कल से ‘ नेता जी ‘ के एक चित्र को लेकर विवाद चल रहा है – यह विवाद महामहिम राष्ट्पति आवास में उस अनावरण से जुड़ा है , जो खुद महामहिम के हाथों सम्पन्न हुआ । अनेक लोंगो का मानना है कि यह चित्र नेता जी सुभाष चंद्र बोस का नही है , बल्कि सुभाष बाबू को केंद्र में रख कर बनाई गई फ़िल्म ‘गुमनामी’ में नेता जी का रोल जिस ऐक्टर ने किया उसका चित्र है । सरकारी खंडन आता है कि यह नेता जी का ही चित्र है ।

यहां दोनो सही है । both are right on worng point । कैसे वह बताता हूँ । उसके पूर्व एक और सज्जन बीच में उतरे हैं । पत्रकार और एक दूसरे पत्रकार की पोस्ट पर टिप्पणी की हौ ।

Ambrish Kumar ने अपने पेज पर वह तस्वीर साझा की जिसमे महा महिम जी नेता जी की तस्वीर को सल्यूट कर रहे हैं । इस विवाद पर लखनऊ के एक पत्रकार उठकर आये एक साथ एक और बहस उठा बैठे , इनका कहना है कि ‘ नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर वे बामपंथी और कथित समाजवादी विवाद खड़ा कर रहे हैं जो रामायण के लेखक रामानंद सागर और महाभारत का लेखक चोपड़ा बताते हैं । ‘

ये पत्रकार न वाम है न समाजवादी , चुनांचे कुल झार मंगरैल पे ।

जनाब पत्रकार जी ! पत्रकार पढा लिखा होता है यह स्थायी भाव है जाहिर आप पढ़े लिखे हैं , इसका सबूत आपने अपनी टिप्पणी में ही दे दिया है कि रामायण , रामानंद सागर से जुड़ा है और महाभारत वी आर चोपड़ा से । लेकिन आपने अपनी याददाश्त को सुलाये ही रखा और आपको ‘ रामायण मेला ‘ नही याद आया जो कि वह समाजवादी आंदोलन का हिस्सा रहा है और तब, जब ‘ बदतमीज डिब्बा ‘ मैदान में उतरा ही नही था।

डॉ लोहिया के सपने को अमलीजामा पहनाने वाला कोई और नही है ,दुनिया का मशहूर कलाकार है जिसका नाम है मकबूल फिदा हुसैन । वाम पंथी बोलने का लहजा मेहरबानी करके सुधार लें , । इसने बेहतर मन मिजाज और दिमाग दिए हैं , आपको फिर याद दिला दूँ , महाभारत के वी आर चोपड़ा आपको याद रहे, लेकिन उसकी पटकथा और संवाद लेखक डॉ राही मासूम रजा नही याद रहे ? शायद आपको यह भी अंदाज नही होगा कि राही साहब खुद वाम से जुड़े थे ।

अब नेता जी की तस्वीर देखिये । उसके पहले उस तस्वीर के राष्ट्रपति भवन में लटकने की विधा जान लिजिये । एक वह तस्वीर फोटोग्राफ नही है तो यकीनन पेंटिंग है । और अगर यह अनुकृति है तो चित्रकार को जो चित्र दिया गया होगा , वह उसे ही देख कर बनाएगा । चित्र महामहिम नही भेजते , राष्ट्रपति भवन में एक विभाग ही होता है जो इसका बंदोबस्त देखता है । गलती यहां हो सकती है कि जो चित्र चित्रकार के पास भेजा गया वह नेता जी सुभाषचन्द बोस का था या नेता जी पर बनी फिल्म गुमनामी में नेताजी का किरदार अदा करनेवाले अभिनेता प्रोसेनजीत का था ?

पत्रकार जी ! एक किताब है meaning of art इसके लेखक हैं herbert read । चित्र की समझ के लिए हर पत्रकार को यह किताब पढ़नी चाहिए । आइये अब सुभाष बाबू के मूल चित्र से इस अनुकृति का मिलान करिये । दोनो चित्र को आमने सामने रख दीजिए । नाक और ठोढ़ी के बीच 3 इंच की बनावट ही दोनो चित्रों को अलग कर देगी । इसी लिए कहते हैं both are right on wrong point ।

बे अदबी मुआफ़ कीजियेगा । आपका नाम नही लिखा , समाजवादी हूं , कथित भी हूँ पर आपका दोस्त भी तो हूँ ।

सबसे शिक्षित ये हैं । ये मध्य प्रदेश विधान सभा के तत्समयी स्पीकर हैं , ये बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को ‘ रामायण ‘ भेज रहे हैं सुझाव के साथ । इन्हें बताया जाए कि रामायण तुलसीदास ने नही बाल्मीकि ने लिखा है ।

चंचल भू

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