संविधान दिवस के मौके पर संसद में आयोजित कार्यक्रम में विपक्षी दलों द्वारा शामिल न होने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम किसी दल का नहीं था। उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस पर हमले किए।

यह कार्यक्रम राजनैतिक दल का नहीं था-पीएम
पीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम किसी राजनैतिक दल का नहीं था। किसी प्रधानमंत्री का नहीं था। यह कार्यक्रम स्पीकर पद की गरिमा थी। हमारे पूर्वज हमें आर्शीवाद दें कि हम संविधान की गरिमा बनाए रखें। हम कर्त्तव्य पथ पर चलते रहें।

बिना नाम लिए कांग्रेस पर साधा निशाना
संविधान की भावना को चोट पहुंची है। इसकी एक-एक धारा को चोट पहुंची है। जब राजनैतिक धर्म लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों। जो दल लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं। राजनीतिक दल, पार्टी- फॉर द फैमिली, पार्टी- बाय द फैमिली… आगे कहने की जरूरत नहीं लगती।

मुंबई हमले में मारे गए लोगों को याद किया
कार्यक्रम की शुरुआत में मोदी ने कहा, ‘आज का दिन अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद जैसे दूरंदेशी महानुभावों को नमन करने का है। आज का दिन इस सदन को प्रणाम करने का है। आज 26/11 का भी दिन है। वो दुखद दिन, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में ऐसी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। भारत के संविधान में सूचित देश के सामान्य आदमी की रक्षा की जिम्मेदारी के तहत अनेक हमारे वीर जवानों ने उन आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आपको समर्पित कर सर्वोच्च बलिदान किया। मैं आज उन सभी बलिदानियों को नमन करता हूं।’

राजनीति के चलते देशहित पीछे छूटा
मोदी ने कहा, ‘कभी हम सोचें कि हमें संविधान बनाने की जरूरत होती तो क्या होता। आजादी की लड़ाई, विभाजन की विभीषिका का बावजूद देशहित सबसे बड़ा है, हर एक के हृदय में यही मंत्र था संविधान बनाते वक्त। विविधिताओं से भरा देश, अनेक बोलियां, पंथ और राजे-रजवाड़े, इन सबके बावजूद संविधान के माध्यम से देश को एक बंधन में बांधकर देश को आगे बढ़ाना। आज के संदर्भ में देखें तो संविधान का एक पेज भी शायद हम पूरा कर पाते। क्योंकि, समय ने नेशन फर्स्ट पर राजनीति ने इतना प्रभाव पैदा कर दिया है कि देशहित पीछे छूट जाता है।’

अपना मूल्यांकन करने की जरूरत
PM ने कहा, ‘साथियों, हमारा संविधान सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है। संविधान सहस्त्रों सालों की भारत की महान परंपरा, अखंड धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। हमारे लिए लेटर एंड स्प्रिट में संविधान के प्रति समर्पण है। जब हम संवैधानिक व्यवस्था से जनप्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक दायित्व निभाते हैं, तो इसी भावना को याद रखना होगा। ऐसा करते वक्त संविधान की भावनाओं को कहां चोट पहुंच रही है, इसे भी नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए कि जो कुछ भी कर रहे हैं, वो संविधान के लिहाज से सही है या गलत। रास्ता सही है या गलत। हमें अपना मूल्यांकन करना चाहिए।

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हो रहा आयोजन
संसदीय मामलों के मंत्रालय की तरफ से जारी की गई रिलीज के मुताबिक, केंद्र सरकार संविधान दिवस को आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के तौर पर मना रही है। संसद की तरफ से आयोजित किए गए कार्यक्रम को उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी संबोधित कर रहे हैं।

उनके संबोधन के बाद राष्ट्रपति उनके साथ मिलकर संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद संविधान सभा की चर्चाओं की डिजिटल कॉपी, भारतीय संविधान की लिखित कॉपी का डिजिटल वर्जन और भारतीय संविधान की नई अपडेटेड कॉपी शामिल होगी, जिसमें अभी तक के सभी संशोधन शामिल किए जाएंगे।

 

 

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