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  • सवाल का जवाब देने केबजाय नक़वी ने संवाददाता से पूछा, ‘हू आर यू डियर’
  • बीएमसी बैंक से नक़वी के गहरे रिश्ते प्रधानमंत्री मोदी फिर भी साधे हैं मौन
  • नक़वी ने ‘फ्रॉड’ बैंक को लाखों के किराए पर दे रखे हैं फ्लैट्स और शॉप्स
  • अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय बना मुख्तार अब्बास नक़वी का ‘किचन’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफगोई और पारदर्शिता के हिमायती होने का दावा करते हैं. मोदी मंत्रिमंडल के जितने भी सदस्य हैं, उनके लिए भी देश के लोग यही अपेक्षा रखते हैं कि वे भी ईमानदार, स्पष्टवादी और पारदर्शी हों. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री होने के साथ-साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री का दायित्व संभाल रहे मोदी सरकार के प्रमुख सदस्य मुख्तार अब्बास नकवी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं, लेकिन इन आरोपों पर पारदर्शी तरीके से सामने आने के बजाय वे चुप्पी साधे हुए हैं. मुख्तार अब्बास नकवी पर जो आरोप लग रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उससे अछूते नहीं हैं.

आरोपों के छींटे मोदी सरकार को भी मटमैला कर रहे हैं और उनकी पारदर्शिता को गहरे सवालों के घेरे में ले रहे हैं. कथनी और करनी का फर्क देश के आम लोगों को खल रहा है.

काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगा कर ही नरेंद्र मोदी सत्ता तक पहुंचे. अगर वही काला धन भाजपा सरकार के चेहरे पर चस्पा हो जाए तो पूर्व और वर्तमान में क्या फर्क रह जाएगा! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनके अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जनता के सामने आकर कभी यह सफाई देने की जरूरत नहीं समझी कि जिस गैर-राष्ट्रीयकृत बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर मामले चल रहे हों, ऐसे विवादास्पद बैंक से उनके सीधे तौर पर जुड़े होने का कारण क्या है? इस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक जुर्माना ठोक चुका है और सख्त कानूनी कार्रवाई की सिफारिशें कर चुका है.

ऐसे बैंक पर केंद्र सरकार की इतनी कृपादृष्टि क्यों है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से जुड़े महत्वपूर्ण महकमों के सैकड़ों करोड़ रुपए राष्ट्रीयकृत बैंक से निकाल कर इस गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक में डाल दिए गए? ‘चौथी दुनिया’ ने इस सिलसिले में पांच महत्वपूर्ण सवाल केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के ‘व्हाट्सएप’ पर भेज कर उनसे जवाब मांगा था. केंद्रीय मंत्री ने उन सवालों पर कुछ कहने के बजाय इस संवाददाता से ही बड़ी सदाशयता से पूछा, ‘हू आर यू डियर’ (तुम कौन हो प्रिये). इस संवाददाता ने उन्हें फिर अपना परिचय भेजा और उनसे ‘वर्जन’ देने का विनम्र आग्रह किया, लेकिन उसके बाद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. जो पांच सवाल मुख्तार अब्बास नकवी से पूछे गए थे, उन पर विस्तार से चर्चा होगी, लेकिन उसके पहले यह बता दें कि इस प्रसंग से जुड़े कुछ अहम सवाल बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी के ‘व्हाट्सएप’ पर भी भेजे गए थे, उन्होंने सवाल पढ़े, लेकिन जवाब देना उचित नहीं समझा.

केंद्र में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से ‘चौथी दुनिया’ ने जो पांच सवाल पूछे थे, वे ये हैं :-

  1. मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन का कितना फंड बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा कराया गया?
  2. राष्ट्रीयकृत बैंक एसबीआई में जमा फाउंडेशन का पैसा किनके निर्देश पर बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में ट्रांसफर हुआ?
  3. क्या यह सही है कि हज कमेटी और नेशनल वक्फ डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का धन भी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के मुंबई ब्रांच में जमा है?
  4. क्या आपने दिल्ली के मयूर विहार में ‘विज्ञापन लोक’ अपार्टमेंट का फ्लैट और स्टार मॉल की दुकानें बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक या उससे जुड़े किसी महत्वपूर्ण शख्स को किराए पर दे रखी हैं?
  5. क्या आप कभी अपने नाम के साथ उर्फ के बतौर मानवेंद्र सिंह उर्फ मानू भी लिखते हैं?

