारी है अमरीका में भी और उससे कई गुना ज्यादा विश्व के अन्य देशों के लोगों को आज भी अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों के नाम पर कर रहा है ! ताजा उदाहरण दक्षिण और पस्चिमी एशिया में अफगानिस्तान, सिरिया, इराक, फिलिस्तीन, लेबनान और सबसे भयानक सत्तर के दशक में वियतनाम युद्ध ! जिसके लिए अमेरिका के भी लोगों ने अपना विरोध दर्ज किया था और अमरीका कि करारी हार भी हुई थी !

लेकिन अमेरिका की इकोनामि युद्ध के उपर ही चलती है! तो युद्ध उसके लिये धंदे कि बात है ! और इसिलिए पस्चिमी एशिया के अकूत तेल भंडार पर कब्जा के लिए पहले महायुद्ध के बाद ईरान के आबादांन के पहले तेल के कुआँ की खोज मिलने के बाद उस क्षेत्र को कब्जे में रखने के लिए तथाकथित शीत युद्ध के समय में सतत सत्ता का जुआ खेलने की जुगत मे 1953 मे ईरान के मोस्सादेह से लेकर कुछ समय पहले सद्दाम हुसैन और कर्नल गद्दाफ़ी सिर्फ तथाकथित अमेरिकी प्रोग्राम के तहत कर्नल गद्दाफ़ी और उस क्षेत्र के लाखों लोगों को मारने का काम किया है और मुझे 2015 के दिसंबर महीने में एक हप्ते के लिए फिलीस्तीनियों की इस्राइल की जेलो मे यातनाए देने को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के लिए जाने का मौका मिला था तो अपनी आँख से बगदाद, नजफ,करबला और बाबिलोन विश्वविद्यालय में जाने का मौका मिला था उस समय जो इराक मैंने देखा है वह लगभग खंडहर में तब्दील हो गया था और सबसे हैरानी की बात वहा की सबसे बड़ी दो नदियाँ यूफ्रेटिस और टिग्रिस के पानी में ज़हर घोल कर रखने के कारण पाँच लाख लोग जिनमें पंद्रह साल से भी कम उम्र के बच्चे को मरने की बात देखने में आई है !

 

यह है अमेरीकन सभ्यता का प्रमाण और संपूर्ण इराक को उध्व्स्त कर के रख दिया सो अलग ! जिस मेसोपोटामिया और बाबिलोन की संस्कृति को हम इतिहास में पढकर बडे हुए हैं यह पूरा इलाका वही है जिसे मै आजसे पाँच साल पहले देखकर आया हूँ !और उसीके परिणाम स्वरूप अबू बक्र बगदादि इसिस नामके संघटन के द्वारा गत छ साल से भी अधिक समय से लगातार अपनी तथाकथित लॅव्हेंट के लिए पचाससे एक लाख लोग अपनी सेना बना कर लगातार युद्ध कर रहा है और कमाल की बात उसे आधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए कौनसी शक्तियों का हाथ है ? रोज का दस हजार टैंकर तेल कौन खरीद रहे हैं ?

सीरिया को भी खंडहर में तब्दील कौन कर रहे हैं और फिलीस्तीनियों के साथ आये दिन ज़बरदस्ती उनके इलाके में घुसने के लिए कौन जिम्मेदार है ? अगर अमेरिका के 500 साल के इतिहास को देखकर लगता नहीं कि यह एक सचमुच सभ्य देश है और ऐसे देश में बुश, ट्रंप जैसे नमूने और जिनके लोकप्रियता मे कोई कमी नहीं है ! आज भी ट्रंप सात करोड़ से अधिक मत प्राप्त करता है ! यह किस बात का परिचय हैं ?क्या नये राष्ट्रपति महोदय यह जो मैंने अमेरिका का पूर्व इतिहास लिखा है उससे अलग करने की संभावना है ? बराक ओबामा को राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के तुरंत बाद ही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वह सिर्फ इसलिए कि अब दुनिया को शायद शांति और युद्ध से मुक्ति मिलेगी क्या हुआ था यह आज सबके सामने है ! अब यह साहब ओबामा की मेहनत के कारण यहाँ तक पहुँचे है क्या सचमुच यह कुछ करेंगे ?

राजनीति शास्त्र में लेसर एवील याने कमसे कम शैतान ! पहले वाले की तुलना मे क्यों कि डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल सनकी दिमाग़ का आदमी था जिसमें वर्ण द्वेष कुटकुटकर भरा हुआ है और यही कारण है कि अफ्रोअमरिकन मतदाता और एशियन, लैटिन अमेरिका के और अन्य वंश के लोगों ने बहुत ही कम मतदाता होन्गे जिन्होने ट्रंप को मतदान किया है !
हालाँकि भारतीय एडिशन ऑफ डोनाल्ड ट्रंप भी हावडी और मोटेरा का जुगाड़ करने के बावजूद कोई विशेष फर्क नहीं पडा वह बात भी महत्वपूर्ण है क्योंकि खुद के घर के सभी लोगों जो नहीं संभाल सकते हैं वह भला दुसरे को क्या मदद करेगा?

सुरेश खैरनारकर

Adv from Sponsors