पहले तो इन्हीं पांच सवालों के विस्तार पर आते हैं. इस प्रसंग से जुड़े कई और सवाल हैं, जो अखबार के जरिए हम केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखेंगे, ताकि उन पर जवाब देने में सुविधा हो सके. आपको यह पता ही है कि मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तहत अल्पसंख्यक छात्रों की शिक्षा-दीक्षा के लिए विभिन्न स्तर पर आर्थिक मदद देने वाली देश की सबसे बड़ी सरकारी संस्था है. फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी. फाउंडेशन की समग्र-निधि (कॉरपस फंड) जो वर्ष 2006-7 में महज सौ करोड़ थी वह आज साढ़े बारह सौ करोड़ रुपए से अधिक है. सरकारी धन राष्ट्रीयकृत बैंक में रखने के नियम को ताक पर रख कर मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन के सैकड़ों करोड़ रुपए गैर-राष्ट्रीयकृत बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में डाइवर्ट कर दिए गए.

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से यह सवाल पूछा गया था, ताकि इस मसले पर आधिकारिक जानकारी सामने आ सके. लेकिन उनका जवाब नहीं मिला. ‘चौथी दुनिया’ को यह जानकारी मिली है कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की दिल्ली के दरियागंज स्थित शाखा में जनवरी 2017 को मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन के सैकड़ों करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. स्वाभाविक है कि फाउंडेशन के अध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी के आदेश पर ही फाउंडेशन का धन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा हुआ होगा, लेकिन मंत्री ने इस पर कोई रौशनी नहीं डाली. इसी तरह नेशनल वक्फ डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और हज कमेटी के भी करोड़ों रुपए बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा हैं. ये सारी संस्थाएं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तहत ही आती हैं, जिसके मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी हैं. लिहाजा, सवालों का जवाब देने का नैतिक दायित्व मंत्री का है और उनके जवाब नहीं देने पर यह दायित्व प्रधानमंत्री का हो जाता है.

मुख्तार अब्बास नकवी और उनकी पत्नी सीमा नकवी के दो आलीशान फ्लैट मयूर विहार के ‘विज्ञापन-लोक’ अपार्टमेंट में हैं. इन फ्लैट्स के अलावा मयूर विहार में ही स्टार-मॉल में मुख्तार अब्बास नकवी की तीन दुकानें हैं. विचित्र संयोग यह है कि नकवी ने मयूर विहार का फ्लैट और स्टार-मॉल की दुकानें भी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को ही लाखों रुपए के किराए पर दे रखी हैं. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को दिए गए फ्लैट और दुकान के किराए का लेनदेन मुख्तार अब्बास नकवी की पत्नी सीमा नकवी देखती-संभालती हैं. ‘चौथी दुनिया’ ने केंद्रीय मंत्री से इस बारे में भी पूछा था, लेकिन उनका जवाब नहीं आया. मुख्तार अब्बास नकवी ने इस सवाल का जवाब भी नहीं दिया कि क्या वे कभी अपने नाम के साथ मानवेंद्र सिंह उर्फ मानू नाम भी लिखते हैं? सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य डॉ. सैयद एजाज अब्बास नकवी का एक पत्र देखने को मिला जो उन्होंने 17 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था.

उस पत्र के जरिए उन्होंने मुंबई के जैनबिया वक्फ ट्रस्ट की जमीनों को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के गुर्गों द्वारा अवैध तरीके से बेचे जाने की गतिविधियों को रोकने का प्रधानमंत्री से आग्रह किया था. उस पत्र में मुख्तार अब्बास नकवी के नाम के साथ उर्फ में मानवेंद्र सिंह उर्फ मानू नाम भी लिखा था. ‘चौथी दुनिया’ के सवाल पर मंत्री का जवाब नहीं आने के बाद इस संवाददाता ने डॉ. सैयद एजाज अब्बास नकवी से फोन पर सम्पर्क साधा. उन्होंने कहा कि जिस वक्त उन्होंने प्रधानमंत्री को खत लिखा था, उस समय वे सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य हुआ करते थे. इसके बावजूद वे जैनबिया वक्फ ट्रस्ट की सम्पत्ति बेचे जाने का गोरखधंधा रोकने में नाकाम रहे, क्योंकि यह गोरखधंधा खुद केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की शह पर हो रहा था. इसके बाद ही उन्होंने पीएम को चिट्‌ठी लिखी.

मुख्तार अब्बास नकवी के नाम के साथ मानवेंद्र सिंह लिखे जाने की वजह पूछे जाने पर डॉ. एजाज ने बताया कि मुख्तार अब्बास नकवी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन सर-संघचालक रज्जू भैया की भतीजी सीमा से तीन जून 1983 को इलाहाबाद के आर्य समाज मंदिर में हिंदू के रूप में हिंदू विधि-विधान से शादी की थी. उसमें उन्होंने खुद को मानवेंद्र सिंह चौधरी उर्फ मानू बताया था. अगले दिन यानि चार जून 1983 को उन्होंने इलाहाबाद में ही सीमा के साथ निकाह किया. यह मुख्तार अब्बास नकवी का व्यक्तिगत प्रसंग है, लेकिन नाम को लेकर बने भ्रम को यह प्रसंग दूर करता है.

कई और सवाल हैं, जो मोदी सरकार को नैतिकता के तकाजे पर कठघरे में खड़ा करते हैं. नोटबंदी के दरम्यान प्रतिबंधित नोटों का लेनदेन तकरीबन सारे राष्ट्रीयकृत बैंकों के जरिए खूब हुआ. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की भी इसमें काफी सक्रिय हिस्सेदारी रही. बैंक के एक अधिकारी बताते हैं कि नवम्बर 2016 में प्रतिबंधित नोटों का हेवी-ट्रांजैक्शन हुआ. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की एक शेयरधारक राजश्री भटनागर ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को पत्र लिख कर सूचित किया था कि नोटबंदी के दौरन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने पुराने नोट बदलने का धंधा खूब किया.

दो करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले जाने के एक खास प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा कि इसे मुख्तार अब्बास नकवी का धन बताया जा रहा है जिससे उनकी छवि खराब हो रही है. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की दरियागंज शाखा में करीब दस करोड़ रुपए बेनामी पड़े हैं. इसके बारे में भी खुलासा होना चाहिए कि वह धन आखिर किसका है. बैंक के चेयरमैन जीशान मेहंदी के पास भी ‘चौथी दुनिया’ ने जरूरी सवाल भेजे थे, लेकिन उन्होंने जब ‘नामी’ सवालों के जवाब नहीं दिए तो करोड़ों के बेनामी धन के बारे में क्या जवाब देंगे!

आम लोगों के मन में बिल्कुल स्वाभाविक सवाल उठते हैं कि इतने विवादास्पद बैंक पर केंद्र सरकार इतनी मेहरबान क्यों है? केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी इस बैंक को संरक्षण क्यों दे रहे हैं? भाजपा के कई और कद्दावर नेता इस बैंक के सरपरस्त क्यों बने बैठे हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के इस संरक्षणवाद को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं? केंद्र सरकार यह नहीं कह सकती कि उसे बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की गैर-कानूनी गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने माना है कि बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी और प्रबंध निदेशक शाहनवाज आलम ने करोड़ों के घपले किए हैं. रिजर्व बैंक बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक पर 75 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोक चुका है और सेंट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव्स को आगे की कार्रवाई के लिए लिखा है. क्या केंद्र को इसकी जानकारी नहीं? पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक ने भी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी, प्रबंध निदेशक शाह आलम खान और निदेशक सलाउद्दीन रज़मी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी करने और आपराधिक दुर्व्यवहार (क्रिमिनल मिसकंडक्ट) का मुकदमा कर रखा है.

ऐसे बैंक के जरिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय वित्तीय कामकाज कैसे और क्यों कर रहा है, यह बड़ा सवाल है. ‘चौथी दुनिया’ ने हज कमेटी का धन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा करने के बारे में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से सवाल पूछा, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. लेकिन ऐसे तथ्य सामने हैं, जो मंत्री से पूछे गए सवाल का जवाब देते हैं. हज यात्रा का सारा विदेशी मुद्रा का लेनदेन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के जरिए हो रहा है. तमाम राष्ट्रीयकृत बैंकों के होते हुए सरकार ने हज यात्रा के विदेशी-मुद्रा प्रबंधन से गैर-राष्ट्रीयकृत बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को क्यों जोड़ा? इस सवाल का जवाब परिस्थितिजन्य तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है.

इन्हीं तथ्यों में ‘फॉरेन-फंडिंग’ का घनघोर विवादास्पद मामला भी जाकर जुड़ जाता है. केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद विदेशों से आने वाले धन (फॉरेन-फंडिंग) के बेजा इस्तेमाल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया था. हजारों गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं (एनजीओ) को विदेशों से मिलने वाला धन रोका गया और इसके लिए केंद्र ने देशभर के 32 बैंकों को चौकसी बरतने की संवेदनशील जिम्मेदारी सौंपी. आप हैरत करेंगे कि ‘फॉरेन-फंडिंग’ के बेजा इस्तेमाल पर चौकसी रखने की जिम्मेदारी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक जैसे बेजा बैंक को भी दी गई.

विदेश से फंडिंग पाने वाली तमाम संस्थाएं और कंपनियां केंद्र सरकार के आदेश से बाध्य होकर बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में विदेशी मुद्रा की आमदनी वाला खाता खुलवाने के लिए विवश हैं. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक जैसे घोटालेबाज बैंक को 32 बैंकों में शुमार करना केंद्र सरकार की अत्यंत घटिया स्तर की ईमानदारी, पारदर्शिता और राष्ट्रधर्मिता की सनद है. केंद्र सरकार ने ‘फॉरेन फंडिग’ प्राप्त करने वाले 18,868 एनजीओ के रजिस्ट्रेशन तो रद्द कर दिए, लेकिन मुद्रा का बेजा धंधा करने वाले बैंक के लिए विदेशी फंडिंग का खाता खुलवा दिया. ऐसा करके केंद्र सरकार ने ‘फॉरेन फंडिग’ पाने वाली संदेहास्पद संस्थाओं, एजेंसियों और लोगों को धंधा जारी रखने का परोक्ष मौका दे दिया.

जिस पर पड़ रहा हो विजिलेंस का छापा, उसे बना दिया सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव

मोदी सरकार को ऐसा अधिकारी क्यों पसंद है जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हों, जिसने अकूत सम्पत्ति जमा कर रखी हो, छापे में जिसके घर और ठिकानों से भारी मात्रा में अवैध धन और अवैध सम्पत्तियों के ढेर सारे दस्तावेज बरामद हुए हों और जिसके खिलाफ विजिलेंस विभाग की गंभीर कार्रवाई चल रही हो? इन सारी पंक्तियों के तथ्यात्मक अर्थ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्य मुख्तार अब्बास नकवी से यह कभी नहीं पूछा कि उन्होंने गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी बीएम जमाल को सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव क्यों बना रखा है? गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपी को सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव नियुक्त किए जाने से जुड़ा सवाल क्या कोई कानूनी औचित्य नहीं रखता? इन सवालों पर केंद्र सरकार या केंद्रीय मंत्री की चुप्पी क्यों सधी है?

आप यह जान लें कि मुख्तार अब्बास नकवी ने 2017 में केरल से लाकर बीएम जमाल को सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सचिव पद पर बिठाया. केरल सरकार के विजिलेंस महकमे की रिपोर्ट पढ़ें तो आपको मोदी सरकार के चारित्रिक विरोधाभास पर खुद झेंप होने लगेगी. कोझीकोड के विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो के स्पेशल सेल के पुलिस अधीक्षक सुनील बाबू केलोथुमकांडी की तरफ से दर्ज एफआईआर सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सेक्रेटरी और केरल वक्फ बोर्ड के पूर्व चीफ एक्जेक्यूटिव अफसर बीएम जमाल के भ्रष्टाचार की करतूतों का पर्दाफाश करती हैं.

उसी भ्रष्ट अधिकारी को केंद्र सरकार ने केरल से लाकर सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव बना दिया. सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव पद बहुत महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पद माना जाता है. इस पद पर आम तौर पर आईएएस अफसर या दिल्ली स्पेशल सर्विसेज़ के ‘ए’ ग्रेड अधिकारी नियुक्तहोते रहे हैं. इस नियम और मर्यादा का पालन करने के बजाय गंभीर भ्रष्टाचार के मामले में घिरे केरल वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ पेशेवर वकील बीएम जमाल की काउंसिल के सचिव पद पर नियुक्ति निस्संदेह गलत इरादों से की गई परिलक्षित होती है.

केरल सरकार के विजिलेंस विभाग की छानबीन में यह आधिकारिक पुष्टि हुई है कि केरल वक्फ बोर्ड एरनाकुलम के चीफ एक्जेक्यूटिव अफसर रहे बीएम जमाल ने वर्ष 2007 से वर्ष 2016 के बीच भीषण घोटाले किए. जमाल ने एक जनवरी 2007 से 31 अक्टूबर 2016 के बीच एक करोड़ 45 लाख 68 हजार 179 रुपए हड़पे. तलाशी के दौरान जमाल के पास से 14 लाख 57 हजार चार सौ रुपए बरामद किए गए थे. छानबीन में यह पाया गया कि जमाल की आय में 86 लाख 68 हजार 40 रुपए की आय पूरी तरह अवैध है. विजिलेंस की जांच में जमाल की 50 प्रतिशत से अधिक आय अवैध पाई गई. विजिलेंस की छानबीन में बीएम जमाल की अवैध चल सम्पत्ति के अलावा आलीशान अचल सम्पत्तियों के भी प्रमाण पाए गए. थिरुअनंतपुरम के विजिलेंस एवं एंटी करप्शन ब्यूरो के डायरेक्टर के आदेश (संख्या- ई-23 सीवी-22/2016/ एससीके/ 184/2018, दिनांक-08.02.2018) पर केरल वक्फ बोर्ड के सीईओ बीएम जमाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई थी.

विडंबना यह है कि केरल सरकार के विजिलेंस विभाग की कार्रवाई के दरम्यान ही केंद्र सरकार ने बीएम जमाल को सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव नियुक्त कर दिया. शर्मनाक तथ्य यह है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सचिव बनाए जाने के बाद भी केरल में बीएम जमाल के ठिकानों पर विजिलेंस की छापेमारियां जारी हैं. इसी साल फरवरी 2018 के आखिरी हफ्ते में बीएम जमाल के कसरगोड के तरावडु स्थित आलीशान कोठी पर कल्लीकोट स्पेशल विजिलेंस की टीम ने छापा मारा और सघन तलाशी ली थी. इस तलाशी में आय से अधिक सम्पत्ति के ढेर सारे कागजात जब्त किए गए. कसरगोड में विशाल भूखंड पर बनी बीएम जमाल की आलीशान कोठी समेत कई अन्य कोठियों को विजिलेंस विभाग ने आय से अधिक सम्पत्ति की सूची में दर्ज किया है. विचित्र किंतु सत्य यह है कि इन कानूनी कार्रवाइयों के बावजूद केंद्र सरकार की नैतिकता की खाल पर कोई असर नहीं पड़ रहा. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ऐसे भ्रष्ट सचिव के संरक्षक बने बैठे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धृतराष्ट्र जैसे अभिभावक…

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय है या खाला जी का घर!

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तहत आने वाले अर्थ-सम्पन्न महकमों को जेबी संस्था बना कर रख दिया गया है. मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन हो या सेंट्रल वक्फ काउंसिल, हज कमेटी हो या नेशनल वक्फ डेवलपमेंट कॉरपोरेशन या नेशनल माइनॉरिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन; अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बने इन सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की मर्यादा तार-तार हो रही है. लेकिन इस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी जिसे चाहते हैं उसे फाउंडेशन, कमेटी या काउंसिल में सदस्य बनाते हैं और जिसे चाहते हैं उसे बाहर का दरवाजा दिखा देते हैं.

लखनऊ के रहने वाले इम्तियाज आलम को मुख्तार अब्बास नकवी ने फाउंडेशन का सदस्य बनाया और उससे भी उनका मन नहीं भरा तो उन्हें सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सदस्य बनाने का उपक्रम कर रहे हैं. मुख्तार ने अपने नजदीकी शाकिर हुसैन अंसारी को मौलाना आजाद एडुकेशनल फाउंडेशन का कोषाध्यक्ष बना रखा है. मुख्तार अब्बास नकवी के बचपन के दोस्त इलाहाबाद के हसन बकर काजमी उर्फ शाहीन काजमी को भी फाउंडेशन का सदस्य बनाने की तैयारी है. शाहीन काजमी पहले से हज कमेटी के सदस्य भी हैं. इसके अलावा काजमी केंद्र सरकार के हैंडलूम बोर्ड, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के भी सदस्य बने बैठे हैं.

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के गोरखधंधे में शाहीन काजमी का इस्तेमाल होता है. इस बारे में ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल ने सीबीआई में विस्तृत शिकायत दर्ज करा रखी है. शाहीन काजमी की खूबियां अनगिनत हैं. हज कमेटी में रहते हुए इस शख्स ने अपने परिवार के लगभग एक दर्जन सदस्यों को सरकारी पैसे से हज यात्रा करा दी. हज का पुण्य काजमी परिवार को मिला और धन सरकार के खाते से गया. गरीबों को हज यात्रा कराने के लिए निर्धारित फंड पर काजमी ने अपने भाई गौहर काजमी, बहन नीलोफर, बहनोई जिल्ले हसनैन समेत कई रिश्तेदारों को हज यात्रा कराई. यही नहीं, हसन बकर शाहीन काजमी ने सारे नियम-कानून ताक पर रख कर अपने भांजे आसिम को हज कमेटी में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर भर्ती भी कर लिया. ये सारी करतूतें केंद्र सरकार जानती है, पर कोई कार्रवाई नहीं करती.

यह कैसा अल्पसंख्यक कल्याण है मंत्री जी!

मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यकों के कल्याण का काम करने के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री बनाया गया. लेकिन उनका काम व्यक्तिगत-कल्याण पर अधिक केंद्रित रहा. उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 80 के दशक में स्थापित हुए अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम को बंद करने का उपक्रम महज इसलिए हो रहा है कि निगम ने बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा दो करोड़ 67 लाख 60 हजार रुपए क्यों मांग लिए.

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी, मैनेजिंग डायरेक्टर एम शाह आलम खान, सहायक महाप्रबंधक बदरे आलम खान, बैंक के एफडी विभाग के प्रभारी अधिकारी तारिक सईद खान और लखनऊ शाखा के प्रभारी प्रबंधक नूर आलम के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा (संख्या-0142/2018) दर्ज कराने का खामियाजा अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम को भुगतना पड़ रहा है. गंभीर वित्तीय संकट से निगम को उबारने के बजाय सरकार ने निगम का ‘ढक्कन’ बंद कर देने का ही फैसला ले लिया है. मोदी सरकार का अल्पसंख्यक प्रेम और इसके पीछे की वजहें बिल्कुल साफ हैं…

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